झारखंड हाईकोर्ट ने बालू घाटों के आवंटन पर लगी रोक को बरकरार रखा, राज्य सरकार से पेसा एक्ट लागू करने की समय-सीमा बताने को कहा

झारखंड हाईकोर्ट ने बालू घाटों के आवंटन पर लगी रोक को बरकरार रखा, राज्य सरकार से पेसा एक्ट लागू करने की समय-सीमा बताने को कहा

प्रेषित समय :21:52:16 PM / Sat, Dec 6th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अनिल मिश्र/रांची

झारखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश में बालू और अन्य लघु खनिज घाटों के आवंटन पर लगी रोक को यथावत रखते हुए राज्य सरकार से पेसा एक्ट लागू किए जाने की स्पष्ट समय-सीमा बताने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार से पूछा कि पेसा एक्ट का कानून कब तक तैयार कर लागू किया जाएगा, जबकि इस संबंध में अब तक स्पष्टता नहीं दिखाई गई है।

अदालत में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बालू और लघु खनिज घाटों के आवंटन पर लगी रोक हटाने का आग्रह किया गया, यह तर्क देते हुए कि रोक से सरकारी राजस्व प्रभावित हो रहा है और कई विकासात्मक कार्य प्रभावित पड़ रहे हैं। हालांकि खंडपीठ ने सरकार का यह अनुरोध अस्वीकार करते हुए स्पष्ट कहा कि पेसा एक्ट पर स्थिति स्पष्ट किए बिना किसी तरह की ढील नहीं दी जा सकती।

गौरतलब है कि आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की ओर से दायर अवमानना याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार पेसा एक्ट को लागू करने में लापरवाही बरत रही है, जबकि यह कानून ग्राम सभाओं और आदिवासी समुदायों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पेसा एक्ट लागू न होने से न केवल संवैधानिक दायित्वों का उल्लंघन हो रहा है, बल्कि ग्रामीण संसाधनों पर समुदाय का नियंत्रण भी प्रभावित हो रहा है।

अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि पेसा कानून की तैयारी, मसौदा, प्रक्रिया और लागू करने की अनुमानित समय-सारणी का पूरा विवरण शपथ पत्र के रूप में प्रस्तुत किया जाए। खंडपीठ ने कहा कि सरकार को बताना होगा कि वह इस महत्वपूर्ण कानून को लागू करने में अब तक किस स्तर तक पहुँची है और आगे क्या कदम उठाने जा रही है।

मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को निर्धारित की गई है, जहाँ हाईकोर्ट सरकार द्वारा दायर शपथ पत्र पर आगे की कार्यवाही तय करेगा। कोर्ट के इस रुख से स्पष्ट है कि पेसा एक्ट लागू करने में देरी अब न्यायालय की कड़ी निगरानी में आएगी और बालू घाटों पर रोक तब तक बनी रहेगी जब तक सरकार कानून के क्रियान्वयन पर ठोस जवाब नहीं देती।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-