नजरिया. महाराष्ट्र में कोरोना वायरस का कहर जारी है, हालात ऐसे हैं कि हर रोज पचास हजार से ज्यादा कोरोना केस सामने आ रहे हैं, मतलब- देश के करीब आधे केस, लेकिन चुनावी राज्य जहां कोरोना गाइडलाइन बेअसर है, वहां कोरोना नहीं है, ऐसा क्यों?
खबर है कि महाराष्ट्र सरकार में मंत्री असलम शेख का कोरोना के बढ़ते मामलों पर कहना है कि हमने कोविड-19 टास्क फोर्स से यह जांच करने के लिए कहा है कि केवल महाराष्ट्र में मामले क्यों बढ़ रहे हैं? और उन राज्यों में नहीं बढ़ रहे हैं, जहां पर इस समय चुनाव हो रहे हैं!
उनका तो यह भी कहना है कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के दौरान कई मंत्री वहां बड़े पैमाने पर सभाएं कर रहे हैं, लेकिन वहां कोरोना संक्रमण के मामलों में कोई उछाल नहीं देखने को मिल रहा है, जबकि वहां पर जो हालात दिखते हैं उस हिसाब से चुनावी राज्यों से कोरोना के ज्यादा मामले आने चाहिए.
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को कोरोना टास्क फोर्स के साथ विशेष बैठक की, जिसमें टास्क फोर्स ने राज्य में कोरोना की चेन तोड़ने के लिए पन्द्रह दिनों के सख्त लॉकडाउन का सुझाव दिया.
खबरों की माने तो महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोरोना टास्क फोर्स के साथ बैठक की जिसमें प्रदेश में लॉकडाउन लगाए जाने और कठोर नियम को लेकर चर्चा की गई.
जाहिर है कि प्रदेश में कोरोना के असर को लेकर ठाकरे सरकार निर्णय लेने जा रही है और यदि ऐसा होता है तो इसका फायदा भी होगा, परन्तु बड़ा सवाल यह है कि उन राज्यों का क्या होगा जहां चुनाव चल रहे हैं और नेता कोरोना कानून-कायदों से बेपरवाह होकर चुनाव प्रचार में लगे हैं?
शायद नेताओं को सत्ता मिलेगी और जनता को संक्रमण!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कोरोना का बढ़ता जा रहा कहर, स्वास्थ्य सचिव ने महाराष्ट्र, पंजाब और छत्तीसगढ़ को लिखा पत्र, यह कहा
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