कोटा. पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा मंडल में कोरोना से संक्रमित रेल कर्मचारी, उनके परिजन, रिटायर रेल कर्मचारियों को अब इलाज के लिए दर-दर नहीं भटकना होगा. दरअसल पिछले काफी समय से रेलवे अस्पताल में इलाज के लिए हो रही परेशानी और अव्यवस्था को दुरुस्त करते हुए बेहतर उपचार सुनिश्चित किये जाने की मांग वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन (डबलूसीआरईयू) द्वारा डीआरएम कोटा, पमरे महाप्रबंधक सहित अन्य अधिकारियों से लगाताार करता रहा, लेकिन गंभीरता से निर्णय लिया गया, जिसके बाद आज बुधवार 28 अप्रैल को यूनियन के महामंत्री मुकेश गालव के नेतृत्व में रेल कर्मचारियों ने कोरोना नियमों का पालन करते हुए डीआरएम आफिस में धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया. जिसके बाद यूनियन की मांग को मानते हुए बेहतर उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की गई.
डबलूसीआरईयू के महामंत्री मुकेश गालव ने वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर बताया कि कोरोना की दूसरी लहर काफी गंभीर है. इसके बावजूद रेल कर्मचारी अपने कत्र्तव्य के प्रति पूरी तरह समर्पित होकर नौकरी कर रहा है, जिसका परिणाम यह है कि रेलवे की आय पिछले साल से डेढ़ गुना बढ़ गई और ट्रेनेें, मालगाड़ी लगातार चल रही हैं.
25 हजार रेल कर्मचारी कोटा अस्पताल पर निर्भर
श्री गालव ने बताया कि इस अस्पताल पर 25 हजार से ज्यादा रेल कर्मचारी, उनके परिजन व रिटायर रेल कर्मचारी आश्रित हैं. वर्तमान विषम परिस्थितियों के दौरान रेलवे अस्पताल के 40 बेड को राज्य सरकार ने अधिग्रहित कर लिया, तब से रेल अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई. आपरेशन भी नहीं पा रहा. केवल ओपीडी चल रही, वह भी मामूली. यही नहीं रेलवे ने जिन निजी अस्पतालों को एफीलेटिड किया है, वहां पर भी कोरोना पाजीटिव रेल स्टाफ को भर्ती नहीं किया जा रहा. उन्होंने कहा कि रेल कर्मचार, परिजन, रिटायर कर्मी, रेलवे अस्पताल से लाभ लेते हैं, कार्ड बना है, इलाज का, पैसा भी कटता है, वर्तमान में कोरोना की दूसरी लहर में पाजीटिव संख्या अधिकतम कर्मचारी, परिजन, रिटायर संक्रमित हो रहे हैं. कोटा में तो 20 की मौत कोरोना से हो चुकी है. पूरे मंडल में 1 हजार से ज्यादा पाजीटिव हैं, इतनी ही संख्या उनके परिजनों व रिटायर कर्मी की.
इस अस्पताल से उस अस्पताल भटक रहे थे कर्मी
यूनियन महामंत्री श्री गालव ने बताया कि लगातार यूनियन को शिकायत मिल रही थी कि रेलवे अस्पताल में मरीज जाता है तो वहां पर उसे देखे बिना मेडिकल कालेज या निजी अस्पताल जाने की सलाह दी जाती थी, कई गंभीर मरीजों की स्थिति ऐसी नहीं होती कि वे कहीं और जा सके, यही नहीं रेमेडिसिविर इंजेक्सन व आक्सीजन भी नहीं मिल रहा था. यूनियन ने अपने स्तर पर एक हेल्पलाइन ग्रुप बनाकर उसमें मोबाइल नंबर जारी किये, काफी कर्मचारियों को लाभ भी दिलाया.
प्रशासन के खिलाफ दिया धरना
रेलवे अस्पताल में लगातार मरीजों की उपेक्षा से परेशान होकर यूनियन ने आज धरना प्रदर्शन दिया, जिसके बाद रेल प्रशासन बैकफुट पर आया और डीआरएम कोटा के साथ यूनियन के महामंत्री श्री गालव की लंबी चर्चा हुई, जिसमें कई सकारात्मक निर्णय लिये गये.
इमरजेेंसी कोविड सेंटर्स खुला
यूनियन महामंत्री श्री गालव के साथ बैठक में डीआरएम कोटा ने माना की उपचार में काफी अव्यवस्थाएं हैं और उन्हें दुरुस्त किया जायेगा, जिसके बाद कई निर्णय लिये, जिसमें तत्काल रेलवे अस्पताल में इमरजेेंसी कोविड सेंटर खोला गया, जहां पर रेल कर्मचारी, उनके परिजन व रिटायर रेल कर्मचारी यदि कोविड संक्रमण के लक्षण वाले हैं तो वे इस सेंटर्स में जाएंगे, जहां पर डाक्टर उनकी विस्तृत जांच करेगा और उसके अनुरूप उन्हें इलाज उपलब्ध करायेगा. यदि आक्सीजन की जरूरत है तो वह दिया जायेगा, यदि रेफर करना है तो इसी सेंटर से उन्हें अन्य अस्पतालों के लिये रेफर किया जायेगा.
तीनों मंडलों के लिए रेमेडिसिविर इंजेक्शन की इमरजेंसी
श्री गालव ने बताया कि रेमेडिसिविर इंजेक्शन की कमी को देखते हुए रेल प्रशासन ने कोटा में 500 इंजेक्शन का इमरजेंसी टेंडर मंगाया है. इसी तरह जबलपुर व भोपाल में 800 इंजेक्शन के टेंडर कर दिये गये हैं. मई के पहले सप्ताह में सप्लाई हो जायेगी. जिससे रेलवे के मरीजों को जहां भी एडमिट हों, उन्हें समय पर यह इंजेक्शन उपलब्ध करा दिया जायेगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-पमरे के कोटा वर्कशाप में कोरोना गाइड लाइन की अवहेलना पर डबलूसीआरईयू गरजी, किया प्रदर्शन
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