पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी का जबलपुर शहर, जहां पर कोरोना महामारी ने पूरी तरह अपने पैर पसार लिए है, यहां के सरकारी अस्पतालों की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के बारे में क्या कहा जाए, यहां पर पदस्थ मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी को भी अपनी व्यवस्थाओं पर भरोसा नहीं है, वे पत्नी सहित कोरोना संक्रमित होने के कारण निजी अस्पताल की शरण में चले गए. जिससे आम आदमी क ा कैसे बेहतर इलाज हो रहा होगा, इस बात का अंदाजा तो लगाया ही जा सकता है. जिला अस्पताल को लेकर पिछले दिन भी जिला अस्पताल विक्टोरिया में टैक्निशियन की मौत को लेकर भी परिजनों ने जमकर बवाल मचाया है, परिजनाअें का आरोप था कि आक्सीजन का प्रेशर कम होने से घटना हुई है.
बताया जाता है कि जिला अस्पताल विक्टोरिया के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी रत्नेश कुररिया लगातार भ्रमण करते हुए इस बात का पता लगा रहे है कि शासकीय अस्पतालों से लेकर निजी अस्पतालों में भरती मरीजों का बेहतर इलाज हो रहा है या नहीं, उनकी कोशिश यही है कि सरकारी अस्पताल से लेकर निजी अस्पताल में भरती कोरोना संक्रमितों को बेहतर इलाज मिले, इस व्यवस्था को देखते देखते डाक्टर रत्नेश कुररिया व उनकी पत्नी श्रीमती रश्मि कुररिया भी संक्रमित हो गई. डाक्टर दम्पति ने संक्रमित होने के बाद स्वयं निजी अस्पताल की शरण ली है, वे इस समय शहर के एक निजी अस्पताल में भरती होकर इलाज करा रहे है, जबलपुर के जिला अस्पताल के सीएमओ द्वारा निजी अस्पताल में भरती होने के बाद से ही चर्चाओं का माहौल शुरु हो गया है, लोगों का कहना है कि मेडिकल व जिला अस्पताल में कोरोना संक्रमितों क ा इलाज कैसा हो रहा है, यहां पर व्यवस्थाएं कितनी सटीक है, इस बात का अंदाजा तो सिर्फ इस बात से ही लगाया जा सकता है कि कोरोना संक्रमित होने के बाद सीएमएचओ रत्नेश कुररिया अपनी पत्नी सहित निजी अस्पताल में भरती होकर इलाज करा रहे है, उन्हे भी सरकारी व्यवस्थाओं पर भरोसा नहीं है, ऐसे में इन अस्पतालों में भरती हो रहे मरीजों के इलाज कैसा हो रहा होगा, बेहतर समझा जा सकता है. इस मामले में कांग्रेस के नगर अध्यक्ष दिनेश यादव ने भी कहा है कि स्वास्थ्य विभाग के मुखिया को ही शासकीय अस्पतालों पर भरोसा नहीं है तो आम आदमी की क्या हालत हो रही होगी, बेहतर समझा जा सकता है. गौरतलब है कि पिछले दिन भी रांझी के शासकीय अस्पताल में पदस्थ टैक्निशियन मुवीन खान कोरोना के सेम्पल कलेक्शन का काम कर रहे थे, जिसके चलते वे भी दो दिन पहले कोरोना संक्रमित हो गए, जिन्होने जिला अस्पताल के कोविड वार्ड में भरती कराया गया, जहां पर मुवीन खान की उपचार के दौरान मौत हो गई, इस मामले में परिजनों ने आरोप लगाते हुए हंगामा किया कि आक्सीजन का प्रेशर कम होने के कारण मौत हुई है.
लैब टेक्निशियन की मौत पर जांच की मांग-
मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ ने कहा कि फ्रंट लाइन वर्कर मुवीन खान रांझी अस्पताल में पदस्थ रहे, जिनकी जिला अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई, वे बड़ा पत्थर फीवर क्लीनिक में कम संसाधन में काम करते हुए संक्रमित हुए थे, इसके बाद जिला अस्पताल में भी बरती गई लापरवाही से मुवीन खान की मौत हो गई. जब एक कोरोना योद्धा के साथ ऐसा हो सकता है तो आम आदमी के साथ क्या हो रहा होगा, बेहतर समझा जा सकता है. मामले में संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, गोविन्द विल्थरे, अटल उपाध्याय, आलोक अग्निहोत्री, मुकेश सिंह, शहजाद द्विवेदी, रजनीश पाण्डे, अजय दुबे, सतीश उपाध्याय, दालचंद पासी, अरूण दुबे, विनोद साहू, बलराम नामदेव, केके विश्वकर्मा, मनोज पाटकर, राजीव पाठक, नितिन अग्रवाल, राकेश उपाध्याय, श्यामनारायण तिवारी, नितिन शर्मा, मोहम्मद तारिख, संतोष तिवारी, प्रियांशु शुक्ला, राकेश दुबे, आदित्य दीक्षित आदि ने कलेक्टर जबलपुर से प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग की है .
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जबलपुर में आबाद आईपीएल क्रिकेट का सट्टा, गोरखपुर-बेलबाग क्षेत्र में दबिश, 6 गिरफ्तार
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