न्यूज-व्यूज-कन्फ्यूज. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में मोदी, ममता और एकतरफा मीडिया की प्रतिष्ठा दांव पर है, कारण? वैसे तो देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, लेकिन सबकी नजरें पश्चिम बंगाल पर फोकस हैं, क्योंकि पीएम मोदी का दावा है कि इस बार बीजेपी 200 पार, तो सीएम ममता बनर्जी तीसरी बार सत्ता पर कब्ब्जा जमाने के लिए सियासी जंग लड़ रहीं हैं और इन दोनों से हटकर एकतरफा मीडिया है, जो पीएम मोदी से भी आगे भाग कर सत्ता परिवर्तन की आवाज बुलंद कर रहा है, लिहाजा यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि किसकी प्रतिष्ठा बचती है!
इन चुनावों के नतीजे इस तरह हो सकते हैं....
एक- टीएमसी जीत जाए और बहुमत प्राप्त करके सत्ता में आ जाए. ऐसी स्थिति में संभव है कि मोदी-शाह की पकड़ कमजोर हो, लिहाजा उन्हें बीजेपी के भीतर से विरोध का सामना भी करना पड़ सकता है. यही नहीं, ऐसी स्थिति बीजेपी के साथ-साथ एकतरफा मीडिया की भी बोलती बंद हो जाएगी.
दो- किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिले. ऐसी स्थिति में भी टीएमसी सबसे बड़ा दल हो सकता है और वह वाम-कांग्रेस गठबंधन के साथ सरकार बना सकता है, क्योंकि वाम-कांग्रेस गठबंधन बीजेपी का समर्थन तो नहीं करेगा. इस स्थिति में मोदी, ममता और एकतरफा मीडिया, तीनों की सियासी हालत पतली हो जाएगी,
तीन- बीजेपी पूर्ण बहुमत प्राप्त करे. हालांकि, इस वक्त तो ऐसा सोचना भी बेहद मुश्किल है, परन्तु बंगाल की सत्ता प्राप्त करने के लिए बीजेपी को हर हाल में पूर्ण बहुमत प्राप्त करना ही होगा, वरना सत्ता हासिल करने के सपने साकार होते-होते रह जाएंगे. यदि बीजेपी की सरकार बनी, तो मोदी टीम के हौसले तो बुलंद होंगे ही, एकतरफा मीडिया भी अपनी इस कामयाबी पर ताली-थाली बजाने में सबसे आगे रहेगा.
विधानसभा चुनाव से पहले अब तक जितने भी सर्वे आए हैं, वे बताते रहे हैं कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी की सियासी ताकत तो बढ़ेगी, किन्तु सत्ता तो ममता बनर्जी के पास ही रहेगी, हालांकि मतदान के हर चरण के साथ एकतरफा मीडिया पूरी ताकत यह स्थापित करने में लगा रहा है कि बीजेपी की सरकार बन सकती है. इसका एक फायदा भी बीजेपी को है कि चुनावी माहौल से प्रभावित होने वाले और असमंजस में अटके मतदाताओं को मतदान के लिए नया सियासी ज्ञान मिल जाता है कि किसे वोट देना है, ताकि वोट बर्बाद नहीं हो, परंतु कई बार जैसा दिखता है, वैसा होता नहीं है?
उल्लेखनीय है कि इस वक्त बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सरकार है, जिसमें ममता बनर्जी मुख्यमंत्री हैं. पिछले चुनाव 2016 में टीएमसी ने सबसे ज्यादा 211 सीटें जीती थी, जबकि कांग्रेस ने 44, लेफ्ट ने 26 और बीजेपी ने केवल तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी, तो अन्य के खाते में दस सीटों गई थी. यहां बहुमत के लिए 148 सीटें चाहिए, जिनके करीब फिलहाल तो केवल टीएमसी नजर आ रही है, चुनाव में असली मुद्दे तो गायब हैं, यदि ईवीएम का आशीर्वाद मिल गया तो कुछ भी मुमकिन है!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अधीर रंजन चौधरी ने बंगाल में हिंसा के लिये बताया टीएमसी-बीजेपी को जिम्मेदार
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