नई दिल्ली. अमेरिका में रह रहे अप्रवासियों के लिए एक राहत भरी खबर है. बुधवार को कांग्रेस वुमन लूसिल रॉयबल-एलार्ड ने अमेरिकन ड्रीम एंड प्रॉमिस एक्ट 2021 पेश किया. ये कानून उन बच्चों को नागरिकता देने में मदद करेगा, जिनके मां-बाप वैध तरीके से या एच-1बी प्रोग्राम के तहत अमेरिका आए हैं. अब कानूनी तौर पर सही और पूरे दस्तावेज वाले बच्चों को अमेरिकी नागरिकता पाने में आसानी होगी. पहले के बिलों में कानूनी तौर पर सही लीगल ड्रीमर्स को दरकिनार कर दिया जाता था.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार लीगल ड्रीमर्स उन बच्चों को कहा जाता है, जिनके पैरेंट्स एच-1बी प्रोग्राम कहे जाने वाले कानूनी तरीके से अमेरिका पहुंचे. केटो इंस्टीट्यूट में इमिग्रेशन पॉलिसी विश्लेषक डेविड जे बायर ने ट्वीट किया कि ड्रीम एंड प्रॉमिस एक्ट पेश कर दिया गया है और इसमें अमेरिका में मौजूद ज्यादातर लीगल ड्रीमर्स को शामिल किया गया है. उन्होंने लिखा कि यह बिल में शानदार सुधार है, जो करीब 2 लाख अप्रवासियों को अमेरिकी नागरिकता पाने में मदद करेगा.
उन्होंने बताया कि ये बिल ईबी ग्रीन कार्ड बैकलॉग में मौजूद सभी लोगों और कई एल और एच-1बी वीजाधारकों की मदद करेगा. बायर की तरफ से पहले की गई स्टडी के अनुसार रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड बैकलॉग में भारत के लोगों का आंकड़ा अप्रैल 2020 में 7.41 लाख पर पहुंच गया था, जिनका अनुमानित वेट टाइम 84 सालों का था. भारतीय परिवारों के करीब 1.36 लाख बच्चे इस बैकलॉग में शामिल थे और यह अनुमान लगाया गया था कि इनमें से 84 हजार 675 बच्चे ग्रीन कार्ड पाए बगैर उम्र की सीमा को पार कर जाएंगे.
युवा प्रवासियों की एक संस्था इंप्रूव द ड्रीम भी उम्र बढऩे की बात को खत्म करने और अमेरिका में जन्म लेने वाले हर बच्चे के लिए नागरिकता की वकालत कर रही थी. संस्था की वेबसाइट के अनुसार हमारे पेरेंट्स हमें यहां पर औसत 5 साल की उम्र में लेकर आए थे और हम यहां औसतन 12 साल से रह रहे हैं. लेकिन इमिग्रेशन सिस्टम में कई परेशानियां होने के कारण हमारे पास नागरिकता पाने की एक स्पष्ट राह नहीं है.
खास बात है कि ड्रीमर्स को फिलहाल डिपोर्टेशन से सुरक्षा है और वे देश में काम भी कर सकते हैं. लेकिन लीगल ड्रीमर्स को यह सुविधा नहीं है. ॥-1क्च धारी कमीज़् के साथी और बच्चों को एच-4 या डिपेंडेंट वीजा मिलता है. जब ये बच्चे 21 साल की उम्र को पार कर जाते हैं, तो वे इस वीजा के साथ आगे काम नहीं कर सकते. उन्हें या तो एफ-1 वीजा में बदल दिया जाता है या भारत वापस लौटना पड़ता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अमेरिका पर तेजी से बढ़ रहा है कर्ज, भारत के भी 216 अरब डॉलर बकाया
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