कोटा. केन्द्रीय श्रम संगठनों के देशव्यापी आव्हान पर आज सोमवार 15 मार्च को पूरे देश में किसान-श्रमिकों के ज्वलंत मुद्दों को लेकर निजीकरण विरोधी दिवस मनाया जा रहा है. इसी श्रृंखला में कोटा में केन्द्रीय श्रम संगठनों के संयुक्त मोर्चा के संयोजक मुकेश गालव के नेतृत्व में कोटा रेलवे स्टेशन के प्रांगण में आम सभा कर विशाल प्रदर्शन किया गया.
श्री गालव ने बताया कि केन्द्र सरकार देश के मजदूर-किसानों पर नैगमिक घरानों की मांग के अनुसार आये दिन ताबड़-तोड़ हमले कर रही है. स्वयं प्रधानमंत्री जी की उपस्थिति में हुये भारतीय श्रम सम्मेलनों के निर्णयों को मानने और लागू करने से सरकार मुकर रही है. अब तो भारत सरकार ने भारतीय श्रम सम्मेलनों का आयोजन ही बंद कर रखा है. अभी हाल ही में भारतीय किसानी एवं किसानों को बर्बाद करने वाले तीन विधेयक और 44 श्रम कानूनों को समाप्त कर श्रम सुधारों के नाम पर लाये जा रहे 4 बिल किसानों और मजदूरों को पँूजीपत्तियों के गुलाम व बंधुआ बनाने के दस्तावेज हैं, जिनका किसानों एवं मजदूरों द्वारा पुरजोर विरोध किया जा रहा है. रेलवे, बैंक, बीमा आदि का निजीकरण कर श्रमिकों को बर्बाद करने की साजिश रची जा रही है.
केन्द्रीय श्रम संगठनों ने मांग की है कि रेल, बैंक, बीमा आदि का निजीकरण बन्द किया जाये, पँूजीपति नियोजकों/उद्योगपति घरानों के पक्ष में किये जा रहे श्रम सुधारों के चारों बिलों को वापस लिया जाए, किसानों के हितों के खिलाफ पारित कानूनों को तत्काल निरस्त किया जाए, बढ़ती बेरोजगारी एवं आसमान छूती मंहगाई पर रोक लगाई जाए, लॉकडाउन अवधि में निकाले गये सभी श्रमिकों को पुन: नौकरी पर लिया जाए तथा लॉकडाउन अवधि का पूरा वेतन भुगतान किया जाए, न्यूनतम वेतन कम से कम 21,000 रूपये किया जाए, ठेकेदारी प्रथा समाप्त की जाए. सभी ठेका श्रमिकों को समान काम के लिए नियमित मजदूरों को मिलने वाले वेतन भत्ते व अन्य सुविधाएं प्रदान की जाये. इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लागू किया जाए, मजदूर आंदोलन में पुलिस हस्तक्षेप बंद किया जाए. ट्रेड यूनियन पंजीकरण में मालिक प्रशासन और सरकार की दखलअंदाजी बंद की जाये, सभी को सामाजिक सुरक्षा और 10,000 रूपये पेंशन लागू करो.
श्रमिकों को सस्ती दरों पर रहने के लिए आवास उपलब्ध करवाओ, योजनाकर्मी, आंगनबाड़ी, आशा, साथिन, सहयोगिन, मिड-डे-मील वर्कर्स को नियमित करो. मजदूर का दर्जा मान कर न्यूनतम वेतन दो. पर्याप्त बजट आवंटन करो. निजीकरण बंद करो, सभी असंगठित श्रमिकों तथा खेतिहर मजदूरों के लिए अलग-अलग सर्वव्यापी कानून बनाये जाए, बोनस, पीएफ, ई.एस.आई सहित सभी श्रम कानूनों में लगाई गयी सीमाओं को तुरन्त समाप्त की जाए तथा पी.एफ में ब्याज दर बढाई जाए, बैंक-बीमा सहित राजकीय उपक्रमों को निजीकरण करना बंद करो तथा देश के सार्वजनिक उपक्रमों व नवरत्नों भारतीय रेल, हवाई सेवा, कोयला, पेट्रोलियम, खाद कारखाने, बी.एस.एन.एल, डाक, रक्षा उत्पाद, कोयला खदाने, बीमा-बैंक आदि उद्योगों उनमें 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का निर्णय वापस लो एवं इनको बेचना बंद करो. ट्रेड यूनियनों का पंजीकरण 15 दिन में लागू करो, खुदरा व्यापार में विदेशी पँूजी निवेश (एफ.डी.आई) पर रोक लगाओ.
केन्द्रीय श्रम संगठनों के संयुक्त मोर्चो के संयोजक मुकेश गालव के नेतृत्व में एआईटीयूसी के पदम पटौदी, हिन्द मजदूर सभा के इरशाद खान, सीआईटीयू के राकेश गालव, आर.सीटू के महेन्द्र नेह, किसान मार्चा के दूलीचंद बोरदा, अब्दुल हमीद, एलआईसी के टीजी विजय कुमार, बैंक से ललित गुप्ता, रमेश सिंह, राज्य कर्मचारी संघ के बर्दीलाल मीणा, अशोक लोदवाल, महावीर मीणा, महिला सेवा दल की रजिया बानो ने भी संबोधित किया.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-राजस्थान के कोटा में आंगनबाड़ी महिलाओं की विशाल रैली, कलेक्टर को सौंपा मांगपत्र
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