नाले के पानी से उगाई जा रही सब्जियों के मामले में हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान, नगर निगम की ट्रीटमेंट व्यवस्थाओं की मांगी रिपोर्ट

नाले के पानी से उगाई जा रही सब्जियों के मामले में हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान, नगर निगम की ट्रीटमेंट व्यवस्थाओं की मांगी रिपोर्ट

प्रेषित समय :15:20:09 PM / Thu, Dec 4th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर. एमपी के जबलपुर में नाले के गंदे व जहरीले पानी से सब्जियां उगाए जाने के मामले में हाईकोर्ट द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई हुई.

हाईकोर्ट ने सरकार और नगर निगम से पूछा है कि नालों और घरों से निकलने वाले सीवेज वाटर के ट्रीटमेंट के संबंध में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा गठित समिति की अनुशंसाओं पर अब तक क्या कार्रवाई की गई है. इस संबंध में सरकार और निगम प्रशासन को हलफनामा पेश करना होगा. चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने अगली सुनवाई 18 दिसंबर को निर्धारित की है. सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और पुष्पेंद्र शाह ने कोर्ट को बताया कि एनजीटी की संयुक्त जांच समिति ने जबलपुर शहर के नालों की स्थिति और उनकी वॉटर ट्रीटमेंट व्यवस्था पर रिपोर्ट प्रस्तुत की है. रिपोर्ट के अनुसार जबलपुर में प्रतिदिन 174 मेगालीटर वेस्ट वाटर नालों में गिरता है. जिसमें से नगर निगम अपने 13 सीवेज प्लांटों के माध्यम से केवल 58 मेगालीटर पानी का ही ट्रीटमेंट कर पाता है.

यह ट्रीटेड पानी नर्मदा और हिरन नदी में मिलाया जाता है. प्लांटों की कुल क्षमता 154.38 मेगा लीटर प्रतिदिन हैए जिसके संचालन और विस्तार हेतु समय.समय पर करोड़ों रुपए की राशि आवंटित भी की गई है. हाल ही में नगर निगम जबलपुर को अमृत 2.0 सीवर योजना अंतर्गत 1202.38 करोड़ रुपए की स्वीकृति मिली है. कोर्ट मित्र ने सुझाव दिया कि खुले नालों को ढककर और उनका पानी पूरी तरह ट्रीटमेंट के बाद ही शहर से बाहर ले जाकर नदी में मिलाया जाना चाहिए. समिति ने भी यही सिफारिशें की हैं. नालों के गंदे पानी से सब्जियां उगाए जाने की प्रवृत्ति पर कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की. समाचारों पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर सुनवाई प्रारंभ की और कलेक्टर सहित संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब.तलब किया.

दूषित पानी से की जा रही खेती-

जबलपुर में कछपुरा व विजय नगर से लेकर कचनारी व आसपास के क्षेत्रों में ओमती नाले के गंदे पानी से सब्जियां उगाई जाती हैं. इसी प्रकार गोहलपुर से बेलखाड़ू के बघौड़ा और उसके आसपास के गांवों में मोती नाले के दूषित पानी का उपयोग खेती में किया जा रहा है. नालों के इस प्रदूषित पानी में घुले विषैले तत्व लोगों की सेहत के लिए गंभीर खतरा बन रहे हैं. इस तरह की खेती पर रोक लगाने की मांग लंबे समय से उठ रही है. लेकिन संबंधित अधिकारी कार्रवाई से बचते हुए एक.दूसरे पर जिम्मेदारी टाल रहे हैं. यह भी दलील दी गई कि नालों में सीवेज की गंदगी के साथ सबसे अधिक पानी डिटर्जेंट का ही होता है. डिटर्जेंट में सोडियम कार्बोनेट मिला होता है. इसमें हाइपरटेंशन, पोटेशियम की कमी, गैस, सूजन सरदर्द व एलर्जी जैसे रोग होते हैं. वही डिटर्जेंट में झाग बनने के लिए सोडियम लारेथ सल्फेट का उपयोग होता हैए जिससे त्वचा में जलन, मुंहासे, मुंह के छाले व कैंसर भी हो सकते हैं. डिटर्जेंट में दाग हटाने के लिए एल्काइल, बेंजीन सल्फोनेट का प्रयोग बेहद किया जाता है. इससे पानी और मिट्टी को नुकसान होता है. पानी की गुणवत्ता में कमी आती है और मिट्टी अपनी उर्वरता खो देती है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-