भले ही अग्निपथ योजना को बेरोजगारी कम करने वाली योजना बताया जा रहा हो पर योजना पर गौर करने पर पता चलता है कि यह योजना वेतन और पेंशन के बोझ को कम करने के लिए लाई गई है. सेना में अहम् पदों पर रहने वाले कुछ पूर्व सैनिकों ने इस योजना पर चिंता भी जताई है. कई सैनिकों ने विभिन्न अख़बारों में लिखे लेख में इस योजना इंडियन आर्मी रिक्रूटमेंट 2022 से समाज के सैन्यीकरण को घातक बताया है. इन सैनिकों ने चिंता जताई है कि जब हथियार चलाने के लिए प्रशिक्षित किये गए युवा चार साल की सेवा सेना में देकर लौटेंगे तो कानून व्यवस्था के लिए चुनौती भी बन सकते हैं.
अभी तक सेना की सेवा 15-20 साल तक की होती रही है. मगर इन सबको छोड़ भारत में बढ़ती बेरोजगारी सरकार की अग्निपरीक्षा के लिए तैयार खड़ी है. एक फ़ौज बची हुई थी, उसमे भी ठेके पर भर्ती. ठेके पर बोलना बुरा सा लगता है इसलिए नाम अग्निवीर. यही 4 साल होते हैं जब बच्चे आगे पढ़कर करियर बनाते हैं, 4 साल बाद क्या करेंगे? सिक्योरिटी गार्ड, ग्रुप डी ? क्यूंकि पढ़ाई तो छोड़ चुके होंगे, वापिस आकर कितने पढ़ेंगे? बेरोज़गारी का आलम ऐसा है कि मजबूरी में जाएंगे भी और देश की सुरक्षा? 4 साल में देशभक्ति की भावना कैसे जागेगी? सुरक्षा के साथ खिलवाड़? रक्षा विशेषज्ञयों की राय के मायने? ऐसे एक्सपेरिमेंट्स क्या पहले छोटे स्तर पर नहीं हो सकते थे?
भारत में अधिकांश लोग नौकरी की सुरक्षा के लिए सरकारी नौकरियों में शामिल होते हैं . इस योजना से युवाओं को क्या मिलेगा? यहां तक कि स्थायी कर्मचारी भी हर साल सशस्त्र बलों की नौकरियों से हजारों की संख्या में कठोर प्रकृति के कारण छोड़ रहे हैं. यह योजना स्पष्ट रूप से काम नहीं करने वाली है. जैसा कि हम जानते हैं कि यह उम्र (17.5-21) किसी भी व्यक्ति के विकास के लिए सबसे अच्छी उम्र होती है और अग्निशामकों को अपना सबसे कीमती 4 साल देश को देना होता है. प्रशिक्षित अग्निशामकों के (बाकी 75% जो स्थायी नहीं बनेंगे) के बारे में क्या ?
ये लोग अधिक अनुशासित और प्रशिक्षित होंगे (नागरिकों की तुलना में) और एक महान संपत्ति बन सकते हैं यदि सरकार उन्हें -सीएपीएफ, राज्य पुलिस, एसआई, पर्यटन विभाग, एसएआई, निजी और सरकारी स्कूलों में पीटी शिक्षक, राष्ट्रीय साहसिक संस्थान आदि परीक्षाओं में कुछ छूट प्रदान करती है ताकि इन युवा ऊर्जावान युवाओं को उनके भविष्य के बारे में आश्वस्त किया जा सके. काफी हद तक. इन अग्निवीरों के मन में सुरक्षा का भाव रहेगा.
उन लोगों के लिए विशेष डिग्री जो आगे की शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं. जैसे एनसीसी में, 'सी' प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले कैडेट्स को सीधे एसएसबी के लिए बुलाया जाता है, उसी तरह इन अग्निवीरों के लिए रक्षा बलों में अधिकारी बनने के लिए कुछ प्रावधान होने चाहिए. जब कोई रक्षा में शामिल होता है तो उसके पास अध्ययन के लिए समय नहीं होता है. वह अपना पूरा समय राष्ट्र की सेवा के लिए देता है. मुझे लगता है कि ये ऐसे तरीके हैं जिनसे हम प्रशिक्षित संपत्तियों को अनुपयोगी होने से बचा सकते हैं.
जैसा कि कई दिग्गजों और विशेषज्ञों ने कहा है, सरकार को इस योजना की समग्र व्यवहार्यता, परिणाम और प्रभाव की जांच करने के लिए पहले इस योजना को पायलट आधार पर पेश करना चाहिए था. केवल अन्य देशों जैसे इज़राइल या रूस आदि से कॉपी पेस्ट करना भारत के लिए जरूरी नहीं है. साथ ही सरकार को इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के दीर्घकालिक दृष्टिकोण से सोचना चाहिए न कि केवल आर्थिक दृष्टिकोण से. अगर यह योजना इतनी पूर्ण प्रमाण है तो सरकार बीच में बदलाव क्यों ला रही है?
इससे पता चलता है कि लंबे समय में यह योजना कैसे काम करेगी. देखिए आलोचक आलोचना करेंगे और विपक्ष विरोध करेगा कि यह उनके काम का हिस्सा है लेकिन यह वर्तमान सरकार का हिस्सा है जो इस योजना की व्याख्या करे और सभी मुद्दों को संबोधित करे और जनता के बीच विश्वास हासिल करे. हां, पेंशन और वेतन सहित रक्षा बजट को युक्तिसंगत बनाने की जरूरत है. लेकिन अगर सरकार केवल वेतन और पेंशन को देख रही है तो सरकार को पहले खुद को देखना चाहिए. इसे पहले सांसदों/विधायकों के वेतन को युक्तिसंगत बनाना चाहिए.
अग्निपथ, अग्निवीर यानि कि दिहाड़ी पर फ़ौज में भर्ती के मुद्दे पर भड़कर गए है. क्यूँ यह देश किसी एक के बाप का नहीं है. जितना प्रधानमंत्री, ग्रहमंत्री का है उतना ही आपका और मेरा भी है, हम सबका है और हम गलत नीतियों को नहीं सहेंगे, विरोध करेंगे. हर माध्यम से, हर रूप में, अपनी आहुति देंगे. इस के क्या नुकसान होंगे, क्यूँ यह स्कीम गलत होने के साथ साथ खतरनाक भी है.क्यूँ इसका युवा वर्ग को विरोध करना चाहिए. जैसे स्लोगन लेकर देश भर का युवा उठ खड़ा हुआ है. इस बात पर सरकार को विचार करना चाहिए.
भ्रष्ट राजनेता (यदि सभी नहीं) को उनके पूरे जीवनकाल में पेंशन प्रदान करने के पीछे क्या तर्क है, भले ही उन्होंने पूरे 5 साल की अवधि के लिए सेवा न दी हो और वह भी पुरानी पेंशन योजना पर? वर्तमान सरकार को अग्निपथ पर पुनर्विचार करना चाहिए और इसे आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अपनी चुनावी रणनीति का हिस्सा नहीं बनाना चाहिए.