प्रदीप द्विवेदी. वागड़ में बीजेपी के संस्थापक, श्रीपतिराय दवे जैसे नेता भी हुए हैं, जो यदि अपने सिद्धांतों का कांग्रेसीकरण कर देते, मोदी-शाह की तरह जोड़-तोड़ की सियासत अपना लेते तो शायद मंत्री-मुख्यमंत्री बन जाते.
लेकिन, उन्होंने ऐसा नहीं किया, सत्ता के लिए सिद्धांतों से समझौता करने के बजाए सिद्धांतों पर रह कर आगे बढ़ना जारी रखा.
आज, बांसवाड़ा में जो संघ-बीजेपी का विशाल स्वरूप नजर आता है, उसकी शुरूआत श्रीपतिराय दवे ने ही की थी.
आजादी के बाद वागड़ के हालात देख कर स्वामी शंकरानन्द वानप्रस्थी ने दवे को कलकत्ता से बुला कर बांसवाड़ा में संघ का कार्य आरंभ करवाया था.
आपातकाल में संघर्ष के दौर में श्रीपतिराय दवे, नवनीतलाल निनामा, मनफुल दयाल भारती आदि की भूमिका ऐतिहासिक रही है.
इन संगठनों को बुलंदियों पर पहुंचाने में कोदरलाल त्रिवेदी परिवार, नारायणलाल पंड्या परिवार, जयशंकर पाठक परिवार, मणिलाल बोहरा परिवार, पटियात परिवार, जोशी परिवार, चौबीसा परिवार, त्रिवेदी परिवार आदि का उल्लेखनीय योगदान रहा है.
बीजेपी के गठन के बाद उमेश पटियात, नवनीतलाल निनामा, उदयलाल निनामा, भवानी जोशी, योगेश जोशी, महावीर बोहरा, भगवत पुरी, रमेश पंवार, दीपक जोशी, निर्मल दोसी सहित अनेक नेताओं के प्रयासों का ही नतीजा है कि कांग्रेस और जनतादल के बाद कभी तीसरे नंबर की पार्टी रही बीजेपी, आज कांग्रेस के मुकाबले खड़ी है.
श्रीपति राय दवे के समक्ष तब विशाल और सक्षम कांग्रेस से संघर्ष की बहुत बड़ी चुनौती थी, तो सत्ता के लिए समझौते के सियासी रास्ते भी थे, लेकिन उन्होंने कभी सत्ता के लिए सिद्धांत नहीं छोड़े.
यक्ष-प्रश्न यही है कि यदि सत्ता हांसिल करने के लिए कांग्रेस का पाॅलिटिकल माॅडल ही सही था, तो जनसंघ, जनता पार्टी, भारतीय जनता पार्टी आदि के गठन की क्या जरूरत थी? सियासी सिद्धांतों के कारण ही जनता पार्टी से अलग भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ, लेकिन मोदी टीम भाजपा का कांग्रेसीकरण करके फिर से भारतीय जनता पार्टी को जनता पार्टी में बदल रही है!
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अभी है राजस्थान घूमने का मौका, IRCTC के इन पैकेज में मिलेगा कई जगह घूमने का मौका
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