केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत एमपी, उत्तर प्रदेश को 750 एमसीएम पानी देने पर सहमति

केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत एमपी, उत्तर प्रदेश को 750 एमसीएम पानी देने पर सहमति

प्रेषित समय :15:16:57 PM / Mon, Mar 15th, 2021

भोपाल. मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण लेकिन विवादित रही केन-बेतवा लिंक परियोजना का विवाद सुलझने के आसार बन गए हैं. मध्य प्रदेश सरकार उत्तर प्रदेश को 750 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर या 750 अरब लीटर) पानी देने को तैयार है. इस पर सैद्धांतिक सहमति बन गई है. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी में इस पर जल्द मुहर लगने के आसार हैं. दोनों राज्यों के हितों को ध्यान में रखते हुए यह हल निकाला गया है.

जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लंबे समय से विवादों में उलझी इस परियोजना के कई मुद्दों पर सैद्धांतिक सहमति बन गई है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में इस पर मुहर जल्द लग जाएगी. मालूम हो, परियोजना से उत्तर प्रदेश रबी सीजन के लिए 930 एमसीएम (930 अरब लीटर) पानी मांग रहा है, जबकि मध्य प्रदेश 2005 में हुए अनुबंध की शर्तों के तहत 700 एमसीएम (700 अरब लीटर) पानी ही देना चाहता था.

इस विवाद के हल के लिए दोनों राज्यों के अधिकारियों ने कई दौर की उच्च स्तरीय बैठकें की हैं. मध्य प्रदेश की आपत्ति परियोजना से वन संपदा खत्म होने को लेकर भी थी और तर्क दिया गया था कि इसका अधिक लाभ प्रदेश को मिलना चाहिए. गौरतलब है कि वर्ष 2009 में भारत सरकार ने केन-बेतवा लिंक बहुउद्देशीय परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया था. इसके लिए बजट 90.10 के अनुपात में केंद्र एवं संबंधित राज्यों को देना है. परियोजना मध्य प्रदेश के छतरपुर एवं पन्नाा जिलों में स्थित है. इसे पूरा करने से होने वाली संपूर्ण क्षति (जैसे भूमि अधिग्रहण, जंगल क्षति, राजस्व भूमि की क्षति, प्रतिपूरक वनीकरण के लिए गैर वनभूमि की व्यवस्था, जनजातीय परिवारों का विस्थापन एवं पुनर्वास इत्यादि) मध्य प्रदेश को वहन करना पड़ रहा है.

मध्य प्रदेश को मिलेगी बिजली

उत्पादन की हिस्सेदारी को लेकर भी चर्चा अंतिम दौर में है. बताया गया है कि इससे संबंधित जल विद्युत परियोजना से मिलने वाली 78 मेगावाट बिजली मध्य प्रदेश को मिलेगी. इससे छह लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र को सिंचाई में लाभ होगा. साथ ही सूखे की मार झेलने वाले बुंदेलखंड को भी पर्याप्त पानी मिल सकेगा.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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