मॉस्को। रूस ने अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ बढ़ते तनाव के बीच अपने दुश्मन देशों की लिस्ट प्रकाशित करने का ऐलान किया है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि यह जल्द ही जारी होगा। दोस्त देशों के लिए हमने पहले से मानदंड तय करके रखे हुए हैं। इस ऐलान के बाद यह माना जाने लगा है कि अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ जारी तनाव में रूस एक कदम भी पीछे नहीं हटने वाला है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन खुद ही रूस के दुश्मनों को हदों में रहने की चेतावनी दे चुके हैं।
रूसी विदेश मंत्री बोले, जल्द जारी करेंगे लिस्ट
सर्गेई लावरोव ने सरकारी न्यूज़ एजेंसी स्पूतनिक को दिए इंटरव्यू में कहा कि सरकार के पास विशिष्ट निर्देश हैं, इस कार्य में जो मापदंड हैं, वे स्पष्ट हैं इसलिए मुझे लगता है कि हमें लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पिछले हफ्ते ही राष्ट्रपति पुतिन ने उन देशों के विदेशी राजनयिक मिशनों में काम करने वाले रूसियों की संख्या को सीमित करने के लिए एक डिक्री पर हस्ताक्षर किए जिनका संबंध रूस के प्रति मैत्रीपूर्ण नहीं है।
पुतिन ने दिया था दुश्मन देशों की पहचान करने का आदेश
पुतिन ने ही रूसी विदेश मंत्रालय से ऐसे देशों की की सूची बनाने को कहा था, जो रूस के प्रति दुश्मनी का भाव रखते हैं। जिसके बाद विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के निर्देशन में ऐसे देशों को पहचानने का काम जोरशोर से जारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि रूस इस लिस्ट को सार्वजनिक तो नहीं करेगा, लेकिन उन देशों के प्रति कठोर नीति जरूर बनाएगा। इसमें ज्यादातर देश यूरोप के होंगे।
यूरोपीय देशों के साथ जारी है कूटनीतिक युद्ध
इन दिनों कई यूरोपीय देशों के साथ रूस का कूटनीतिक युद्ध जारी है। पिछले एक महीने के अंदर अमेरिका, स्वीडन, रोमानिया, चेक रिपब्लिक और इटली ने अमेरिकी राजनयिकों को अपने देश से निकाला है। जिसके जवाब में रूस ने भी इन देशों के राजनयिकों को अवांछित घोषित किया है। चेक रिपब्लिक ने तो रूसी अधिकारियों के ऊपर विस्फोट में शामिल होने का आरोप लगाया है। वहीं, रोमानिया ने अपने पड़ोसी देश चेक रिपब्लिक का साथ देने के रूसी अटैशे को अवांछित बता देश से निकाला।
अमेरिका-रूस खेल रहे प्रतिबंध-प्रतिबंध
रूस और अमेरिका एक दूसरे के ऊपर प्रतिबंधों की बरसात किए हुए हैं। जो बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद रूस ने चुनाव में रूसी हस्तक्षेप और टॉप सीक्रेट मिलिट्री फाइल्स को चुराने के लिए हैकिंग का आरोप लगाते हुए प्रतिबंध लगाए थे। अमेरिका ने रूस के 10 राजनयिकों को तुरंत देश छोड़ने का आदेश दिया था, जिसके बाद रूस ने अमेरिका से 10 राजनयिकों को निकाल दिया था।
रूस के साथ कैसे हैं भारत के संबंध
अमेरिका का करीबी होने के बाद भी भारत का रूस के साथ संबंध बहुत अच्छे हैं। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह है कि जब हाल में ही भारत कोरोना के कहर से जूझ रहा था, तब सबसे पहले रूस ने ही मदद की पेशकश की। इतना ही नहीं, उसने भारत को तत्काल रेमडेसिविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन की सप्लाई करने का भी ऐलान कर दिया। दूसरा तथ्य यह है कि अमेरिका के लाख धमकियों के बावजूद भारत ने रूस के साथ एस-400 मिसाइल सिस्टम की डील को रद्द नहीं किया। अगर कोरोना से हालात सामान्य रहे तो इस साल के अंत में पुतिन दिल्ली का दौरा कर सकते हैं। ऐसे में भारत के इस लिस्ट में शामिल होने की कोई भी उम्मीद नहीं है।
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