जबलपुर. प्रदेश के जबलपुर में शराब की दुकानों पर ग्राहकों से मनमाने और निर्धारित मूल्य (MRP) से अधिक दाम वसूलने का गोरखधंधा पिछले कई महीनों से बड़े पैमाने पर चल रहा था, जिस पर जिला प्रशासन ने एक अत्यंत गोपनीय और सख्त कार्रवाई कर न सिर्फ इस अवैध कारोबार की जड़ों को हिला दिया है, बल्कि जनता की वर्षों पुरानी शिकायत को भी न्याय दिलाया है. इस पूरे मामले की जांच और कार्रवाई में जो तथ्य सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं. जांच में पता चला है कि शराब कारोबारियों ने ग्राहकों से ओवरचार्जिंग करके 100 करोड़ रुपये से भी अधिक की भारी-भरकम अवैध वसूली की है, जिसने पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा दिया है और जनता की उत्सुकता को चरम पर पहुंचा दिया है.
इस बड़े खुलासे के पीछे जिला कलेक्टर का एक मास्टरस्ट्रोक 'अंडरकवर ऑपरेशन' रहा. लगातार मिल रही शिकायतों और आबकारी विभाग की संदिग्ध चुप्पी को देखते हुए, कलेक्टर ने सीधे हस्तक्षेप किया. उन्होंने आबकारी विभाग को इस ऑपरेशन से बाहर रखते हुए, राजस्व विभाग के पटवारियों की एक गोपनीय टीम तैयार की. इन पटवारियों को आम ग्राहक बनाकर शहर की 22 लाइसेंसी शराब दुकानों पर भेजा गया. ये गुप्त ग्राहक बनकर गए और विभिन्न ब्रांड की शराब खरीदी, जिसका रिकॉर्ड और बिल उन्होंने सबूत के तौर पर जुटाया. इस सटीक और गोपनीय जाँच के नतीजे ने सभी को स्तब्ध कर दिया: जांच में शामिल 22 में से 19 दुकानें निर्धारित मूल्य (MRP) से 10% से 30% तक अधिक दाम वसूल रही थीं. यह खुलासा इस बात का प्रमाण था कि ओवरचार्जिंग का यह खेल संगठित और सुनियोजित तरीके से चलाया जा रहा था.
जैसे ही जांच रिपोर्ट कलेक्टर के सामने आई, प्रशासन ने बिना किसी देरी के त्वरित और सख्त कार्रवाई शुरू कर दी. दोषी पाए गए शराब ठेकेदारों पर करोड़ों रुपये का भारी-भरकम जुर्माना ठोका गया. कुछ मामलों में तो जुर्माना राशि ₹1 करोड़ तक पहुंच गई, जो मध्य प्रदेश में शराब ठेकेदारों पर हुई सबसे बड़ी दंडात्मक कार्रवाई में से एक है. जुर्माने की यह राशि इस बात का प्रमाण है कि अवैध वसूली का यह खेल कितने बड़े पैमाने पर चल रहा था. प्रशासन ने जुर्माने की कार्रवाई तक ही खुद को सीमित नहीं रखा है. उन्होंने पूरी जांच रिपोर्ट और साक्ष्यों के साथ राज्य सरकार को एक विस्तृत सिफारिश भेजी है, जिसमें दोषी दुकानों के लाइसेंस तत्काल रद्द करने और अन्य कठोर कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है. यह कदम जबलपुर प्रशासन के सख्त रुख को दर्शाता है, जिसने ओवरचार्जिंग के खिलाफ एक नज़ीर पेश की है.
इस पूरे अवैध कारोबार की एक और चौंकाने वाली परत यह है कि यह धांधली केवल नकद लेनदेन तक सीमित नहीं थी. जांच में सामने आया कि जब ग्राहक UPI या अन्य ऑनलाइन भुगतान माध्यमों का उपयोग कर रहे थे, तब भी उनसे तय कीमत से अधिक राशि वसूली जा रही थी. यह दर्शाता है कि यह संगठित लूट आधुनिक तकनीक का उपयोग करके भी ग्राहकों को ठगने का काम कर रही थी. जबलपुर में हुई इस कार्रवाई ने न केवल स्थानीय जनता को राहत दी है, बल्कि पूरे प्रदेश के शराब माफिया में खलबली मचा दी है. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (जबलपुर) ने भी हस्तक्षेप किया है. ओवरचार्जिंग के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए, हाईकोर्ट ने इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लिया है और राज्य सरकार तथा आबकारी विभाग से कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है. हाईकोर्ट ने प्रशासन को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में किसी भी कीमत पर ओवरचार्जिंग न हो और दोषी ठेकेदारों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो. प्रशासन द्वारा आबकारी विभाग को दरकिनार कर राजस्व विभाग का उपयोग करके की गई यह अनोखी कार्रवाई भविष्य में अन्य घोटालों को उजागर करने का एक नया रास्ता दिखा सकती है. जनता अब इस बात का बेसब्री से इंतजार कर रही है कि प्रशासन कब इन दोषी दुकानों के लाइसेंस रद्द करने की निर्णायक कार्रवाई करता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

