चंडीगढ़. हरियाणा सरकार की स्थानीय युवाओं को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 फीसद आरक्षण देने के मामले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. इसके विरोध में 3 याचिकाएं दाखिल की गई हैं. एके इंडस्ट्रियल ने अपनी याचिका में इसे उद्योगों के लिए घातक करार दिया है.
दायर याचिका में मांग की गई है कि हाई कोर्ट सरकार की इस नीति को रद्द करे. याचिका के अनुसार, हरियाणा सरकार का यह फैसला योग्यता के साथ अन्याय है. ओपन की जगह आरक्षित क्षेत्र से चयन करना प्रतिकूल प्रभाव डालेगा. सरकार का यह फैसला अधिकार क्षेत्र से बाहर और सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के खिलाफ है.
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने एक कानून बनाकर राज्य में निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण हरियाणा के रिहायशी प्रमाणपत्र धारकों के लिए जरूरी कर दिया है. यह आरक्षण 50 हजार रुपये मासिक तक के वेतन की नौकरियों के लिए है. एसडीएम या इससे उच्च स्तर के अधिकारी कानून लागू किए जाने की जांच कर सकेंगे. कानून के विभिन्न नियमों का उल्लंघन करने पर नियोक्ता पर 25 हजार रुपये से पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. 15 मार्च को मामले की सुनवाई होगी.
याचिका में कहा- सरकार का फैसला योग्यता के साथ अन्याय
याचिका में कहा गया है कि हरियाणा सरकार का यह फैसला योग्यता के साथ अन्याय है. ओपन की जगह आरक्षित क्षेत्र से नौकरी के लिए युवाओं का चयन करना एक प्रतिकूल प्रभाव डालेगा. सरकार का यह फैसला अधिकार क्षेत्र से बाहर का और सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के खिलाफ है. इसलिए इसे रद्द किया जाए.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-राशन डिपो अलॉटमेंट में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देगी हरियाणा सरकार
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