भारत की तूफानी जीत, यशस्वी जायसवाल का शतक, कोहली–रोहित की चमक से सीरीज भारत की झोली में

भारत की तूफानी जीत, यशस्वी जायसवाल का शतक, कोहली–रोहित की चमक से सीरीज भारत की झोली में

प्रेषित समय :21:09:29 PM / Sat, Dec 6th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

विशाखापत्तनम. खेले गए तीसरे वनडे मैच ने भारतीय क्रिकेट कैलेंडर के इस वर्ष को एक चकाचौंध भरे समापन के साथ विदा किया. भारत ने दक्षिण अफ्रीका द्वारा दिए गए 271 रन के लक्ष्य को महज़ 40 ओवर के भीतर पीछा कर लिया और नौ विकेट से धमाकेदार जीत दर्ज करते हुए सीरीज अपने नाम की. यह मुकाबला शुरुआत से अंत तक भारतीय बल्लेबाजों और गेंदबाजों की रणनीति, ऊर्जा और अंदाज़ का ऐसा मिश्रण था जिसने हर ओवर के साथ दर्शकों के रोमांच को बढ़ाया. सबसे आगे रहे युवा ओपनर यशस्वी जायसवाल, जिन्होंने अपने करियर का पहला शतक लगाकर मैच को एकतरफा बना दिया और खुद को अंतरराष्ट्रीय मंच पर फिर से साबित कर दिया.

मैच की शुरुआत दक्षिण अफ्रीका के लिए थोड़ी धीमी और संभलकर हुई थी, लेकिन जल्द ही क्विंटन डी कॉक ने अपनी लय पकड़ी और 50 रन पूरे करते ही भारतीय गेंदबाजी पर प्रहार शुरू कर दिया. प्रसीद कृष्णा पर पहले छह और फिर लगातार दो छक्कों ने मेहमान टीम की मंशा साफ कर दी थी कि वे बड़ा लक्ष्य बनाने के इरादे से उतरे हैं. डी कॉक ने शानदार स्ट्रोक्स के साथ शतक जड़ा और कुछ समय तक भारतीय गेंदबाजों को कंट्रोल में आने का मौका ही नहीं दिया. कप्तान बावुमा 48 रन पर आउट हुए, जिनका विकेट रवींद्र जडेजा ने चतुराई से लिया. वहीं मार्करम, ब्रेटज़के और बाद में जैनसन व ब्रेविस जैसे बल्लेबाजों को भारत ने समय-समय पर झटके देते हुए रनगति पर अंकुश लगाए रखा.

भारत की सफलता के केंद्र में रहे कुलदीप यादव और प्रसीद कृष्णा. कुलदीप ने एक ही स्पेल में ब्रेविस, जैनसन और फिर कॉर्बिन बॉश को आउट कर दक्षिण अफ्रीका की मध्य पंक्ति को तोड़ दिया. इस बीच विराट कोहली का जश्न भरा डांस, जिसने बॉश के विकेट पर मैदान में हलचल पैदा कर दी, सोशल मीडिया पर लाइव अपडेट्स के साथ वायरल होता चला गया. दूसरी तरफ, प्रसीद कृष्णा ने शुरू से ही अपना आक्रामक अंदाज़ बनाए रखा—पहले रिकेलटन, फिर मार्करम और उसके बाद डी कॉक को बोल्ड कर उन्होंने मैच को भारत की तरफ मोड़ दिया.

दक्षिण अफ्रीका की पारी 270 पर सिमटी और भारतीय टीम अपने आखिरी वनडे मुकाबले में chasing के लिए मैदान पर उतरी, जिसमें कप्तान रोहित शर्मा और युवा ओपनर यशस्वी जायसवाल की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा थी. पहले ओवर से ही रन बनाते हुए दोनों बल्लेबाजों ने मैच की लय अपने हाथ में ले ली. शुरुआती 8 रन और फिर चीते की तरह पिच पर फिसलते शॉट्स ने संदेश दे दिया था कि भारतीय बल्लेबाजों को इस लक्ष्य के सामने किसी दबाव का अहसास नहीं हो रहा. रोहित शर्मा के क्लासिक कवर ड्राइव, पुल शॉट्स और हवा में तैरते छक्के दर्शकों के बीच वही पुराना भरोसा जगाते रहे कि यह chase भारत आसानी से कर जाएगा.

यशस्वी शुरुआत में थोड़े सतर्क दिखे, लेकिन जैसे-जैसे गेंद पुरानी होती गई उनका बल्ला तलवार की तरह चलने लगा. पहला सिक्स लगते ही मैदान में गूँज बढ़ गई. पावरप्ले में भारत ने बिना विकेट 48 रन बना लिए थे, जो इस सीरीज की सबसे बेहतरीन शुरुआत थी. दोनों के बीच पहला 50 रन का ओपनिंग पार्टनरशिप भी इसी मुकाबले में देखने को मिला. रोहित शर्मा अपने अर्धशतक के बाद जब 75 रन पर आउट हुए तो भारतीय दर्शकों ने यशस्वी के लिए तालियाँ और भी तेज़ कर दीं.

दूसरे छोर पर विराट कोहली ने आते ही वही पुरानी ऊर्जा, तेज़ी और स्ट्राइक रोटेशन दिखाया जिसकी वजह से वे chase के मास्टर कहे जाते हैं. 45 गेंदों पर उनकी 65 रन की पारी उस क्लास का उदाहरण बन गई जो हर पीढ़ी के बल्लेबाज सीखना चाहते हैं. कोहली ने एक के बाद एक बाउंड्री लगाते हुए पारी को न सिर्फ संभाला बल्कि गति भी दी. मैच के अंतिम ओवरों में उनके 4 और 4 ने मैच को औपचारिक बना दिया.

इस बीच, यशस्वी जायसवाल जब 90s में पहुंचे तो हर गेंद पर उत्सुकता चरम पर थी. आखिरकार एक खूबसूरत चौके के साथ उन्होंने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय शतक पूरा किया और सिर उठाकर आसमान की ओर देखने के बाद बल्ला उठाया—मानो यह सिर्फ शतक नहीं, बल्कि एक वादा हो कि भारतीय क्रिकेट का भविष्य सुरक्षित हाथों में है. 116* रन की उनकी यह पारी भारतीय क्रिकेट बीते वर्षों की बेहतरीन युवा पारियों में गिनी जाएगी. उन्होंने मैदान के हर कोने में शॉट लगाए, स्कूप खेले, कवर पर चौके मारे और जरूरत पड़ने पर स्ट्राइक भी घुमाई.

मैच के आखिरी पलों में कोहली ने लगातार दो चौकों के साथ chase को समाप्त किया और भारतीय टीम 9 विकेट खोए बिना विजयी रही. यह प्रदर्शन सिर्फ एक जीत नहीं बल्कि उस आत्मविश्वास की पुष्टि थी जिसकी भारत को इस साल के अंत में जरूरत थी. गेंदबाजी में शार्दूल ठाकुर की सधी हुई लाइन-लेंथ, अरशदीप सिंह की शुरुआती स्विंग और हार्दिक जैसे खिलाड़ियों की विशेषज्ञता ने टीम के संतुलन को और मजबूत किया.

इस जीत ने न सिर्फ सीरीज भारत के नाम कर दी बल्कि पूरे साल के अंत को एक यादगार क्षण में बदल दिया. टीम इंडिया के लिए यह मैच इसलिए भी खास रहा क्योंकि यह रोहित शर्मा और विराट कोहली का इस साल का अंतिम अंतरराष्ट्रीय मुकाबला था. दोनों दिग्गजों का इस अंदाज़ में वर्ष समाप्त करना उनकी फिटनेस, फॉर्म और नेतृत्व क्षमता की भी पुष्टि करता है.

यशस्वी जायसवाल की चमक, कोहली की पैनी धार, रोहित का ठहराव और गेंदबाजों की रणनीतिक पकड़—इन सबने मिलकर विशाखापत्तनम को एक रंगमंच में बदल दिया जहां हर ओवर कहानी का नया मोड़ लाता रहा. भारत ने इस जीत के साथ वनडे क्रिकेट में अपने दबदबे को एक बार फिर साबित किया और यह संदेश दिया कि आने वाले वर्ष में भी उसकी योजनाएँ और उसका खेल उतना ही मजबूत रहेगा.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-