पलपल संवाददाता जबलपुर. मध्यप्रदेश के जबलपुर में ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य केन्द्रों के हालात आज भी बहुत खराब है, शहपुरा के स्वास्थ्य केन्द्र जहां पर कोरोना संकटकाल के समय भी मरीज इलाज के लिए भटक रहे है, अस्पताल के ऐसे हालात यहां पर दो प्रभारी डाक्टर होने के कारण है. प्रभारियों की अनुपस्थिति के चलते अन्य स्वास्थ्य कर्मी भी अस्पताल से अधिकतर समय गायब ही रहते है.
बताया गया है कि कोरोना संकटकाल में ग्रामीण क्षेत्रों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भी चिंता जताई है, उन्होने कहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों की ओर ज्यादा ध्यान दिया जाए, इसके बाद भी शहपुरा स्वास्थ्य केन्द्र दो प्रभारियों के होने के कारण दुर्दशा का शिकार है, दो कायाकल्प अवार्ड पाने वाले इस स्वास्थ्य केन्द्र में स्वास्थ्य सुविधाएं नदारद है. जबकि आसपास के ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती ही जा रही है लेकिन यहां पर प्रभारी आरके खरे व सीके अतरौलिया को इन सारी बातों से कोई सरोकार नहीं है.
सूत्रों की माने तो पूर्व कोरोना काल के समय में तो बीएमओ सीके अतरौलिया के नेतृत्व में व्यवस्थित सुचारु रुप से समुदाय स्वास्थ्य केंद्र में उपचार व्यवस्था चल रही थी, वहीं अब सूत्रों की माने तो सीवीएमओ प्रभारी डॉ आरके खरे को प्रभार मिलने के बाद समुदाय स्वास्थ्य केंद्र की हालात आपसी मतभेद के चलते व्यवस्था चरमरा गई, जहां एक तरफ बीएमओ के पास देखरेख तथा स्वास्थ्य व्यवस्था का प्रभार है, तो वही वित्तीय प्रभार सीबीएमओ के पास है, इन दो प्रभार के चलते सहपुरा समुदाय स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्थाएं पूरी तरह से लाचार हो गई है .
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