पलपल संवाददाता, जबलपुर.मध्यप्रदेश के जबलपुर स्थित सिहोरा कृषि उपज मंडी में किसान महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत बोले कि विचारधारा को बंदूक की नोक से नहीं रोका जा सकता है, उद्योगपतियों के इशारे पर रेल बेची, स्टेशन बेचे, एयरपोर्ट बेचे अब गरीब की रोटी को तिजोरी में बंद करने की साजिश के साथ किसान को तबाह करने का षडयंत्र रचा जा रहा है उसे हम कभी सफल नही होने देगें. महापंचायत में करीब दस हजार से ज्यादा किसान उपस्थित रहे.
सिहोरा कृषि उपज मंडी में किसानों के विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए श्री टिकैत ने आगे कहा कि किसान को अपनी जमीन औलाद से भी अधिक प्यारी होती है किसान जब जीवित रहते अपनी जमीन औलाद के नाम नहीं कर सकता है तो फिर वह अपनी जमीन को जान-बूझकर किसी अंजान को कैसे सौंप देगा किसान अपनी एक इंच जमीन भी कारपोरेट घरानों को नहीं देने वाले हैं. यह आंदोलन तब तक चलेगा, जब तक कृषि बिल वापस नहीं होता तो हम संसद कूच करेंगे. जिसमें देशभर से किसान हिस्सा लेंगे.
मां नर्मदा को प्रणाम करते हुए महापंचायत में नौजवानों की उपस्थिति को आंदोलन एवं क्रांति का प्रतीक बताते हुए टिकैत ने कहा आगे कहा कि दिल्ली में 100 दिन से आंदोलन चल रहा है सरकार मान नहीं रही क्योंकि सरकार किसी विचारधारा की नहीं उद्योगपतियों की है. उन्होने यह भी कहा कि देश को कंपनी के हाथों संचालित नही होने दिया जाएगा, इसके लिए आजादी की दूसरी क्रांति की जरूरत पड़ी तो हम लडऩे तैयार हैं.
नए कृषि कानून की आत्मा ही काली-
नए कृषि कानून काली कानून की संज्ञा देते हुए टिकैत ने कहा कि कोरोना काल में जब हम जान अपने घरों में कैद थे तब कंपनी के इशारों पर सरकार नए कृषि कानून लेकर आई इसलिए ये कानून ही नहीं इनकी आत्मा ही काली है.
किसानों को नहीं मिल रहा बाजिव दाम-
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बलराम सिंह ने कहा कि 1967 में एमएससी लागू किया गया था किंतु आज भी किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है तब गेहूं के दाम 70 क्विंटल थे डीजल 38 पैसे प्रति लीटर मिलता था एक क्विटंटल में 200 लीटर डीजल किसान को मिल जाता था आज 1 क्विंटल गेहूं बेचकर किसान 20 लीटर डीजल भी नहीं खरीद पा रहा.
केंद्र सरकार पर जमकर भड़के किसान नेता-
महापंचायत को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के मेजर सिंह गुरमीत सिंह गुरुदत्त सिंह, जसवीर सिंह, प्रीतम सिंह, संगति सैनी, रूपेंद्र पटेल सहित अनेक किसान नेताओं ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब तक नए कृषि कानून को वापस नहीं लिया जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा एवं 26 मार्च को भारत बंद का आवाहन किया.
टिकैत का जबलपुर से पुराना नाता-
मध्यप्रदेश में जब सीलिंग एक्ट लागू किया गया था तब जबलपुर के किसानों की आवाज को बुलंद करने राकेश टिकैत के पिता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की अगुवाई में किसानों की जायज मांगों की लड़ाई लड़ी गई थी.
अनेक संगठन में शामिल-
संयुक्त किसान मोर्चा एवं भारतीय किसान यूनियन के तत्वावधान में आयोजित महापंचायत में ओबीसी महासभा भारत कृषक समाज किसान मजदूर संघ सहित अनेक संगठन मौजूद रहे महापंचायत का संचालन एवं आभार प्रदर्शन एडवोकेट रमेश पटेल द्वारा किया गया.
पोस्टर-बैनर फाड़कर ओछी हरकत कर रहे, किसान डरने वाला नही-
श्री टिकैत ने कहा कि पोस्टर, बैनर फाड़कर ओछी हरकतें की जा रही है, जिन लोगों ने यह घिनौना व कायरना काम किया है, उनमें दम है तो अपने सरकार के पोस्टर, बैनर फाड़कर दिखाए, इस तरह की हरकतों से किसान डरने वाला नहीं है, उनको जबाव दिया जाएगा.
पत्रकारवार्ता में बोले टिकैत, एमपी में किसानों की हालत ठीक नही-
आमसभा से पहले पत्रकारों से चर्चा में राकेश टिकैत ने कहा कि मध्यप्रदेश में किसानों की स्थिति ठीक नहीं है, यहां के किसानों को भी बहलाफुसलाकर आंदोलन में शामिल नहीं होने दिया जा रहा है, लेकिन यह सबकुछ ज्यादा दिन तक नहीं चलने वाला है, क्योंकि अब किसान के साथ नवजवान भी जाग गया है, वह भी अच्छी तरह से जान गया है कि कृषि कानून बिल किसानों के लिए कितना नुकसानदायक है, उन्होने यह भी कहा कि जबलपुर व एमपी का किसान फसल आने के बाद उसका व्यापार कलेक्ट्रेट कार्यालय के बाहर से करेगा, क्योकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि किसान मंडी के बाहर अपना गेंहू बेच सकेगें, इसलिए किसान सरकारी कार्यालयों के बाहर खड़े होकर गेंहू बेचेगें.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-किसान आंदोलन लंबा खिंचने की आशंका, किसानों ने बनाने शुरू किए ईंट के मकान
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