निधि अग्रवाल ने शिवाजी के कपड़ों वाले बयान पर तोड़ी चुप्पी, पीड़ित को दोष देना मानसिक हेराफेरी का सबसे बड़ा हथियार

निधि अग्रवाल ने शिवाजी के कपड़ों वाले बयान पर तोड़ी चुप्पी, पीड़ित को दोष देना मानसिक हेराफेरी का सबसे बड़ा हथियार

प्रेषित समय :21:23:36 PM / Wed, Dec 24th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

हैदराबाद के सिनेमाई गलियारों से लेकर सोशल मीडिया के मंचों तक आज एक ऐसी बहस छिड़ गई है जिसने फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं की सुरक्षा और समाज की संकुचित मानसिकता को एक बार फिर कटघरे में खड़ा कर दिया है। दक्षिण भारतीय फिल्मों की जानी-मानी अभिनेत्री निधि अग्रवाल ने अभिनेता शिवाजी के उन विवादास्पद बयानों पर करारा प्रहार किया है जिसमें उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से निधि के कपड़ों को उनके साथ हुई भीड़ की बदसलूकी का जिम्मेदार ठहराया था। बुधवार 24 दिसंबर 2025 को निधि ने इंस्टाग्राम पर अपनी एक तस्वीर साझा करते हुए बेहद तीखे शब्दों में लिखा कि पीड़ित को ही दोषी ठहराना दरअसल हेरफेर और चालाकी का एक रूप है। हालांकि उन्होंने अपने पोस्ट में सीधे तौर पर शिवाजी का नाम नहीं लिया, लेकिन जिस समय यह बयान आया है, उसने साफ कर दिया है कि निधि अब इस 'विक्टिम ब्लेमिंग' के खिलाफ चुप बैठने वाली नहीं हैं। जनता के बीच इस खबर को लेकर भारी जिज्ञासा है कि आखिर एक सार्वजनिक कार्यक्रम में भीड़ द्वारा की गई बदसलूकी को कपड़ों से जोड़कर देखना कितना तर्कसंगत है और इस पर फिल्म जगत की अन्य हस्तियों का क्या रुख है।

इस पूरे विवाद की जड़ें 17 दिसंबर को हैदराबाद के लुलु मॉल में हुई उस घटना से जुड़ी हैं, जब निधि अग्रवाल अपनी आने वाली फिल्म 'द राजा साब' के गाना लॉन्च इवेंट में पहुंची थीं। सुपरस्टार प्रभास के साथ इस फिल्म में नजर आने वाली निधि को देखने के लिए वहां हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। उस वक्त के वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता था कि कैसे बेकाबू भीड़ के बीच निधि खुद को असुरक्षित महसूस कर रही थीं और कई लोग जबरन उनके करीब आने की कोशिश कर रहे थे। सुरक्षाकर्मियों को उन्हें कार तक ले जाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी और अभिनेत्री उस वक्त बेहद डरी हुई नजर आई थीं। लेकिन इस घटना के दो दिन बाद जब अभिनेता शिवाजी ने मीडिया के सामने आकर बयान दिया, तो उन्होंने पुरुषों के व्यवहार को कोसने के बजाय महिलाओं के पहनावे पर ही सवाल उठा दिए। शिवाजी ने तर्क दिया कि अभिनेत्रियों को सार्वजनिक कार्यक्रमों में खुद को इस तरह पेश नहीं करना चाहिए जिससे पुरुष 'उत्तेजित' हों। उनके इस बयान ने सोशल मीडिया पर आग की तरह फैलकर एक नई बहस को जन्म दे दिया कि क्या किसी महिला के कपड़े उसके साथ होने वाले उत्पीड़न का लाइसेंस बन सकते हैं।

बुधवार को शिवाजी ने एक बार फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने रुख का बचाव किया, जिससे विवाद और गहरा गया। हालांकि उन्होंने अपनी भाषा के लिए माफी मांगी, लेकिन अपने मूल तर्क को सही ठहराते हुए कहा कि वे केवल तथ्यों की बात कर रहे हैं। उन्होंने सई पल्लवी, अनुष्का शेट्टी और सौंदर्या जैसी अभिनेत्रियों का उदाहरण देते हुए पूछा कि क्या उनके साथ कभी ऐसी घटनाएं हुईं। उनके इस तुलनात्मक रवैये को लोगों ने बेहद आपत्तिजनक माना है, क्योंकि यह सीधे तौर पर यह संदेश देता है कि आधुनिक कपड़े पहनने वाली महिलाएं ही छेड़छाड़ का शिकार होती हैं। जब उनसे पूछा गया कि वे पुरुषों को व्यवहार सुधारने की सलाह क्यों नहीं दे रहे, तो उन्होंने निराशाजनक लहजे में कहा कि पुरुष किसी की नहीं सुनेंगे। शिवाजी का यह कहना कि 'उत्तेजित न करें, वरना पुरुषों को लगेगा कि वे आपको छू सकते हैं', समाज के एक बड़े वर्ग को नागवार गुजरा है। लोग इस बात को लेकर उत्सुक हैं कि क्या आज के दौर में भी सुरक्षा का मापदंड केवल कपड़े ही रह गए हैं।

निधि अग्रवाल के इस साहसी जवाब के बाद फिल्म जगत की अन्य अभिनेत्रियां भी उनके समर्थन में उतर आई हैं। पायल राजपूत ने भी शिवाजी के कमेंट्स पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ऐसे बयानों से उन्हें बेहद दुख पहुंचा है। यह विवाद अब केवल दो कलाकारों के बीच का झगड़ा नहीं रह गया है, बल्कि यह सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की आजादी और उनकी गरिमा की सुरक्षा का एक बड़ा मुद्दा बन गया है। सोशल मीडिया पर यूजर्स लगातार शिवाजी को ट्रोल कर रहे हैं और उन्हें अपनी पुरानी सोच बदलने की सलाह दे रहे हैं। लोगों के मन में यह सवाल कौंध रहा है कि क्या एक मशहूर अभिनेता द्वारा इस तरह के बयानों को बढ़ावा देना समाज में गलत मिसाल पेश नहीं करेगा।

जैसे-जैसे शाम ढली, निधि अग्रवाल का पोस्ट तेजी से वायरल होने लगा और लोग उनके समर्थन में 'हैशटैग स्टॉप विक्टिम ब्लेमिंग' जैसे अभियान चलाने लगे। यह घटना उस समय हुई है जब फिल्म 'द राजा साब' को लेकर पहले से ही काफी बज बना हुआ है, लेकिन अब फिल्म से ज्यादा चर्चा इस सामाजिक विवाद की हो रही है। जनता यह जानने को बेताब है कि क्या तेलुगु फिल्म चैंबर या कोई अन्य बड़ी संस्था शिवाजी के इन प्रतिगामी बयानों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया देगी। फिलहाल निधि अग्रवाल ने अपनी चुप्पी तोड़कर यह साफ कर दिया है कि वे अपनी सुरक्षा के लिए किसी भी तरह के कपड़ों के चुनाव को सही या गलत ठहराने वाली मानसिकता को स्वीकार नहीं करेंगी।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-