नई दिल्ली. कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने बेलगावी में जारी विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बुधवार को एक अहम कानून पारित किया. कर्नाटक हेट स्पीच और हेट क्राइम (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल) बिल, 2025 सदन में मंज़ूरी के बाद अब कानून बनने की ओर बढ़ गया है. सरकार का दावा है कि यह बिल राज्य में बढ़ती नफरत, भेदभाव और हिंसा की घटनाओं को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
सरकार का कहना है कि डिजिटल युग में नफरत फैलाने वाली सामग्री तेजी से फैलती है, ऐसे में कड़े कानून की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी. इस बिल के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो किसी व्यक्ति के धर्म, जाति, समुदाय, लिंग, यौन रुझान, जन्म स्थान, निवास, भाषा, विकलांगता या जनजाति के प्रति अपने पूर्वाग्रह या असहिष्णुता के कारण किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता है या नुकसान पहुंचाने के लिए उकसाता है या नफरत फैलाता है, वह हेट क्राइम का दोषी माना जाएगा.
इसमें कहा गया है, जो कोई भी हेट क्राइम करेगा, उसे तीन साल तक की कैद या 5,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों की सज़ा हो सकती है. हेट क्राइम का अपराध गैर-संज्ञेय और गैर-जमानती होगा और इसकी सुनवाई फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट द्वारा की जाएगी. बिल में ये भी कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो जानबूझकर कुछ भी प्रकाशित करता है, प्रसारित करता है या समर्थन करता है या एक या ज़्यादा लोगों से इस तरह से बात करता है जिससे यह साफ़ तौर पर लगे कि उसका इरादा धर्म, जाति, भाषा, समुदाय और अन्य सहित इन आधारों में से किसी एक के आधार पर नुकसान पहुंचाना या नुकसान पहुंचाने के लिए उकसाना या नफऱत फैलाना है, वो सजा का हकदार होगा. इसमें वैसे व्यक्ति भी शामिल होंगे जो इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन पर ऐसी चीज़ें प्रोड्यूस करते हैं या उपलब्ध कराते हैं, जो कोई भी एक्सेस कर सकता है और साथ ही किसी खास व्यक्ति तक पहुंचाई जाती है या उसे निर्देशित की जाती है जिसे हेट स्पीच का शिकार माना जा सकता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

