वीकेंड ऑस्ट्रेलियन का सनसनीखेज खुलासा: चीन का जैविक हथियार है कोरोना, 2015 से ही चल रही थी तैयारी

वीकेंड ऑस्ट्रेलियन का सनसनीखेज खुलासा: चीन का जैविक हथियार है कोरोना, 2015 से ही चल रही थी तैयारी

प्रेषित समय :08:28:28 AM / Mon, May 10th, 2021

बीजिंग. कोरोना वायरस कहां से आया और इसके किस तरह दुनिया में तबाही मचा दी. इन सवालों को लेकर दुनिया भर के वैज्ञानिक परेशान हैं. चीन की लैब में कोरोना वायरस को विकसित किए जाने के तमाम दावों पर यूनाइटेड नेशंस की टीम भी कोई रिजल्ट नहीं दे पाई. इसी बीच वीकेंड ऑस्ट्रेलियन ने अपनी एक रिपोर्ट में सनसनीखेज दावे करके दुनिया भर में हड़कंप मचा दिया है.

इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीनी वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य अधिकारियों के बीच कोरोना वायरस को लेकर साल 2015 में ही चर्चा की गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक इस बात के लिखित सबूत हैं कि चीनी वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस को जैविक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने पर विचार-विमर्श किया था. ये दस्तावेज तब के हैं, जब दुनिया में सार्स महामारी पैदा भी नहीं हुई थी.

चीनी सेना के वैज्ञानिक सार्स कोरोना वायरस को जैविक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने की बात कर रहे थे. उनके मुताबिक ये नए युग का जैविक हथियार होगा, जिसे कृत्रिम तरीके से नया रूप देकर इंसानों में उभरते जानलेवा वायरस में तब्दील किया जा सकता है. यानि चीन तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियारों के जरिये लडऩे की तैयारी पांच साल पहले से ही कर रहा था. इसके बाद कोविड-19 महामारी दिसंबर 2019 में अस्तित्व में आई थी.

ऑस्ट्रेलियन वीकेंड की इस रिपोर्ट को news.com.au पर भी पब्लिश किया गया है. ऑस्ट्रेलियन स्ट्रैटजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट के कार्यकारी निदेशक पीटर जेनिंग्स ने बताया है कि ये रिपोर्ट उस दावे के मामले में एक बड़ा लिंक हो सकती है, जिसे लेकर लंबे समय से आशंका जताई जा रही है.

ये साफ तौर पर जाहिर करता है कि चीनी वैज्ञानिक कोरोना वायरस के अलग-अलग स्ट्रेन को सैन्य हथियार के तौर इस्तेमाल करने पर विचार कर रहे थे. उनका कहना है कि हो सकता है कि ये मिलिट्री वायरस गलती से बाहर आ गया, यही वजह है कि चीन किसी भी तरह की बाहरी जांच को लेकर असहयोग करता रहा है.

अननेचुरल ओरिजन ऑफ सार्स एंड न्यू स्पेसीज ऑफ मैनमेड वायरेस नाम की जेनेटिक बायोवेपंस की रिपोर्ट में कहा गया है कि तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियारों के जरिये लड़ा जाएगा. साइबर सिक्योरिटी एक्स्पट्र्स के मुताबिक पाया गया चीनी दस्तावेज नकली नहीं है. ऐसे में सवाल ये है कि 5 साल पहले इस तरह की बात करने वाले अधिकारियों और वैज्ञानिकों की बातों में कितनी गंभीरता थी?

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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