प्रदीप द्विवेदी. यदि भीड़ जीत का पैमाना है, तो वाम-कांग्रेस गठबंधन भी उतना कमजोर नहीं है, जितना कमजोर ओपिनियन पोल में नजर आ रहा है.
एबीपी न्यूज-सीवोटर ओपियिन पोल कहता है कि कुल 294 सीटों वाले पश्चिम बंगाल में कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन न केवल तीसरे नंबर पर है, बल्कि वोट प्रतिशत के लिहाज से भी बेहद कमजोर है. ओपियिन पोल के हिसाब से टीएमसी को 43 प्रतिशत, तो बीजेपी को 38 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं, जबकि कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन को केवल 13 प्रतिशत वोट ही मिल सकते हैं.
यही नहीं, सीटों के हिसाब से भी कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन की हालत पतली है, उसे महज 31-39 सीटें जा सकती हैं, जबकि टीएमसी को 148-164 सीटें और बीजेपी को 92-108 सीटें मिल सकती हैं.
हालांकि, पश्चिम बंगाल में वाम-कांग्रेस एवं नवगठित इंडियन सेक्युलर फ्रंट की विशाल रैली से उत्साहित कांग्रेस का कहना है कि- कोलकाता में हमारी रैली में मौजूद भीड़ से सच्चाई का पता चलता है कि पश्चिम बंगाल के लोग प्रगति, न्याय और समानता के साथ खड़े हैं, न कि घृणा, हिंसा और महापाप के साथ.
इस मौके पर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस पर लोगों को बांटने की साजिश करने का आरोप लगाते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि बीजेपी से देश को और टीएमसी से बंगाल को बचाना है.
बघेल ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार पिछली कांग्रेस सरकारों द्वारा खड़े किये गये सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों जैसी बुनियादी ढांचों को बेच रही है.
उन्होंने कहा कि बीजेपी और टीएमसी, लोगों को बांटने की कोशिश कर रही हैं, एक से देश को और दूसरे से बंगाल को बचाना है.
उन्होंने कहा कि पहले हमने गोरों के साथ लड़ाई लड़ी थी और अब हमें इन चोरों के साथ लड़ाई लड़नी है.
उन्होंने यह भी कहा कि 23 जनवरी को नेताजी की 125 वीं जयंती पर हमने छत्तीसगढ़ में पुलिस प्रशिक्षण अकादमी का नाम सुभाषचंद्र बोस के नाम पर रखा, लेकिन नरेंद्र मोदी ने अपने ही नाम पर स्टेडियम का नाम रखवा दिया.
इस रैली में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने दावा किया कि वाम-कांग्रेस और अन्य धर्मनिरपेक्ष ताकतों का महागठबंधन पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी दोनों को हराएगा.
रैली की विशालता के मद्देनजर चौधरी ने कहा कि बड़ी संख्या में लोगों के एकत्रित होने से साबित होता है कि आगामी चुनाव दो-कोणीय नहीं होगा. भविष्य में, बीजेपी या तृणमूल कांग्रेस कोई नहीं होगा, केवल महागठबंधन रहेगा.
बहरहाल, पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव दिन-प्रतिदिन दिलचस्प होता जा रहा है, देखना होगा कि चुनावी नतीजों में ओपियिन पोल कितना सही साबित होता है?
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अभिमनोजः क्या पश्चिम बंगाल में साकार होने से पहले टूट जाएंगे बीजेपी के सत्ता के सपने?
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