नेटिजन ने उजागर किया BCCI और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के ब्रॉडकास्ट क्वालिटी का चौंकाने वाला अंतर

नेटिजन ने उजागर किया BCCI और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के ब्रॉडकास्ट क्वालिटी का चौंकाने वाला अंतर

प्रेषित समय :21:38:55 PM / Thu, Dec 4th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

मुंबई. भारतीय क्रिकेट प्रसारण की गुणवत्ता को लेकर सोशल मीडिया पर एक गंभीर बहस छिड़ गई है। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक उपयोगकर्ता “@ragav_x” ने BCCI और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (CA) के प्रसारण सेटअप की तुलना करते हुए दावा किया है कि भारतीय दर्शकों को आज भी पुरानी तकनीक से तैयार प्रसारण देखना पड़ता है, जबकि ऑस्ट्रेलिया आधुनिकतम साधनों का उपयोग करता है।

नेटिजन के अनुसार क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया अपने घरेलू मुकाबलों का प्रसारण नेेटिव 4K HDR में करता है, जिसमें रंग अधिक स्पष्ट, तस्वीर अधिक धारदार और मोशन 50p प्रोग्रेसिव के कारण बेहद स्मूद होता है। इसके विपरीत BCCI अब भी अपने घरेलू मैच 1080i HD इंटरलेस्ड फ़ॉर्मेट में दिखाता है, जो अक्सर धुंधला, कम स्थिर और विवरण में कमजोर प्रतीत होता है।

तकनीकी अंतर यहीं तक सीमित नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार CA के आउटसाइड ब्रॉडकास्ट ट्रक 12G-SDI और IP इंफ्रास्ट्रक्चर पर चलते हैं, जो हाई-रेज़ोल्यूशन वर्कफ़्लो के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इसके उलट भारत में कई प्रसारण अब भी दस साल पुराने HD फ्लाइपैक्स पर निर्भर बताए जा रहे हैं।

कैमरा तकनीक में भी बड़ा अंतर बताया गया है। ऑस्ट्रेलिया के पास Sony HDC-4300 और 5500 जैसे ट्रू-4K कैमरे, 300 fps तक के हाई-स्पीड स्लो मोशन सेटअप और 600 fps तक के अल्ट्रा-मोशन सिस्टम मौजूद हैं। दूसरी ओर, कई भारतीय प्रसारण यूनिट्स अब भी पुराने HD कैमरों का प्रयोग करती हैं, जिनमें फ्रेम रेट और विवरण क्षमता सीमित होती है।

इसका असर सिर्फ तस्वीर की गुणवत्ता पर नहीं, बल्कि गेंद की सीम मूवमेंट, स्विंग ट्रैकिंग और रिप्ले विश्लेषण पर भी पड़ता है। जहां CA छह हाई-स्पीड कैमरों वाली विशिष्ट ट्रैकिंग प्रणाली और 100-कैमरा 360-डिग्री रिप्ले सेटअप तक का उपयोग करता है, वहीं भारत में कई बार बेसिक HD एंगलों पर ही निर्भर रहना पड़ता है, जिससे पुनर्प्रspर्धाएँ कम प्रभावी दिखती हैं।

विशेषज्ञों की टीम में भी फर्क बताया गया है। ऑस्ट्रेलिया कैमरा ऑपरेशन, शेडिंग, इंजीनियरिंग और रिप्ले जैसे अलग-अलग कार्यों के लिए बड़ी और उच्च प्रशिक्षित टीमों का उपयोग करता है, जिसके कारण रंग संतुलन से लेकर लाइटिंग तक हर फ्रेम पेशेवर दिखता है। BCCI के छोटे दलों पर आरोप है कि वे तेज़ी से बदलती मैच स्थितियों में उतनी स्थिर गुणवत्ता नहीं दे पाते।

ऑस्ट्रेलिया पूरा प्रसारण HDR में तैयार करता है, जिसके कारण रंग स्वाभाविक और रोशनी संतुलित रहती है। दूसरी ओर भारत में SDR प्रसंस्करण के दौरान कई बार हाइलाइट्स ज्यादा चमकीले और शैडोज़ दबे हुए दिखते हैं। इतना ही नहीं, चैनल या स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म तक पहुँचने से पहले 1080i फीड और भी ज्यादा कंप्रेस हो जाती है, जिससे बारीक विवरण खो जाते हैं।

नेटिजन ने ICC विश्व कप 2023 का उदाहरण देते हुए कहा कि जब ICC ने खुद भारत में प्रोडक्शन संभाला था, तो वही स्टेडियम कहीं अधिक प्रोफेशनल और तेज़ दिख रहे थे। इससे यह साबित होता है कि समस्या स्थलों में नहीं, बल्कि प्रसारण की तकनीक और निवेश में है।

आलोचना यह भी है कि BCCI के पास भारी संसाधन होने के बावजूद—ICC की कमाई में 40% हिस्सेदारी, घरेलू मीडिया अधिकारों से 720 मिलियन डॉलर और IPL से 6 बिलियन डॉलर की आमदनी—प्रसारण इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने पर अपेक्षित निवेश नहीं किया गया।

पोस्ट में निष्कर्ष के रूप में कहा गया कि भारतीय फैंस, जो वैश्विक क्रिकेट दर्शकों का सबसे बड़ा हिस्सा हैं, उस स्तर की टीवी और डिजिटल ब्रॉडकास्ट क्वालिटी के हकदार हैं जो दुनिया में सर्वश्रेष्ठ मानी जाए।

पोस्ट के अंत में लेखक ने लिखा—
“Indian fans and Indian cricket deserve much better than this..!”

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-