नजरिया. तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा का आंदोलन दिल्ली से दूर पश्चिम बंगाल में पहुंच रहा है और यह पश्चिम बंगाल में बीजेपी के सियासी सूर्योदय पर सवालिया निशान लगा रहा है?
यह आंदोलन गैर-राजनीतिक था, लेकिन केन्द्र सरकार के सियासी हठ के कारण अब किसान नेता खुलकर राजनीति कर रहे हैं और उन्होंने ऐलान कर दिया है कि वे बीजेपी को हराने के लिए प्रचार करेंगे!
संयुक्त किसान मोर्चा ने कोलकाता की प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की कि बंगाल में बीजेपी हारी तो उसका घमंड टूटेगा?
हालांकि, इस दौरान भी किसान नेताओं ने स्पष्ट कहा कि उनका आंदोलन गैर-राजनीतिक है, मोर्चा किसी दल को समर्थन नहीं देगा, लेकिन बीजेपी को हराएगा. बीजेपी हारी तो उसका घमंड टूटेगा.
किसान नेताओं का साफ कहना है कि उनकी लड़ाई कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए है. बीजेपी नेतृत्व वाली सरकार ने ये कानून बनाए हैं, इसलिए उसका देश में हर जगह विरोध करेंगे.
दिलचस्प बात यह है कि विधानसभा चुनाव तो पांच राज्यों में हैं, लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा का सबसे ज्यादा जोर बंगाल पर इसलिए है कि यही से बीजेपी को बड़ी उम्मीद है और बीजेपी ने सारी ताकत भी यही लगा रखी है.
वैसे तो पश्चिम बंगाल में त्रिकोणात्मक संघर्ष के नतीजे में गैर-भाजपाई वोटो के बिखराव की उम्मीद में बीजेपी सत्ता के सपने देख रही है, किन्तु यह भी हो सकता है कि बीजेपी को सत्ता के करीब पहुंच कर निराशा हाथ लगे!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अभिमनोजः हरियाणा में सरकार सुरक्षित! विधायक सियासी तौर पर असुरक्षित?
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