दीनदयाल चौक–आईटीआई मार्ग तक ऐतिहासिक कार्रवाई 60 अवैध दुकानें ध्वस्त, शहर बोला-जो कोई नहीं कर पाया, प्रशासन ने कर दिखाया

दीनदयाल चौक–आईटीआई मार्ग तक ऐतिहासिक कार्रवाई 60 अवैध दुकानें ध्वस्त, शहर बोला-जो कोई नहीं कर पाया, प्रशासन ने कर दिखाया

प्रेषित समय :21:35:39 PM / Wed, Dec 3rd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नगर संवाददाता, जबलपुर.  प्रदेश के संस्कारधानी कहे जाने वाले शहर में बुधवार का दिन उन लोगों के लिए एक यादगार अनुभव बन गया जो वर्षों से दीनदयाल चौक से आईटीआई मार्ग पर दबे-कुचले रास्तों, जाम, भीड़ और अवैध कब्जों से परेशान थे। सुबह जैसे ही नगर निगम, जिला प्रशासन और पुलिस बल की संयुक्त टीम मौके पर पहुँची, लोगों को एहसास हुआ कि आज कुछ बड़ा होने वाला है। और फिर हुआ भी—लगभग छह दशक से भी अधिक समय से जमे 60 से अधिक अवैध दुकानों और ठेलों को हटाकर प्रशासन ने उस मार्ग को फिर से वैसा बना दिया, जैसा उसे होना चाहिए था—चौड़ा, सुगम, स्वच्छ और सुरक्षित। इस पूरी कार्रवाई को देखकर शहरवासियों ने एक स्वर में कहा, “यह वही कदम है जो कोई नहीं उठा पाया था… प्रशासन ने कर दिखाया।”

कार्रवाई सुबह से ही शांति और सटीकता के साथ शुरू हुई। निगमायुक्त रामप्रकाश अहिरवार, एसडीएम, पुलिस अधिकारी और अतिक्रमण दस्ता मौके पर मौजूद थे। जिन अतिक्रमणकारियों को पहले ही मुनादी कर चेतावनी दी जा चुकी थी, उन्हें आज अंतिम बार समझाया गया। फिर मशीनें चलीं, बांस-तिरपाल हटे, जर्जर खोखे टूटे और वर्षों का असंगठित अव्यवस्था का जाल धीरे-धीरे खुलकर खत्म होता गया। स्थानीय लोग अपनी छतों, दुकानों और नुक्कड़ों से सबकुछ देखते रहे—कई लोगों के चेहरों पर संतोष था, तो कई इस बात से खुश कि आखिरकार रास्ता साफ होगा।

करीब कुछ ही घंटों में वह मार्ग, जो वर्षों से अव्यवस्था का प्रतीक बना हुआ था, अपने नए रूप में चमकता दिखाई देने लगा। स्कूटर, बाइक, कारें बेफ़िक्र होकर आगे सरकती दिखीं। माता-पिता के चेहरों पर एक अलग सुकून था कि अब उनके बच्चे आईटीआई कॉलेज जाते समय भीड़भाड़ वाले रास्ते और असुरक्षित मोड़ों से नहीं गुजरेंगे। कॉलेज के संयुक्त संचालक बी.एस. पनिका और प्राचार्य अर्पित शुक्ला ने प्रशासन को औपचारिक रूप से धन्यवाद देते हुए कहा कि यह कार्रवाई केवल मार्ग को ही नहीं, बल्कि युवा विद्यार्थियों के भविष्य को सुरक्षित बनाने का कदम है। उन्होंने विशेष रूप से कहा, “हम वर्षों से इस समस्या से जूझ रहे थे। आज जब यह मार्ग अतिक्रमण मुक्त हुआ है, तो लगता है जैसे किसी ने बोझ हल्का कर दिया हो। यह कार्रवाई बच्चों, विद्यार्थियों, अभिभावकों और पूरे क्षेत्र के हित में ऐतिहासिक और सराहनीय है।”

लोगों के लिए यह केवल एक प्रशासनिक कार्रवाई नहीं थी, बल्कि एक भावनात्मक पल भी था। कई बुजुर्गों ने कहा कि इस मार्ग पर कभी वे आराम से चलते थे, लेकिन समय के साथ अवैध दुकानें और कब्जे बढ़ते गए और स्थिति असहनीय हो गई। एक बुजुर्ग महिला ने भावुक होकर कहा, “हमने कभी सोचा भी नहीं था कि यह सड़क फिर से इतनी खुली और साफ दिखाई देगी।” एक स्थानीय व्यापारी ने कहा, “हमारे ग्राहक रास्ते की भीड़ देखकर ही लौट जाते थे। अब उम्मीद है कि व्यापार भी सुधरेगा और भीड़भाड़ भी कम होगी।”

कार्रवाई सुबह से ही सुनियोजित तरीके से शुरू हुई। प्रशासन ने तय किया कि बिना पूर्व सूचना के एक भी कदम आगे नहीं बढ़ाया जाएगा, इसलिए जैसी प्रक्रिया सालों से अपनाई जा रही है, उसी के अनुरूप पहले मुनादी कराई गई। अवैध कब्जाधारियों को समय दिया गया कि वे खुद अपना अतिक्रमण हटाएँ। लेकिन जब चेतावनी के बावजूद अवैध ढाँचे नहीं हटे, तो संयुक्त दस्ता मौके पर पहुँचा और कार्रवाई को अंजाम दिया। भारी पुलिस बल, अधिकारीगण तथा नगर निगम का अतिक्रमण दस्ता पूरी सावधानी के साथ तैनात रहा ताकि पूरा काम शांतिपूर्ण माहौल में किया जा सके।

जब पहले बुलडोज़र ने जर्जर टीन शेड को गिराया, तो आसपास खड़े लोग काफी देर तक दृश्य को देखते रह गए। कई स्थानीय निवासी इस कार्रवाई को अपने लिए किसी राहत से कम नहीं मान रहे थे। वर्षों से यह मार्ग अवरोधों, भीड़भाड़ और अव्यवस्था से जूझता रहा था। फुटपाथ लगभग गायब हो चुके थे, कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राओं को रोजाना संकरे रास्तों में वाहन से बचते-बचाते निकलना पड़ता था। आज पहली बार उन्होंने खुली, व्यवस्थित और सुरक्षित सड़क देखी। कई लोगों की प्रतिक्रिया थी—“आज शहर ने असली राहत महसूस की है।”

आईटीआई कॉलेज से जुड़े लोग तो मानो इस निर्णय से बेहद उत्साहित दिखे। संयुक्त संचालक बी.एस. पनिका, प्राचार्य अर्पित शुक्ला और कॉलेज प्रबंधन के अन्य सदस्यों ने निगमायुक्त से मुलाकात कर धन्यवाद व्यक्त किया। उनके शब्दों में भावनाओं की सच्चाई भी झलक रही थी—“यह कार्रवाई सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि बच्चों और नागरिकों के हित में एक ऐतिहासिक कदम है। सुरक्षित और खुला मार्ग न केवल यातायात को सुगम बनाएगा, बल्कि हमारे छात्र-छात्राओं के लिए एक स्वच्छ, व्यवस्थित और बेहतर वातावरण भी सुनिश्चित करेगा।”

निगमायुक्त रामप्रकाश अहिरवार ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह अभियान एक दिन का नहीं है बल्कि शहर को व्यवस्थित और सुरक्षित बनाने की निरंतर प्रक्रिया का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि हर कार्रवाई से पहले मुनादी की जाती है और लोगों को वैकल्पिक व्यवस्था के लिए समय दिया जाता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आने वाले दिनों में और भी ऐसे मार्गों तथा क्षेत्रों को अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा ताकि शहर को जाम, दुर्घटनाओं और अनियोजित विकास की समस्या से मुक्ति मिल सके।

इस कार्रवाई का सबसे बड़ा असर उन छात्रों पर देखने को मिलेगा जो रोज इसी मार्ग से आईटीआई कॉलेज पहुंचते हैं। अब उन्हें संकरी लेन, ओवरलोडेड ठेलों, अवैध पार्किंग और असुरक्षित मोड़ों से नहीं गुजरना पड़ेगा। कॉलेज के कई छात्रों ने प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अब उन्हें लगता है कि शहर वास्तव में उनके लिए बदल रहा है। स्वच्छता, सुरक्षा और सुगमता किसी भी आधुनिक शहर की बुनियादी ज़रूरत है, और यह कार्रवाई उसी दिशा में निर्णायक कदम है।

कार्रवाई पूरा होने के बाद जब लोग नये मार्ग पर चले, तो उनके चेहरे पर एक अजीब-सा उत्साह और राहत दिखी। ऐसा लगा जैसे प्रशासन ने केवल अतिक्रमण नहीं हटाया, बल्कि उन्हें वह शहर वापस लौटा दिया जिसे वे धीरे-धीरे खोते हुए महसूस कर रहे थे। सड़कें केवल रास्ते नहीं होतीं; वे शहर की धड़कन होती हैं। जब रास्ते साफ होते हैं, तो नागरिकों के भीतर भी एक नई ऊर्जा और उम्मीद जागती है।

आज का दिन जबलपुर के लिए इसलिए विशेष बन गया क्योंकि इस कार्रवाई को केवल सरकारी कार्रवाई के तौर पर नहीं, बल्कि शहर और नागरिकों की साझी जीत के रूप में देखा गया। लोगों ने खुलकर कहा कि यह वही काम है जिसे करने की हिम्मत शायद किसी ने पहले नहीं दिखाई। लेकिन जब प्रशासन, पुलिस और नगर निगम एकजुट हों, तो बदलाव असंभव नहीं रहता। शहर की भीड़भाड़, धूल-धक्कड़, दुर्घटनाओं और अव्यवस्था से लड़ाई में यह कदम मील का पत्थर साबित होगा—ऐसा विश्वास अब शहरवासियों में साफ दिखता है।

जबलपुर आज एक नई शुरुआत का गवाह बना—एक ऐसी शुरुआत, जिसमें शहर अपने पुराने बोझों को उतारकर आगे बढ़ने की तैयारी कर रहा है।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-