जबलपुर. एमपी के जबलपुर में कोरोना काल के दौरान 100 करोड़ का राशन घोटाला हुआ था. जिसे लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. मामले पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने कहा की इस मामले में संयुक्त जांच समिति की सिफारिश पर राज्य सरकार ने दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी है. ऐसे में अब आगे कोई भी निर्देश कोर्ट नहीं दे सकता हैए लिहाजा यह कहते हुए बेंच ने याचिका का निराकरण कर दिया है.
जबलपुर निवासी एडवोकेट विनोद सिसोदिया की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए बताया गया कि कोविड-19 के दौरान जब गरीबों को अतिरिक्त राहत देने की जरूरत थी. उस समय संबंधित अधिकारियों ने सिस्टम में खाद्यान्न की मात्रा घटा दी, जिससे हजारों लाभार्थियों को पूरा राशन नहीं मिल सका. याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाए कि गरीबों के लिए भेजे गए गेहूं, चावल, नमक, शक्कर और केरोसिन जैसे उत्पादों को अधिकारियों ने अपनी पर्सनल आईडी का दुरुपयोग करके खाद्यान्न को खुले बाजार में बेच दिया. इस मामले में शिकायत भी की गईए लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो मजबूर होकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करनी पड़ी. चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए सरकार का पक्ष सुनने के बाद याचिका का निराकरण कर दिया है.
सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता विवेक शर्मा ने कोर्ट को बताया कि घोटाला की जानकारी मिलने पर सरकार ने संयुक्त जांच समिति गठित की जांच में प्रथम दृष्टया आरोप सही पाए गए. इसके बाद 4 सितंबर को जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई. हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा चाही गई राहत पूरी हो चुकी है, लिहाजा अब मामले पर आगे सुनवाई करना उचित नहीं है. हालांकि कोर्ट ने याचिकाकर्ता को यह भी राहत दी है कि वो जिम्मेदार जिनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है, उनके लिए पुन: याचिका दायर कर सकते है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मनीष वर्मा का कहना है कि उनके द्बारा मुद्दा उठाए जाने के बाद राज्य सरकार ने एफआईआर दर्ज की है. उनका कहना है कि यह घोटाला सिर्फ एक जिले में ही नहीं बल्कि 22 जिलों में हुआ हैए और यह करोड़ों का घोटाला है. लिहाजा इस मामले में अब जल्द ही आगे कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

