नई दिल्ली. भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण की सबसे बड़ी खबर ने पूरे देश के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर धूम मचा दी है. जिस ट्रेन का इंतजार लंबी दूरी के यात्री पिछले कई महीनों से कर रहे थे, उस 'वंदे भारत स्लीपर' ट्रेन सेट के पहले प्रोटोटाइप का लुक और आंतरिक डिजाइन आधिकारिक तौर पर सामने आते ही वायरल हो गया है. यह तस्वीरें सिर्फ एक ट्रेन के डिब्बे की नहीं, बल्कि भारत में रेल यात्रा के भविष्य की झलक हैं, जिसने प्रीमियम सफर की चाह रखने वाले यात्रियों की उत्सुकता को चरम पर पहुँचा दिया है. इस ट्रेन को लेकर हो रही चर्चाएँ बताती हैं कि यह जल्द ही देश की सबसे प्रतिष्ठित लंबी दूरी की ट्रेन, राजधानी एक्सप्रेस, के वर्चस्व को खुली चुनौती देगी.
रेल मंत्रालय के सूत्रों और सार्वजनिक किए गए प्रोटोटाइप तस्वीरों के विश्लेषण से पता चलता है कि वंदे भारत स्लीपर का डिजाइन पारंपरिक भारतीय रेल के डिब्बों से पूरी तरह अलग है. इसका मुख्य फोकस यात्री सुविधा, गोपनीयता और गति के संयोजन पर है. अंदरूनी हिस्से में एयरलाइन स्टाइल की लाइटिंग, बेहतर इन्फोटेनमेंट स्क्रीन और हर बर्थ के लिए व्यक्तिगत रीडिंग लाइट्स प्रदान की गई हैं, जो यात्रियों को एक विश्वस्तरीय अनुभव देने का वादा करती हैं. बर्थ की बनावट को एर्गोनॉमिक रूप से डिज़ाइन किया गया है, जिसमें सीटों के फोम और कुशन को विशेष रूप से लंबी यात्रा के आराम को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. यहाँ तक कि पारंपरिक दरवाजों को हटाकर सेंसर-आधारित स्वचालित दरवाजे लगाए गए हैं, जो ट्रेन के अंदर शोर और धूल के प्रवेश को कम करेंगे.
सोशल मीडिया पर खासकर फर्स्ट एसी (First AC) और सेकंड एसी (Second AC) की बर्थ की तस्वीरों ने सबसे ज्यादा ध्यान खींचा है. फर्स्ट एसी में केबिन की डिज़ाइनिंग ऐसी की गई है कि यह छोटे परिवार या ग्रुप को पूरी गोपनीयता प्रदान कर सके. इसके अलावा, चार्जिंग पॉइंट, बॉटल होल्डर और छोटा सा हैंगिंग स्पेस जैसी छोटी-छोटी सुविधाओं पर भी पूरा ध्यान दिया गया है, जो आमतौर पर भारतीय ट्रेनों में अक्सर अव्यवस्थित रहती हैं. थर्ड एसी (Third AC) में भी सीटों के बीच की दूरी (लेगरूम) को बढ़ाया गया है, जिससे यात्रियों को बैठने और लेटने दोनों में अधिक आराम मिलेगा. सबसे बड़ा बदलाव टॉयलेट मॉड्यूल में देखा जा रहा है, जिन्हें मॉड्यूलर और वैक्यूम असिस्टेड फ्लशिंग सिस्टम के साथ डिज़ाइन किया गया है, जो स्वच्छ भारत मिशन के तहत रेलवे की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है.
इस ट्रेन की सबसे बड़ी विशेषता इसका संचालन मॉडल है. यह पूरी ट्रेन एक 'मोटराइज्ड यूनिट' होगी, यानी इसके इंजन को अलग से जोड़ने की आवश्यकता नहीं होगी. यह तकनीक ट्रेन को पारंपरिक लोकोमोटिव वाली ट्रेनों की तुलना में तेजी से गति पकड़ने और ब्रेक लगाने में सक्षम बनाती है, जिससे यात्रा के समय में काफी कमी आएगी. प्रारंभिक योजना के अनुसार, इस ट्रेन को सबसे पहले देश के दो सबसे व्यस्त और लंबी दूरी के रूटों— दिल्ली से मुंबई और दिल्ली से हावड़ा— पर शुरू करने की तैयारी है. इन रूटों पर इसकी गति और आधुनिक सुविधाओं को देखते हुए, यह उम्मीद की जा रही है कि यह 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार को छूकर लंबी दूरी की यात्रा को पहले से कहीं अधिक तेज और आरामदायक बना देगी.
आम यात्रियों के मन में अब यह सवाल है कि क्या वंदे भारत स्लीपर की टिकट दरें राजधानी एक्सप्रेस से काफी ज्यादा होंगी? रेलवे के अधिकारियों का अनौपचारिक मत है कि इसकी दरें प्रीमियम सेगमेंट में होंगी, लेकिन यह सुविधाओं और यात्रा में लगने वाले समय की बचत को देखते हुए यात्रियों के लिए एक उचित विकल्प साबित होगा. यात्री न केवल तेज गति से अपने गंतव्य तक पहुँचेंगे, बल्कि सफर के दौरान मिलने वाली उच्च गुणवत्ता वाली सेवाओं का भी लाभ उठा पाएंगे.
फिलहाल, इस प्रोटोटाइप की सफलता के बाद चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) और कुछ अन्य निजी निर्माता मिलकर इस ट्रेन सेट का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू करेंगे. रेलवे का लक्ष्य है कि अगले दो वर्षों में देश के प्रमुख 25 रूटों पर इन स्लीपर ट्रेनों का संचालन शुरू हो जाए. यह कदम न केवल देश की यात्रा को सुगम बनाएगा, बल्कि 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत भारतीय इंजीनियरिंग कौशल का भी प्रदर्शन करेगा. वंदे भारत स्लीपर का यह पहला लुक संकेत दे रहा है कि लंबी और थकाऊ रेल यात्रा का युग अब धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है और उसकी जगह एक तेज, स्वच्छ और प्रीमियम यात्रा अनुभव ले रहा है, जिसके लिए भारतीय यात्री बेसब्री से तैयार बैठे हैं. अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि यात्री सेवा में इसकी पहली औपचारिक शुरुआत कब होती है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-


