रेलवे के प्रिटिंग प्रेस 31 जुलाई तक नहीं होंगे बंद - शिवगोपाल मिश्रा

रेलवे के प्रिटिंग प्रेस 31 जुलाई तक नहीं होंगे बंद - शिवगोपाल मिश्रा

प्रेषित समय :18:32:31 PM / Sat, Feb 27th, 2021

नई दिल्ली. भारतीय रेल के प्रिटिंग प्रेस फिलहाल 31 जुलाई तक बंद नहीं होगें.  ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फैडरेशन (एआईआरएफ) के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रार और रेलमंत्री पियूष गोयल के बीच हुई एक खास मुलाकात में ये फैसला हुआ. इसके अलावा रेल अप्रेंटिस के समायोजना के मामले में रेलमंत्री ने रेलवे बोर्ड के सीईओ से रिपोर्ट मांगी है. इस मुलाकात के दौरान महामंत्री ने उन्हें 12 सूत्रीय मांगपत्र भी सौंपा.

इस संबंध में वेस्ट सेेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन (डबलूसीआरईयू) के महामंत्री व एआईआरएफ के असिस्टेंट जनरल सैक्रेट्री मुकेश गालव ने बताया कि एआईआरएफ महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा और रेलमंत्री पियूष गोयल के बीच पिछले दिनों लगभग घंटे भर से भी अधिक समय तक चली बैठक काफी सौहार्दपूर्ण रही. तमाम मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई. महामंत्री ने रेलमंत्री को बताया रेलकर्मचारियों की तमाम समस्याएं लंबित है, इनमें कई तो ऐसी मांगे भी हैं, जिन पर कई दौर की बात हो गई है और उन्हें पूरा करने का आश्वासन भी दिया गया है, लेकिन आदेश आज तक जारी नहीं किया गया.

महामंत्री ने रेलवे के प्रिटिंग प्रेस  का जिक्र करते हुए कहाकि इन  प्रिटिंग प्रेश में तमाम ऐसे काम होते हैं, जो रेवेन्यू से जुड़े हैं. अगर  इन कार्यों को निजी क्षेत्र में दिया गया तो इससे रेलवे को भारी नुकसान संभव है. पांच प्रिटिंग प्रेस को चालू रखने का फैसला खुद रेल मंत्रालय ने लिया था, अब इसे 31 दिसंबर 20 तक ही बंद करने का एकतरफा फरमान सुना दिया गया. इस पर रेलमंत्री ने कहाकि प्रिटिंग प्रेस के मसले पर विचार चल रहा है, फिलहाल 31 जुलाई 21 तक इसे बंद नहीं किया जाएगा.

महामंत्री ने एक्ट अप्रेंटिस का मुद्दा उठाया और कहाकि कई साल अप्रेंटिस करने के बाद जब ये युवा काम सीख गए हैं और बेहतर काम कर भी रहे है, इनकी नियुक्ति में कोई रुकावट भी नहीं है, इतना ही नहीं रेल में बड़ी संख्या में पद रिक्त भी है, ऐसे में इन युवाओं का शत प्रतिशत समायोजन किया जाना चाहिए. इस पर एक बार फिर रेलमंत्री ने रेलवे बोर्ड के सीईओ / सीआरबी से पूरी  रिपोर्ट मांगी है. मंत्री ने आश्वस्त किया है कि इस मुद्दे पर सहानिभूति पूर्वक विचार किया जाएगा.

वेतनमान 1800 और 4600 के लोगों के बारे में भी सैद्धांतिक रुप से सहमति हो चुकी है. कहा गया था कि इस मामले में जल्दी ही आदेश हो जाएगा, लेकिन ये मामला भी अभी तक सुलझा नहीं है. इस पर तत्काल प्रभावी कार्रवाई किए जाने की जरूरत है. इसी तरह सैल्यूट स्कीम में कुछ सुधार के बाद लागू करने की भी बात कही गई.

महामंत्री द्वारा सौंपे  गए सभी मांगो को  पढऩे के बाद रेल मंत्री ने कहाकि इन सब  पर बात हुई है, ये सब बोर्ड के संज्ञान में है, जल्दी ही प्रभावी कदम उठाए जाएंगे. महामंत्री ने निजीकरण और निगमीकरण को लेकर मंत्री से नाराजगी जताई और कहाकि भारतीय रेल का संचालन अच्छी तरह से रेलकर्मचारी ही कर सकते हं, निजीकरण को लेकर कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया जाना चाहिए. निजीकरण और निगमीकरण की चर्चा से रेलकर्मचारी न सिर्फ तनाव  में है, बल्कि उनके काम पर भी असर पड़ रहा है. हालाकि रेलमंत्री ने इस मामले में कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया लेकिन कहा है कि इस पर फैसला करने के पहले फैडरेशन से बात करेंगे.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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