जबलपुर। सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए 04 दिसंबर 2025 दिन गुरुवार का यह दिवस धार्मिक आस्था और ज्योतिषीय शुभता का एक असाधारण संगम लेकर आया है। आज का दिन न केवल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी (जो सुबह 08:39 तक रहेगी, उपरान्त पूर्णिमा तिथि का उदय होगा) से युक्त है, बल्कि यह स्नान-दान एवं व्रत आदि की पुण्यात्मा पूर्णिमा भी है, जिसे शास्त्रों में अत्यंत पवित्र माना गया है। आज के दिन के महत्व को कई गुना बढ़ाते हुए, यह त्रिवेणी संगम भगवान श्री दत्तात्रेय जी की जन्म जयन्ती और षोडशी माता त्रिपुरसुन्दरी जी की भी जन्म जयंती के साथ घटित हो रहा है, जिसने करोड़ों सनातनियों के मन में भक्ति और उत्साह का संचार कर दिया है। जनता की उत्सुकता आज के विशेष शुभ मुहूर्तों और उनके फलित को जानने पर टिकी हुई है।
आज का यह दिन धार्मिक क्रियाओं और उत्सवों के लिहाज से भी अत्यंत खास है। भगवान श्रीदत्तात्रेय जी की जयंती के उपलक्ष्य में आज प्रदोषकाल में उनके भक्त नगर भ्रमण अर्थात भगवान दत्त के लिए नगर की परिक्रमा करेंगे। यह परिक्रमा भगवान के प्रति आस्था और लोक कल्याण की भावना को प्रदर्शित करती है। इसी शुभ प्रदोषकाल में, दक्षिण भारत में वैखानस दिपम् का अनूठा त्यौहार भी मनाया जाएगा, जहां भक्त दीपों की रोशनी से अपने जीवन में प्रकाश और समृद्धि का आह्वान करेंगे। इसके अतिरिक्त, आज से ही कर्नाटक के कुर्ग क्षेत्र में स्थानीय परम्परा हुर्थीप्रारंभ भी शुरू हो जाएगा। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, आज के दिन का महत्व और भी बढ़ गया है क्योंकि आज यायीजय योग जैसा अत्यंत शुभ योग बन रहा है, जो किसी भी कार्य को शुरू करने और उसमें सफलता प्राप्त करने के लिए उत्तम माना जाता है, हालांकि इसके साथ पूर्वयमघंट योग भी विद्यमान है।
आज के तिथि स्वामी और देवत्व पर विस्तार से बात करें तो, चतुर्दशी तिथि के देव भगवान शिवजी को बताया गया है। यद्यपि चतुर्दशी तिथि को ज्योतिष में क्रूरा और उग्रा तिथि माना जाता है और यह रिक्ता नाम से विख्यात है, लेकिन शुक्ल पक्ष में यह तिथि शुभ फलदायिनी मानी जाती है। इसी कारण आज के दिन भगवान शिव का विशेष पूजन, अर्चन एवं अभिषेक करना अत्यंत कल्याणकारी होता है। सामर्थ्यवान भक्तों के लिए विशेषकर कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को विद्वान् वैदिक ब्राह्मणों से विधिवत भगवान शिव का रुद्राभिषेक करवाना अत्यंत फलदायी बताया गया है, लेकिन आज की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी भी इस पूजन के लिए अद्भुत संयोग प्रदान कर रही है।
रुद्राभिषेक के फलित पर गहनता से विचार करें तो, शास्त्रों में यह उल्लेखित है कि यदि चतुर्दशी तिथि में भगवान् शिव का रुद्राभिषेक शहद से किया करवाया जाय, तो इससे जातक की मारकेश की दशा भी शुभ फलदायिनी बन जाती है। इस विशेष रुद्राभिषेक से जातक के जीवन की सभी बाधायें निवृत्त हो जाती हैं, और उसे जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति सहज ही हो जाती है। यह एक ऐसा अनुष्ठान है जो न केवल आध्यात्मिक शांति देता है, बल्कि भौतिक जीवन की कठिनाइयों को दूर करने का भी सामर्थ्य रखता है। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि चतुर्दशी तिथि को शहद त्याज्य होता है, इसलिए रुद्राभिषेक में शहद का प्रयोग केवल शिवजी के निमित्त ही किया जाता है, स्वयं ग्रहण नहीं किया जाता।
आज की पूर्णिमा तिथि और गुरुजी का आशीर्वाद इस पूरे पंचांग को पढ़ने और सुनने वाले जातकों के लिए मंगलकारी सिद्ध होगा। आज के अधिष्ठात्री देवों और देवियों से यह हार्दिक प्रार्थना है कि आज की तिथि (चतुर्दशी और पूर्णिमा के स्वामी), आज के वार (गुरुवार के स्वामी बृहस्पति), आज के नक्षत्र (नक्षत्र के देवता और नक्षत्र के ग्रह स्वामी), आज के योग और आज के करण के देव सभी भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखें। यह कामना की गई है कि सभी जातकों को जीवन के समस्त क्षेत्रों में सदैव ही सर्वश्रेष्ठ सफलता प्राप्त हो। आज का दिन हर सनातनी के लिए श्रीदत्तात्रेय जयन्ती, पूर्णिमा व्रत और षोडशी माता त्रिपुरसुन्दरी जी के जन्म जयन्ती के रूप में भक्ति, शक्ति और ज्ञान का संदेश लेकर आया है।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

