पलपल संवाददाता, इंदौर. एमपी के इंदौर में रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है इंदौर में क्राइम ब्रांच की टीम ने ऐसे डाक्टर विनय त्रिपाठी को गिरफ्तार किया है, जो हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा की अपनी कंपनी में बिना लाइसेंस के रेमडेसिविर इंजेक्शन बना रहा था. पुलिस ने आरोपी विनय त्रिपाठी के पास 16 बाक्स में 400 नकली वॉयल बरामद किए है. जांच में पता चला कि वह बीते एक साल से कांगड़ा सूरजपुर स्थित फॉर्मुलेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चला रहा था.
डीआईजी मनीष कपूरिया ने बताया खबर मिली थी कि रेमडेसिविर इंजेक्शन का स्टॉक लेकर डाक्टर विनय त्रिपाठी इंदौर में घूम रहा था, जिसपर पुलिस ने विनय को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो पता चला कि उक्त इंजेक्शन डाक्टर विनय त्रिपाठी हिमाचल प्रदेश से लेकर आए हैं. जब उनसे संबंधित दस्तावेज मांगे गए, तो वे कागजात नहीं दे पाए. मामले में पुलिस के साथ ड्रग विभाग की टीम भी जांच कर रही है.
पता चला है कि व्यक्ति फार्मा बिजनेस से जुड़ा है, जिसकी पीथमपुर में उसकी यूनिट भी है. अधिकारियों ने यह भी बताया कि डाक्टर विनय त्रिपाठी ने दिसंबर 2020 को कंपनी के मैनेजर पिंटू कुमार के जरिए जिला कांगड़ा के एडिशनल ड्रग कंट्रोलर धर्मशाला के पास इंजेक्शन के उत्पादन के लिए अनुमति मांगी थी. अथॉरिटी ने कंपनी को इसके उत्पादन की अनुमति नहीं दी थी. तब विनय की कंपनी पैंटाजोल टेबलेट्स का ही उत्पादन कर रही थी. कंपनी के मैनेजर पिंटू कुमार ने बताया पिछले साल लॉकडाउन लगने के बाद से कंपनी बंद थी.
अगस्त 2020 को इंदौर के रहने वाले डॉ विनय त्रिपाठी ने ही कंपनी में फिर से उत्पादन शुरू करवाया था. स्टाफ को हर महीने सैलरी भी वही दे रहा था. पिंटू ने बताया दिसंबर 2020 को डॉ विनय त्रिपाठी के कहने पर मैंने एडिशनल ड्रग कंट्रोलर धर्मशाला आशीष रैना को रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, लेकिन अनुमति नहीं मिली थी. रेमडेसिविर इंजेक्शन हमारी कंपनी में बनाया जा रहा था, मुझे इसकी जानकारी नहीं है. कंपनी में वर्तमान में सात कर्मचारी काम कर रहे हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-रेमडेसिविर का उत्पादन होगा दोगुना और घटेगी की कीमतें, भारत सरकार ने दी अनुमति
मेडिकल दुकान मैं 18 हजार रुपए में बिक रहा था रेमडेसिविर इंजेक्शन
एमपी के इंदौर-जबलपुर में रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर मचा हा-हा कार..!
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