भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में गुजरात ने एक बार फिर अपनी मजबूत बढ़त साबित की है. प्रधानमंत्री सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना के तहत गुजरात में अब तक पांच लाख से अधिक रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाए जा चुके हैं, जिनकी कुल स्थापित क्षमता 1,879 मेगावाट तक पहुंच गई है. यह उपलब्धि न सिर्फ राज्य के लिए ऐतिहासिक मानी जा रही है, बल्कि पूरे देश में स्वच्छ ऊर्जा को लेकर चल रही मुहिम में गुजरात को अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करती है. ऊर्जा उत्पादन के इस मॉडल ने यह दिखा दिया है कि अगर नीति, प्रशासन और नागरिकों की भागीदारी एक साथ हो, तो बड़े लक्ष्य भी समय से पहले हासिल किए जा सकते हैं.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, गुजरात विभिन्न योजनाओं के तहत अब तक कुल 11 लाख से अधिक सोलर रूफटॉप सिस्टम स्थापित कर चुका है. यह संख्या देश के किसी भी अन्य राज्य की तुलना में सबसे अधिक है. पीएम सूर्य घर योजना के तहत हासिल किया गया यह मुकाम राज्य की उस दीर्घकालिक सोच का परिणाम है, जिसमें पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम करते हुए स्वच्छ और टिकाऊ विकल्पों को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है. इस योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी और गुजरात में इसके प्रभावी क्रियान्वयन को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की सक्रिय नीतियों से जोड़ा जा रहा है.
राज्य सरकार का कहना है कि मार्च 2027 तक 10 लाख आवासीय रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाने का जो लक्ष्य रखा गया था, उसका करीब 50 प्रतिशत हिस्सा गुजरात पहले ही पूरा कर चुका है. यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि अभी इस लक्ष्य की समय-सीमा में दो साल से अधिक का वक्त बाकी है. इस दौरान राज्य के आवासीय उपभोक्ताओं को करीब 3,778 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा चुकी है, जिससे आम लोगों के लिए सोलर सिस्टम लगवाना न केवल आसान हुआ है, बल्कि आर्थिक रूप से भी फायदेमंद साबित हो रहा है.
गुजरात में रूफटॉप सोलर को लोकप्रिय बनाने के लिए सरकार ने कई नागरिक-अनुकूल फैसले किए हैं. छोटे और मध्यम स्तर के सोलर सिस्टम लगाने वालों के लिए नियामक शुल्क में सहायता दी जा रही है. छह किलोवाट तक के सिस्टम पर नेटवर्क स्ट्रेंथनिंग चार्ज माफ कर दिए गए हैं और नेट मीटरिंग एग्रीमेंट जैसी जटिल प्रक्रियाओं से भी उपभोक्ताओं को राहत दी गई है. इसके अलावा, आवासीय उपभोक्ताओं के लिए लोड लिमिट की बाध्यता नहीं रखी गई है, जिससे लोग अपनी जरूरत के अनुसार सोलर सिस्टम लगा सकते हैं और अतिरिक्त बिजली ग्रिड को बेचकर अतिरिक्त आय भी अर्जित कर सकते हैं. बैंकिंग चार्ज न लगने से यह व्यवस्था और अधिक आकर्षक बन गई है.
सब्सिडी ढांचे की बात करें तो सरकार ने इसे भी काफी सरल और स्पष्ट रखा है. दो किलोवाट तक के सोलर सिस्टम पर प्रति किलोवाट 30 हजार रुपये की सब्सिडी दी जा रही है. दो से तीन किलोवाट तक की क्षमता पर प्रति किलोवाट 18 हजार रुपये की सहायता मिलती है, जबकि तीन किलोवाट से अधिक क्षमता वाले सिस्टम पर अधिकतम 78 हजार रुपये तक की सब्सिडी का प्रावधान है. इन प्रोत्साहनों का सीधा असर यह हुआ है कि मध्यम और निम्न आय वर्ग के परिवार भी बिना ज्यादा आर्थिक बोझ के सोलर एनर्जी की ओर बढ़ रहे हैं.
राज्य सरकार का मानना है कि मौजूदा दौर सौर, पवन और हाइब्रिड ऊर्जा के साथ-साथ ग्रीन हाइड्रोजन जैसी नई तकनीकों का है. गुजरात ने इस बदलाव को समय रहते समझा और उसके अनुसार खुद को तैयार किया. आज स्थिति यह है कि गुजरात देश की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में बड़ा योगदान दे रहा है. खासकर रूफटॉप सोलर योजना में राज्य ने जो मानक स्थापित किए हैं, वे अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल बनकर उभरे हैं.
गुजरात की इस उपलब्धि को जनवरी में राजकोट में होने वाले वाइब्रेंट गुजरात रीजनल कॉन्फ्रेंस में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा. इस सम्मेलन में उन परिवारों और समुदायों की कहानियां सामने लाई जाएंगी, जिन्होंने रूफटॉप सोलर अपनाकर न केवल अपने बिजली बिल में भारी कटौती की है, बल्कि अतिरिक्त बिजली बेचकर आय का नया स्रोत भी बनाया है. सरकार का दावा है कि ये उदाहरण दिखाते हैं कि पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि आम नागरिकों के जीवन में वास्तविक बदलाव लाने वाला अभियान बन चुकी है.
ऊर्जा विशेषज्ञों का भी मानना है कि गुजरात का यह मॉडल भविष्य में देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा सकता है. जब लाखों घर अपनी छतों पर बिजली उत्पादन करने लगते हैं, तो यह न केवल केंद्रीय ग्रिड पर दबाव कम करता है, बल्कि प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन में भी उल्लेखनीय कमी लाता है. साथ ही, यह ऊर्जा उत्पादन को विकेंद्रीकृत करता है, जिससे आपात स्थितियों में भी आपूर्ति बाधित होने की आशंका कम हो जाती है.
राजनीतिक स्तर पर भी इस उपलब्धि को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस दूरदर्शिता से जोड़ा जा रहा है, जिसमें उन्होंने वर्षों पहले गुजरात में रहते हुए सौर ऊर्जा की संभावनाओं पर काम शुरू किया था. आज जब गुजरात देश में रूफटॉप सोलर का नेतृत्व कर रहा है, तो इसे उसी दीर्घकालिक सोच का परिणाम माना जा रहा है. मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की सरकार ने भी इस दिशा में प्रशासनिक स्तर पर तेजी और पारदर्शिता बनाए रखी है, जिससे योजनाओं का लाभ सीधे नागरिकों तक पहुंच सका.
पांच लाख से अधिक रूफटॉप सोलर सिस्टम की स्थापना सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि यह उस बदलाव की तस्वीर है, जिसमें ऊर्जा उपभोक्ता अब ऊर्जा उत्पादक भी बन रहे हैं. गुजरात ने यह साबित कर दिया है कि स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ना न केवल पर्यावरण के लिए जरूरी है, बल्कि आर्थिक रूप से भी फायदेमंद है. आने वाले वर्षों में अगर अन्य राज्य भी इसी मॉडल को अपनाते हैं, तो भारत का नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य और अधिक मजबूत हो सकता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

