रांची.अफ्रीका के दूरस्थ देश कैमरून में नारकीय जीवन जी रहे झारखंड के पांच मजदूरों की घर वापसी की खबर ने पूरे राज्य को राहत की सांस दी है. हजारीबाग और गिरिडीह जिलों के ये श्रमिक, जो बेहतर भविष्य की आस में इस साल के शुरू में निर्माण कार्य के लिए सुदूर कैमरून गए थे, अब गुरुवार तक अपनी मातृभूमि लौटने वाले हैं. उनका यह सफर उम्मीद से शुरू हुआ था, लेकिन जल्द ही यह एक भयानक दुःस्वप्न में बदल गया.
इन मजदूरों ने जो आपबीती सुनाई है, वह किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को झकझोर सकती है. उन्होंने आरोप लगाया है कि जिस कंपनी के लिए वे काम कर रहे थे, उसने उन्हें न तो उनके वादे के अनुसार वेतन दिया और न ही जीवन जीने की बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराईं. स्थिति इतनी विकट हो गई थी कि उन्हें कई दिनों तक भूखे पेट रहना पड़ा और उन्हें जीवन के लिए संघर्ष करना पड़ा. उनका यह दर्द दुनिया तक पहुंचाने का एकमात्र जरिया बना उनके द्वारा पिछले सप्ताह साइट से भेजे गए हृदय विदारक वीडियो. इन वीडियो में श्रमिकों की बेबसी और आंसू ने मानवता को एक बड़ा प्रश्न चिन्ह दिया.
जब इन विचलित कर देने वाले दृश्यों और खबरों ने देश में हलचल मचाई, तब जाकर झारखंड सरकार ने तुरंत कार्रवाई की. श्रमिकों के परिजनों की गुहार और मीडिया में आई खबरों को संज्ञान में लेते हुए, राज्य सरकार ने विदेश मंत्रालय और अन्य संबंधित एजेंसियों के साथ मिलकर इन पांचों मजदूरों को सुरक्षित वापस लाने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास शुरू किए.
यह सिर्फ पांच व्यक्तियों की कहानी नहीं है, बल्कि यह उन हजारों भारतीय श्रमिकों की अनकही गाथा है जो बेहतर मजदूरी के लालच में विदेशी धरती पर जाते हैं और फिर शोषण और दुर्व्यवहार का शिकार हो जाते हैं. इन मजदूरों की सकुशल वापसी निश्चित रूप से एक बड़ी जीत है, लेकिन यह घटना विदेशों में काम कर रहे भारतीय कामगारों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए एक मजबूत तंत्र की आवश्यकता पर जोर देती है.
फिलहाल, पूरा झारखंड अपने बेटों की वापसी का बेसब्री से इंतजार कर रहा है. हजारीबाग और गिरिडीह के इन परिवारों के लिए गुरुवार का दिन किसी त्योहार से कम नहीं होगा, जब उनके अपने, कैमरून के उस भयानक ‘जेल’ से मुक्त होकर, उनके गले लगेंगे. ये श्रमिक भले ही बिना कमाई के लौट रहे हों, लेकिन उनकी जिंदगी सलामत है, यही सबसे बड़ी राहत है. राज्य सरकार के हस्तक्षेप ने इन पांच जिंदगियों को नया सवेरा दिया है, और यह खबर उन सभी श्रमिकों के लिए आशा की किरण है जो कहीं भी फंसे हुए हैं.
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