इंदौर. इंदौर में कोरोना महामारी के बीच कलेक्टर और डाक्टर्स का विवाद आखिरकार दूसरे दिन लंबी जद्दोजहद के बाद थम गया है. कलेक्टर मनीष सिंह ने अपने व्यवहार के लिए जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर पूर्णिमा गडरिया से खेद जताया. इसके बाद डॉक्टर काम पर लौट आए. कलेक्टर ने कहा कि चूंकि हम सब जनता के लिए काम कर रहे हैं इसलिए इगो जैसी कोई बात नहीं है. प्रशासनिक नाराजगी के दौरान उन्हें व्यक्तिगत रूप से यदि बुरा लग गया तो मैं खेद व्यक्त करता हूं. किसी को ठेस पहुंचाने का मकसद नहीं है.
डॉक्टर पूर्णिमा ने दो दिन पहले कलेक्टर पर अभद्र व्यवहार का आरोप लगाकर इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद कलेक्टर के खिलाफ अब पूरा स्वास्थ्य विभाग ने मोर्चा खोल दिया है. लामबंद डॉक्टरों को समझाने के लिए रेसीडेंसी में शुक्रवार सुबह 2 घंटे चली बैठक भी बेनतीजा रही. बैठक में प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट, मंत्री ऊषा ठाकुर, सांसद शंकर लालवानी, संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा, स्वास्थ्य अधिकारी और डॉक्टर मौजूद रहे. जब बात नहीं बनी तो मंत्री और अफसर चले गए थे.
डॉक्टरों ने कलेक्टर को हटाने के लिए 3 दिन का समय दिया. इस दौरान वह काली पट्टी बांधकर ड्यूटी करते रहेंगे. अगर 3 दिन में कलेक्टर को नहीं हटाया गया तो वे हड़ताल पर जाएंगे. वहीं, स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी ने कहा कि प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट सभी पक्षों से संपर्क में हैं. विवाद थम जाएगा, जल्द ही सकारात्मक परिणाम सबके सामने होगा. इसके बाद संभागायुक्त कार्यालय में दोनों पक्ष बैठे. इसमें कलेक्टर ने खेद जताया.
कलेक्टर ने कहा कि यदि हम प्रॉटक्शन देते हैं, मोटीवेशन करते हैं, गाइड करते हैं तो नाराजगी भी प्रशासनिक कार्यवाही का ही हिस्सा है. इसमें कोई इश्यू नहीं है. मैंने यही बात कही भी. फिर यदि व्यक्तिगत रूप से कोई बुरा लगा हो तो मैडम को कहा है कि वे जिन शब्दों में चाहें, मैं खेद व्यक्त करने को तैयार हूं. उन्होंने मुझसे कहा कि मेरा भी कोई ऐसा उद्देश्य नहीं था. बुरा लगा तो इस्तीफा दे दिया था. बस इतनी ही बात थी. उन्होंने डॉक्टर के काम की तारीफ भी की.
गुरुवार को कलेक्टर को हटाने के लिए ज्ञापन दिया था
इसके पहले गुरुवार शाम जहां स्वास्थ्य अधिकारियों ने संभागायुक्त को ज्ञापन देकर शुक्रवार सुबह सामूहिक हड़ताल पर जाने की बात कही थी. शुक्रवार सुबह से ही जनप्रतिनिधियों एवं स्वास्थ्य विभाग के सभी अधिकारियों की बैठक चल रही थी. जनप्रतिनिधि और अफसरों की बात डॉक्टरों ने मानने से इनकार कर दिया.
वहीं इस पूरे घटनाक्रम पर प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट का कहना था कि डॉक्टरों के सम्मान की पूरी जिम्मेदारी मेरी है. मेरा लगातार उनसे संवाद जारी है और अति शीघ्र हल निकाल लिया जाएगा. ईश्वर के बाद डॉक्टर का सम्मान है और यह वक्त सेवा का है. मंत्री ने इस विवाद को परिवार का विवाद बताते हुए कहा कि परिवार में भी कभी-कभी वाद विवाद हो जाते हैं, लेकिन यह लडऩे का समय नहीं है. इस संकट के समय में डॉक्टरों की आवश्यकता है.
कैलाश विजयवर्गीय बोले- कभी-कभी कम्यूनिकेशन गैप हो जाता है
भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि एक-दो घटनाएं ऐसी हुई हैं. प्रभारी मंत्री ने डॉक्टरों से बात की है. कभी-कभी कम्यूनिकेशन गैप हो जाता है. कई बार प्रशासनिक ईगो टकरा जाता है. ऐसी घटनाओं की चिंता करने वाले हमारे आसपास लोग बैठे हुए हैं. कलेक्टर के व्यवहार पर मैं सीधे कोई टिप्पणी नहीं करूंगा, पर कई बार हमें डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के स्ट्रैंथ को भी समझना होगा. इसलिए दोनों जवाबदारी से काम करें.
यह है मामला
प्रशासन के अधिकारियों द्वारा अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के दो डॉक्टरों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफा देने वालों में जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर पूर्णिमा गडरिया और मानपुर के मेडिकल ऑफिसर (सीएमओ) डॉ. आरएस तोमर शामिल हैं. डॉ. गडरिया ने कलेक्टर मनीष सिंह और डॉ. तोमर ने एसडीएम अभिलाष मिश्रा द्वारा प्रताडि़त किए जाने की बात को लेकर यह कदम उठाया है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-इंदौर में पुलिस को देखते ही दूल्हा को छोड़कर भाग गए बाराती, अकेला घोड़ी पर बैठकर पहुंचा विवाह स्थल
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