नजरिया. किसान आंदोलन तीसरे चरण में आ गया है, पहले चरण में किसानों ने अपनी मांगे रखी, सरकार से बातचीत की, दूसरे चरण में सरकार का विरोध किया और अब तीसरे चरण में पीएम मोदी की पार्टी का राजनीतिक विरोध शुरू हो गया है, क्योंकि मोदी सरकार ने किसानों को लगातार नजरअंदाज करके उकसाया है.
जाति के आधार पर किसान आंदोलन को बदनाम करने का ही नतीजा है कि किसान महापंचायत बलिया की भीड़ का फोटो जारी करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि- यह भीड़ न सिख है न जट्ट है न मुट्टी भर किसान है. यह देश के एक जिले के बलिया के किसान है. यह जनक्रांति है!
इस महापंचायत में राकेश टिकैत केंद्र सरकार पर हमलावर नजर आए और कहा कि कोलकाता में बड़ी लड़ाई होगी. हम वहां के किसानों के बीच जाएंगे और कृषि कानून की खामियों की जानकारी देंगे, किसानों से आंदोलन के लिए समर्थन मागेंगे.
उन्होंने कहा- 13 मार्च को पश्चिम बंगाल जाऊंगा, वहां किसानों-मजदूरों व युवाओं से मिलूंगा, तीनों काले कानून और एमएसपी पर किसानों से बात करूंगा, सरकार ने किसान की पगड़ी उछालने का काम किया है.
हालांकि, उन्होंने किसी भी पार्टी के समर्थन या खुद चुनाव लड़ने की संभावनाओं को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि- उन्हें सिर्फ आंदोलन करना है, चुनाव नहीं लड़ना, किसानों को न्याय दिलाना है और इसके लिए यदि पूरे साल आंदोलन करना पड़े तो भी वे पीछे नहीं हटेंगे.
हम वहां किसानों से अपने आंदोलन के लिए समर्थन मांगने जा रहे हैं और उन्हें यह भी बताने जा रहे हैं कि कृषि कानूनों से उन्हें क्या-क्या नुकसान होने जा रहा है.
जाहिर है, किसानों की इस सक्रियता का बीजेपी को कई राज्यों में नुकसान उठाना पड़ेगा, लेकिन इससे पीएम मोदी को सीधे कोई नुकसान नहीं होने जा रहा है, क्योंकि लोकसभा चुनाव तो 2024 में हैं, अलबत्ता प्रादेशिक नेताओं और चुनावी राज्यों के बीजेपी के मुख्यमंत्रियों को जरूर सियासी झटके लगेंगे!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-ब्रिटिश संसद में हुई किसान आंदोलन पर चर्चा, भारत ने जतायी कड़ी आपत्ति
जब तक तीनों नए कृषि कानून रद्द नहीं हो जाते, तब तक किसान आंदोलन जारी रहेगा: राकेश टिकैत
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