नई दिल्ली. केंद्र ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया, कोरोना वायरस महामारी के बीच अक्टूबर 2020 में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में अपना आखिरी मौका गंवा चुके अभ्यर्थियों को एक और अतिरिक्त अवसर दिया जाएगा. न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की पीठ को केंद्र ने बताया कि ये फैसला सिर्फ एक बार के लिए उन उम्मीदवारों के लिए है, जिनकी उम्र सीमा से ज्यादा हो गई है.
अतिरिक्त अवसर की ये छूट सिर्फ उन लोगों के लिए है जिनके पास ष्टस्श्व 2020 में बैठने के लिए आखिरी मौका था. सिर्फ इन्हीं कैंडिडेट्स को उम्र सीमा में छूट मिलेगी, वे ष्टस्श्व 2021 के लिए मान्य होंगे. सिविल सेवा परीक्षा 2021 में बैठने के लिए अतिरिक्त अवसर उन्हें नहीं दिया जाएगा, जो परीक्षा अटेंप्ट करने की अपनी आखिरी नहीं गंवा रहे होंगे.
बता दें कि केंद्र सरकार और यूपीएससी के बीच इसे लेकर कई बार पहले भी सुनवाई हो चुकी है. इससे पहले शीर्ष न्यायालय ने इस बात का जिक्र किया था कि चार अक्टूबर 2020 को सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में ऐसे छात्र जो शामिल हुए थे लेकिन उनकी उम्र सीमा 2021 में खत्म नहीं हो रही है, उनकी संख्या 3,863 है. वहीं, जिनकी उम्र सीमा खत्म हो गई है उनकी संख्या 2,236 है, जबकि जिन अभ्यर्थियों की उम्र सीमा के मुताबिक 2020 आखिरी वर्ष था और वह इस परीक्षा में शामिल नहीं हुए थे उनकी संख्या 4,237 है.
न्यायालय ने कहा था कि 2021 की परीक्षा में अतिरिक्त अवसर की जरूरत वाले अभ्यर्थियों की कुल संख्या 10,336 है, जो 2020 की प्रारंभिक परीक्षा का आवेदन करने वालों का 0.97 प्रतिशत है.
न्यायालय ने इस बात का भी जिक्र किया कि यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए अधिकतम उम्र सीमा 32 वर्ष है और इस परीक्षा में उन्हें छह बार बैठने की अनुमति दी गई है. आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को उम्र और अवसर में अतिरिक्त छूट प्राप्त हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-सीएम केजरीवाल का ऐलान- दिल्ली के 300 स्कूलों में लगेगा कोरोना वायरस का टीका
असम में मुख्यमंत्री के नाम पर फंसा पेंच: सर्बानंद सोनोवाल और हेमंत बिस्वा शर्मा दिल्ली तलब
फिर सक्रिय होगा पश्चिमी विक्षोभ, दिल्ली में आंधी-बारिश की संभावना
Leave a Reply