असम के चाय बागान दुनियाभर में मशहूर है. असम के चाय दुनियाभर में निर्यात की जाती है. आज हम आपको असम के इतिहास के बारे में कुछ रोचक तथ्य बाताएंगे. क्या आप जानते कि मुगलों ने बहुत बार इस क्षेत्र पर आक्रमण किया था, लेकिन वे हर बार यहां राज करने में नाकाम रहे, लगभग 17 बार अहोम शासकों ने मुगलों को हराया था. औरंगजेब ने भी असम पर हमला किया था लेकिन सफलता नहीं मिली थी.आइए यहां जानें इससे जुड़ी कुछ और भी बातें.
असम की आबादी
असम की कुल आबादी में लगभग 61.47 प्रतिशत आबादी हिन्दू है जबकि 34.22 प्रतिशत आबादी मुस्लिम, 3.74 प्रतिशत इसाई और बाकी अन्य धर्म से संबंधित लोग जैसे जैन, बौद्ध आदि शामिल हैं. आजादी के बाद Assam एक बड़ा राज्य था. असम की राजधानी उस समय शिलांग थी. वहीं राज्यों के मांग के चलते 1968 में नागालैंड, 1972 में मेघालय और मिजोरम को असम से अलग कर दिया गया, क्योंकि शिलांग मेघालय के हिस्से में चला गया. इसलिए असम की राजधानी दिसपुर हो गया. असम में ब्रह्मपुत्र नदी बहुत मशहूर है. ये नदी राज्य के बीच से होकर निकलती है. जो लगभग 100 किलोमीटर चौड़ी और 1000 किलोमीटर लम्बी है. ब्रह्मपुत्र नदी से माजुली द्वीप बना है, जो दुनिया में नदी से बना सबसे बड़ा द्वीप माना जाता है.
असम का इतिहास
ऐसा कहा जाता है कि असम शब्द संस्कृत शब्द ‘असोमा’ से बना है. इस शब्द का मतलब अनुपम और अद्वितीय है. वहीं बहुत से लोगो का कहना कि ये ‘अहोम’ से बना है. असम की धरती पर लगभग 600 सालों तक अहोम शासकों का रजा रहा था. ये समय ब्रिटिश शासन से पहले का था. इ
स राज्य में बहुत सी जातियां पहाडियों और घाटियों आकर बसी थी. जैसे आस्ट्रिक, मंगोलियन, द्रविड़ और आर्य आदि. और अलग परपरांओं और रहन सहन के असम की संस्कृति बनी. यही कारण है कि यहां कि संस्कृति और सभ्यता का समृद्ध मानी जाती रही है.
प्राचीन समय में असम को ‘प्राग्ज्योतिष’ यानी ‘पूर्वी ज्योतिष का स्थान’ कहा जाता था. और बाद में इस राज्य का नाम ‘कामरूप’ पड़ गया. ‘कामरूप’ के जिक्र इलाहाबाद के समुद्रगुप्त के शिलालेख में मिलता है, जहां गुप्त साम्राज्य के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध का उल्लेख करता है.
कामरूप राज्य में राजा कुमार भास्करवर्मन की ओर से दिए निमंत्रण के बाद चीन का विद्वान यात्री ह्वेनसांग लगभग 743 ईसवी में कामरूप में आया. और ऐसे 12वीं शताब्दी ईसवी तक पूर्वी सीमांत प्राग्ज्योतिष और कामरूप के नाम से जाना जाता था. यहां के राजा अपने आपको ‘प्राग्ज्योतिष नरेश’ कहते थे.
इसके इतिहास की बात करें तो सन 1228 में पूर्वी पहाड़ियों पर से एक नया बदलाव देखा गया. जो करीब 600 सालों तक यहां रहें. लेकिन राजदाबर के लड़ीई झगड़े के चलते अहोम शासकों राज बिखरने लगा. इसके बाद यहां बर्मी लोग आकर बसे.
लेकिन एक संधि के चलते ये राज्य सन 1826 में ब्रिटिश सरकार को सौंप दिया गया. ये राज्य अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से लगा हुआ है, जहां असम के उत्तर में भूटान और अरूणाचल प्रदेश, पूर्व में मणिपुर तथा नागालैंड और दक्षिण में मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-करना चाहते हैं दुर्लभ पक्षियों का दीदार, तो हिमाचल के इन जगहों पर जाएं
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