पलपल संवाददाता, जबलपुर। मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में हो रही लापरवाही पर एमपी हाईकोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है, कोर्ट ने केन्द्र व राज्य सरका को आदेश देकर 19 बिन्दुओं की गाइड लाइन जारी की है, आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि हम मूकदर्शक बनकर यह सबकुछ नहीं देख सकते है, कोरोना के गंभीर मरीजों को एक घंटे में अस्पताल में ही रेमडेसिविर इंजेक्शन सरकार उपलब्ध कराए, केन्द्र सरकार रेमडेसिविर का उत्पादन बढ़ाए, जरुरत पडऩे पर आयात भी करे।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा के पत्र याचिका सहित कोरोना को लेकर दायर की गई अन्य 6 याचिकाओं की सुनवाई पूरी करते हुए अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया था। सोमवार को चीफ जस्टिस जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की डिवीजन बेंच ने 49 पेज का विस्तृत आदेश जारी किया। राज्य सरकार को आदेश दिया है कि 10 मई को अगली सुनवाई में वह एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करेगी।
6 याचिकाओं पर हाईकोर्ट में हुई थी सुनवाई
राज्यसभा सांसद विवेक कृष्ण तन्खा ने पत्र के माध्यम से सरकारी अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों के इलाज में हो रही अव्यवस्थाए निजी अस्पतालों में मरीजों से अनाप-शनाप बिल वसूली, ऑक्सीजन की कमी, रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत सहित कई बिंदुओं पर बात रखी थी। वहीं सृजन एक आशा संस्था ने इसी मामले में जनहित याचिका लगाई थी। सुनवाई के दौरान खुद सांसद विवेक तन्खा और वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर ने पक्ष रखा। वहीं शासन की ओर से शासकीय महाधिवक्ता सुनवाई में शामिल हुए थे।
-फैसले में ये है अहम बिंदु
-एमपी हाईकोर्ट की डबल बेंच ने कहा है कि कोरोना की स्थिति भयावह, हम मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकते हैं। प्रदेश में विद्युत शवदाह गृहों की संख्या बढ़ाएं।
-स्वास्थ्य विभाग के खाली पदों पर संविदा पर तत्काल नियुक्ति करें।
-अगली सुनवाई से पहले एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करे सरकार
-जरूरतमंद मरीज को एक घंटे के अंदर रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराएं
-रेमडेसिविर इंजेक्शन की कीमत अस्पताल में चस्पा की जाए।
-36 घंटे में आरटीपीसीआर की रिपोर्ट दी जाए।
-निजी अस्पतालों में भी रेमडेसिविर इंजेक्शन व ऑक्सीजन की उपलब्धता कलेक्टर व सीएमएचओ सुनिश्चित कराएं।
-औद्योगिक इकाईयों को अभी ऑक्सीजन देने की बजाए अस्पतालों में दें।
-देश में रेमडेसिविर इंजेक्शन का आयात करें।
-सरकारी अस्पताल और निजी अस्पताल में एयर सपरेशन यूनिट लगाया जाए।
-निजी अस्पतालों को इसके लिए लोन दिए जाए।
-कोविड केयर सेंटर्स को एक्टिव किया जाए।
-कलेक्टर व सीएमचओ निजी अस्पतालों के साथ मीटिंग कर समय-समय पर होने वाली परेशानियों को दूर करें।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-मरीज की मौत के बाद रेमडेसिविर इंजेक्शन चुरा लेता था वार्ड वॉय, 18 हजार रुपए में बेचता रहा
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