फाल्गुन मास की अमावस्या तिथि 13 मार्च 2021 दिन शनिवार को पड़ रही है.*
फाल्गुन कृष्ण पक्ष की उदया तिथि अमावस्या के दिन स्नान-दान-श्राद्धादि की अमावस्या है. इस दिन शनिवार पड़ने के कारण इसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाएगा. शास्त्रों में शनिश्चरी अमावस्या का बड़ा ही महत्व है. आज के दिन पितरों की पूजा के साथ ही शनिदेव की पूजा का विशेष रूप से महत्व है. कहते हैं आज के दिन शनिदेव की पूजा करने से, उनके निमित्त उपाय करने से शनिदेव बहुत जल्दी खुश होते हैं. *
*शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या तिथि साढ़े-साती और शनि ढैय्या के निवारण करने हेतु बहुत खास होती है.*
*यदि आप शनि से पीड़ित हैं तो शनि अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की जड़ में जल दें और पूजा करें. इससे शनि के प्रभावों से मुक्ति प्राप्त होती है.*
*इसके अलावा शनिदेव को शमी का पेड़ अति प्रिय है. शनि अमावस्या पर शनि दोषों से मुक्ति पाने के लिए शमी के पेड़ के पास सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें.*
*शनिदेव के कोप से बचने के लिए हनुमान जी की पूजा बहुत लाभकारी मानी जाती है. शनैश्चरी अमावस्या के दिन हनुमान जी को लाल सिंदूर अर्पित करें और हनुमान जी की पूजा करें. इससे शनि साढ़े साती के बुरे प्रभावों से मुक्ति प्राप्त होती है.*
*यदि आपके ऊपर शनि की साढ़े-साती, ढैय्या चल रही है या फिर किसी भी प्रकार के शनिदोष से पीड़ित हैं तो शनैश्चरी अमावस्या पर शनि देव के समक्ष तिल के तेल का दीपक प्रज्वलित करें और धूप जलाएं. इसके बाद उन्हें नीले रंग के अपराजिता फूल अर्पित करें. तत्पश्चात आसन लगाकर शनिदेव के इस मंत्र का तीन माला जाप करें.*
*''ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनिश्चराय नम:''*
*शनि अमावस्या के दिन शनि देव को सरसों का तेल अर्पित करें और इस दिन काले कुत्ते या काली गाय को सरसों चुपड़ी हुई रोटी खिलाएं. इसके अलावा शनिदेव को शांत करने के लिए शनि अमावस्या के दिन 1 लीटर सरसों के तेल की बोतल शनि मंदिर में रख आएं, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि इसके बाद पीछे न मुड़कर न देखें और सीधे घर वापस आ जाएं.*
*शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्म के आधार पर फल देते हैं. शनिदेव, जिनके गुरु स्वयं भगवान शिव हैं, जब प्रसन्न होते हैं तो ढेर सारी खुशियां देते हैं, लेकिन जब कोई कुछ गलत करता है, तो वह शनि की दृष्टि से नहीं बच सकता.*
*शनिश्चरी अमावस्या का दिन शनि से संबधित परेशानियों जैसे शनि की साढे-साती और ढैय्या से मुक्ति पाने के लिये बहुत ही अच्छा है. साथ ही इस दिन पितृ दोष आदि से भी छुटकारा पाया जा सकता है*
*शनि अमावस्या का शुभ मुहूर्त*
*अमावस्या तिथि आरंभ- 12 मार्च,शुक्रवार दोपहर 3 बजकर 5 मिनट से*
*अमावस्या तिथि समाप्त- 13 मार्च, शनिवार दोपहर 03 बजकर 51 मिनट पर*
*शनि अमावस्या का महत्व*
* शनिश्चरी अमावस्या के दिन जन्मपत्रिका में अशुभ शनि के प्रभाव से होने वाली परेशानियों, जैसे शनि की साढे-साती, ढैय्या और कालसर्प योग से भी छुटकारा मिलता है. शनि देव कर्मफल दाता हैं, वे न्याय के देवता हैं. शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्म के आधार पर फल देते हैं. शनिदेव, जिनके गुरु स्वयं भगवान शिव हैं, जब प्रसन्न होते हैं तो ढेर सारी खुशियां देते हैं, लेकिन जब कोई कुछ गलत करता है, तो वह शनि की दृष्टि से नहीं बच सकता. आज शनिश्चरी अमावस्या का दिन शनि से संबधित परेशानियों जैसे शनि की साढे-साती और ढैय्या से मुक्ति पाने के लिये बहुत ही अच्छा है. साथ ही इस दिन पितृ दोष आदि से भी छुटकारा पाया जा सकता है. लिहाजा आज शनिश्चरी अमावस्या के दिन कैसे आप शनि संबंधी परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं और उनकी कृपा से कैसे अपने काम बना सकते हैं.*
*शनि अमावस्या के दिन शाम के समय सात दीपक, काले तिल, सरसों का तेल, लोहे की कील रखकर पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं. इसके बाद 'ऊं शं शनैश्चराय नम:' मंत्र का जाप करे.*
*अगर आपकी कुंडली में शनि का दोष, साढ़े साती, या शनि ढैय्या है, तो शनिवार के दिन एक स्टील या लोहे की कटोरी में सरसों का तेल भर अस पीपल के जड़ के नीचे रखकर अपनी चेहरा उसमें देखें और उसे पेड़ की जड़ के नीचे दबा दे. इससे आपका शनि ठीक हो जाएगा और आपको विशेष लाभ भी मिलेगा.*
*शनि दोष के कारण आपके कार्यों में अड़चनें आ रही हैं, तो घर पर शमी, जिसे खेजड़ी भी कहते हैं, का पेड़ लाकर गमले में लगाइए और उसके चारों तरफ गमले में काले तिल डाल दीजिये और उसके आगे सरसों के तेलका दीपक जलाकर शनि देव के इस मंत्र का 11 बार जप करें | मंत्र है – ऊँ शं यो देवि रमिष्ट्य आपो भवन्तु पीतये, शं योरभि स्तवन्तु नः.*
*अगर आप शनि की साढे-साती या ढैय्या की चाल से परेशान हैं, तो आपको शनि स्रोत का पाठ करना चाहिए. साथ ही सिद्ध किया हुआ शनि यंत्र धारण करना चाहिए. आज शनिश्चरी अमावस्या का दिन शनि यंत्र धारण करने के लिये बड़ा ही श्रेष्ठ है.*
*जिस व्यक्ति के पितृ दोष लगे है वो आज पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाए और एक कास्य के पात्र में दूध, गंगा जल, काले तिल लेकर पीपल की सात परिक्रमा करते हुए ऊं ब्रह्म देवाय नम: का जाप करता रहा. परिक्रमा पूरी होने के बाद पीपड़ में एक जनेऊ चढ़ाए. इस दिन प्रसाद में काली या सफेद चीज चढ़ाएं और प्रार्थना करें कि हे ब्रह्म देव, हे शनिदेव, हे पितृ देव हमसें कोई भूल हो गई हो तो माफ करिएगा. हम पर प्रसन्न हो जाइए और हमें आर्शीवाद दीजिए. इसके बाद इस श्लोक का ध्यान करें.*
*शनि ग्रह की शांति के लिए करें इन नामों का स्मरण*
*कोणस्य: पिंगलों व्रभ्रु: कृष्णों रौद्रान्तकरे यम:.*
*सौरि: श्नेश्चरों मन्द पिप्पलादेल संस्तुत:..*
*एताति दशं नाभानि प्रातरूक्थाय य पठोत्.*
*शनैश्चरे कृता पीडा न मदाचिद् भविष्यति..*
*यानि कि इन दस नामों का सुबह के समय स्मरण करनें से कभी आपको शनि ग्रह का कष्ट नही सताएगा.*
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-शनिवार और अमावस्या के दिन प्रेमी युगल को नहीं मिलना चाहिए
महाशिवरात्रि पर गृहस्थ और साधकों के लिए पूजा का समय
शिवरात्रि विशेष: पारद शिवलिंग का पूजा महत्व
Leave a Reply