आज बात करेंगे कुंडली में ग्रहो के योगानुसार बनने वाली बीमारियाँ
सबसे पहले आप इन छः भावों का विश्लेषण:-
प्रथम भाव , षष्ठ, अष्टम , द्वादश भावों ,मारक भाव द्वितीय एवं सप्तम इन सभी का मृत्यु से संबंध है.
क्योंकि शनि या राहु केतु ही सबसे धीमी गति से चलते है.तो इनके द्वारा प्रद्दत रोग भी लाइलाज और जटिल होते है जो दीर्घकाल तक असर रखते है .रोग ग्रहों की प्रकृति के अनुसार होते हैं
उनके प्रभाव की अवधि भी उनकी प्रकृति के अनुसार होते हैं. आज शनि से होने वाली कुछ बीमारियों का जिक्र करेंगे. जैसे कि शारीरिक कमजोरी, देह भंग, घुटनों या पैरों में होने वाला दर्द, दांतों ,त्वचा सम्बन्धित रोग, अस्थिभ्रंश, मांसपेशियों से सम्बन्धित रोग, लकवा , स्नायुविकार , कम उम्र में ही वृद्ध दिखना और शारिरिक शक्ति का ह्रास होना.
यदि आप ज्यादा समय नकारात्मक सोचते है, लोग आपको गलत समझते है जबकि आप की भावनाएं अच्छि है, यदि आपको अपनी औसत उम्र के बराबर लोगो से शारीरिक शक्ति कमजोर है, यदि आप भागने में असमर्थ हो , आलस्य बहुत अधिक हो, चेहरा बेजान और वृद्ध दीखता हो तो शनि का प्रभाव है.
सूर्य से सबसे दूर रहने पर इसपे अन्धकार व्याप्त है. और सूर्य तो है ही उजाले और समस्त संसार को ऊर्जा देने वाले और ग्रहो के राजा . समयानुसार बाकी के ग्रहो की भी जानकारी दी जायेगी. शनि से होने वाली बीमारियों का ये एक साधारण प्रभाव है.
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