CBSE करेगा कक्षा 6 से 9वीं तक के छात्रों की समझ का आकलन, आज से शुरू हुई मूल्यांकन परीक्षा

CBSE करेगा कक्षा 6 से 9वीं तक के छात्रों की समझ का आकलन, आज से शुरू हुई मूल्यांकन परीक्षा

प्रेषित समय :22:26:30 PM / Wed, Dec 10th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कक्षा 6 से 9वीं तक के छात्रों के लिए सफल मूल्यांकन परीक्षा की शुरुआत कर दी है, जो नई शिक्षा नीति 2020 की प्रमुख शिक्षण अवधारणाओं को धरातल पर उतारने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। बोर्ड ने घोषणा की है कि इस मूल्यांकन का मुख्य उद्देश्य छात्रों की वास्तविक विषय-समझ, विश्लेषण क्षमता और सीखने की योग्यता का आकलन करना है। आज की तेज़ी से बदलती शिक्षा प्रणाली के साथ तालमेल बैठाने के लिए CBSE लगातार इस बात पर जोर दे रहा है कि बच्चों की सीखने की प्रक्रिया रटने की बजाय समझ और अनुप्रयोग पर आधारित हो। इसी सोच को सशक्त करने हेतु सफल मूल्यांकन परीक्षा की शुरुआत हुई है, जिसने पहले ही दिन स्कूलों और अभिभावकों दोनों के बीच उत्सुकता बढ़ा दी है।

अब तक शिक्षा व्यवस्था में अक्सर यह देखा जाता रहा है कि छात्र परीक्षाओं में अच्छे अंक लाने के लिए विषयों को रटने पर अधिक ध्यान देते थे। लेकिन नई शिक्षा नीति ने इस प्रवृत्ति को बदलने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि बच्चा कितना सीख रहा है, कितनी गहराई से समझ रहा है, और वह अपनी समझ को वास्तविक जीवन में कैसे लागू कर सकता है—इन सभी बिंदुओं का सटीक मूल्यांकन हो सके। इसी दिशा में CBSE का सफल मूल्यांकन एक महत्वपूर्ण पहल है। बोर्ड ने स्कूलों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि यह परीक्षा किसी भी प्रकार का प्रतिस्पर्धात्मक दबाव पैदा करने के लिए नहीं बनाई गई है बल्कि इसका उद्देश्य छात्रों की बौद्धिक प्रगति को करीब से समझना है।

इस परीक्षा का आयोजन पेन और पेपर मोड में किया जा रहा है, जिसकी शुरुआत 8 दिसंबर से हो चुकी है। बोर्ड ने इसका विस्तृत शेड्यूल पहले ही स्कूलों को भेज दिया है, जिसके अनुसार कक्षा 9 के छात्रों की विज्ञान की परीक्षा आज ली गई। आने वाले दिनों में भाषा और गणित जैसी विषयवार परीक्षाएँ होंगी। कक्षा 6 के छात्रों के लिए भी परीक्षा का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है—11 दिसंबर को पर्यावरण विज्ञान, 15 दिसंबर को भाषा और 16 दिसंबर को गणित की परीक्षा आयोजित होगी। इस क्रमिक व्यवस्था का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि छात्रों को पर्याप्त समय और सहज वातावरण में परीक्षा देने का अवसर मिल सके।

मूल्यांकन प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका स्कूलों की ही होगी। बोर्ड ने यह साफ कर दिया है कि छात्रों के अंक कहीं भी जमा नहीं किए जाएंगे, बल्कि स्कूल ही अपने स्तर पर परिणामों का विश्लेषण करेंगे। इससे शिक्षकों को अपने छात्रों की सीखने की क्षमता को और बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी और वे यह तय कर पाएंगे कि किस छात्र को किस क्षेत्र में अधिक मार्गदर्शन की जरूरत है। साथ ही, यह व्यवस्था शिक्षकों को अपनी शिक्षण पद्धतियों में सुधार करने की दिशा में भी प्रेरित करेगी। यह परीक्षा न तो कोई प्रतियोगिता है, न ही इसका उद्देश्य छात्रों पर किसी भी तरह का अतिरिक्त बोझ डालना है। बल्कि यह बच्चों की सोच, अवलोकन क्षमता और विषयों को समझने की दक्षता को पहचानने का एक संवेदनशील प्रयास है।

परीक्षा प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए CBSE ने स्कूलों को एक डिजिटल लिंक उपलब्ध कराया है, जिसके जरिए वे परीक्षा से एक दिन पहले OMR शीट डाउनलोड कर प्रिंट कर सकते हैं। यह पूरी प्रक्रिया सरल और समयबद्ध रखी गई है ताकि स्कूल प्रशासन को किसी प्रकार की तकनीकी दिक्कत का सामना न करना पड़े। परीक्षा हिंदी और अंग्रेजी दोनों माध्यमों में आयोजित की जा रही है, जिससे सभी क्षेत्रों के छात्रों को समान अवसर प्राप्त हो सके।

सफल मूल्यांकन परीक्षा का सबसे बड़ा उद्देश्य यह समझना है कि क्या बच्चों में रटने की बजाय समझने की आदत विकसित हो रही है। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह का मूल्यांकन बच्चों की सीखने की दिशा को सकारात्मक रूप से बदल सकता है। जब छात्रों को पता होगा कि उनकी सिर्फ याद करने की क्षमता नहीं, बल्कि समझ, विश्लेषण और आलोचनात्मक सोच का भी आकलन किया जाएगा, तो वे पढ़ाई को एक अलग दृष्टिकोण से अपनाएँगे। यह परीक्षा छात्रों को अपने विषयों की गहराई में उतरने के लिए प्रेरित करेगी और शिक्षक भी नई पद्धतियों के साथ शिक्षण प्रक्रिया को अधिक रचनात्मक बना पाएँगे।

नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद यह स्पष्ट है कि देश की शिक्षा प्रणाली अब धीरे-धीरे लेकिन दृढ़ता से ऐसे मॉडल की ओर बढ़ रही है जो वैश्विक मानकों के अनुरूप हो। समझ-आधारित शिक्षा आज की दुनिया की जरूरत है, जहाँ छात्रों से अपेक्षा की जाती है कि वे जटिल समस्याओं को समझें, समाधान ढूँढें और अपनी सोच को व्यवहार में लाएँ। CBSE का यह कदम इसी परिवर्तन को तेज करने की दिशा में उठाया गया है।

स्कूलों और अभिभावकों की प्रतिक्रिया भी इस पहल के प्रति सकारात्मक दिखाई दे रही है। कई अभिभावकों ने इसे बच्चों के सीखने के वास्तविक स्तर को समझने की बेहतरीन पहल कहा है। वहीं शिक्षक भी इसे एक अवसर के रूप में देख रहे हैं, जिससे उन्हें अपने छात्रों की ताकत और कमजोरी को बेहतर तरीके से जानने का मौका मिलेगा।

कुल मिलाकर सफल मूल्यांकन परीक्षा न सिर्फ परीक्षा पद्धति में बदलाव ला रही है बल्कि यह पूरे शिक्षण ढांचे में नई ऊर्जा का संचार कर रही है। यह बदलाव बच्चों को अधिक आत्मनिर्भर, तर्कसंगत और समझदार बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। CBSE की यह पहल आने वाले वर्षों में स्कूल शिक्षा को बेहतर और अधिक प्रभावी बनाने में अहम भूमिका निभा सकती है। नई नीति की भावना को धरातल पर उतारने की यह शुरुआत है, जिसकी सफलता आने वाले समय में देश के लाखों बच्चों के भविष्य को नई दिशा दे सकती है।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-