*रंगों के त्योहार होली की शुरुआत चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होती है और शुक्ल पक्ष की पंचमी तक रंग खेला जाता है.*
*इसे रंग पंचमी कहते हैं. इस साल रंग पंचमी का उत्सव 2 अप्रैल को मनाया जाएगा.*
*फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन के बाद लोग रंग खेलते हैं और पंचमी तक यह उत्सव चलता है.*
*कुछ स्थानों पर इसे श्री पंचमी भी कहा जाता है. दरअसल श्री का अर्थ हर्ष, सुख-समृद्धि और आनंद उल्लास से होता है. इसलिए इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करके भी आप लाभ पा सकते हैं.*
*रंग पंचमी का उत्सव मध्यप्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाता है.
*इसे कई स्थानों पर देव पंचमी भी कहा जाता है. परंपराओं के अनुसार इस दिन होली की तरह ही रंगों को खेला जाता है. रंगों की तरफ इस दिन देवता भी आकर्षित होते हैं. मान्यता है कि रंग और गुलाल से वातावरण में ऐसा माहौल बन जाता है कि जिससे तमोगुण और रजोगुण का नाश हो जाता है. शास्त्रों के अनुसार यह दिन देवताओं को समर्पित होता है.*
*महाराष्ट्र में मछुआरों के समाज में इस दिन का खास महत्व होता है. इस दिन इनके बीच में नाच गाना होता है. रंग पंचमी पर यहां महाराष्ट्र का पारंपरिक व्यंजन पूरनपोली बनाया जाता है. यहां जगह-जगह दही हांडी के कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है. महिलाएं मटकी फोड़ने का ध्यान बंटाने के लिए उन पर रंग फेंकती है.*
*मध्यप्रदेश में रंग पंचमी के उत्सव पर जूलूस निकाला जाता है और एक-दूसरे पर रंग और सुगंध और रंग से मिला हुआ जल छिड़कते हैं. इंदौर में इस अवसर पर विशेष आयोजन होता है. यहां एक जूलूस होता है जिसे गेर कहते हैं. साथ ही जगह-जगह सांस्कृतिक उत्सव मनाए जाते हैं.*
*रंग पंचमी मुख्य रूप ये पंचतत्वों को सक्रिय करने का त्योहार माना जाता है. इनमें हवा, आकाश, पृथ्वी, जल और अग्नि को शामिल किया जाता है. माना जाता है कि इस दिन रंग खेलने से ये पांचों देवता प्रसन्न होते हैं और सुख, समृद्धि और वैभव का आशीर्वाद देते हैं*.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-एकाधिक धर्म का विकल्प भी होना चाहिए!
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