नजरिया. देश में कोरोना की दूसरी लहर कहर ढा रही है. खबरों पर भरोसा करें तो देश में हर रोज ढाई लाख से ज्यादा संक्रमित लोग पाए जा रहे है.
हालांकि, अभी भी एकतरफा मीडिया कोरोना को राजनीतिक चश्मे से ही देख रहा है, लेकिन सच्चाई यही है कि केंद्र सरकार सहित प्रादेशिक सरकारों की लापरवाही का नुकसान बेबस जनता को लगातार हो रहा है.
इस बीच मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का शिवराज सरकार को नया निर्देश जारी हुआ है.
खबर है कि कोरोना संकट काल से संबंधित 6 याचिकाओं पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से 49 पन्नों का विस्तृत आदेश जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि....
* सरकार ऑक्सीजन और रेमडेसिवीर इंजेक्शन की सप्लाई को सुनिश्चित करे. यही नहीं, रेमडेसिवीर इंजेक्शन के दाम दवा दुकानों में प्रदर्शित हो, ताकि उनकी ज्यादा कीमत ना वसूली जा सके.
* सरकार 262 कोविड केअर सेंटर, 62 डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर, 16 डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल को पुनः शुरू करें.
* सरकार तमाम सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करें, खासतौर पर भोपाल, जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर के सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं और मजबूत की जाए. ’निजी अस्पतालों और पैथ लैब की दर सरकार निर्धारित करें और निर्धारित दरों पर ही वसूली हो, ये सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है.
* निजी अस्पतालों की ओर से लिए जा रहे बड़े एडवांस डिपाजिट पर रोक लगाए सरकार.
* बेड्स की उपलब्धता संबंधी जानकारी सार्वजनिक हो.
* सरकार पन्द्रह दिनों के अंदर चिकित्सकों के खाली पदों की स्पष्ट जानकारी दे.
इनके अलावा भी कई आवश्यक निर्देश दिए गए हैं.
हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 10 मई को रखी है.
बड़ा सवाल यह है कि क्या अब भी शिवराज सरकार व्यवस्थाओं को सुधारने पर ध्यान देगी या अपनी कमियां, गलतियां छुपाने पर ही फोकस रहेगी?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-एमपी सरकार की मदद में आगे आई भारतीय सेना, हर कदम पर साथ देगी
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