कोरोना महामारी के चलते कई लोगों की नौकरी छिन चुकी है. इनमें से कई लोग ऐसे थे जो घर में अकेले कमाने वाले थे, ऐसे में इस महामारी में उन परिवारों की जिंदगी थम सी गई. पिछले साल लगे लॉकडाउन में बड़ी तादाद में प्रवासी मजदूर अपने घर जानें को मजबूर हुए, जिसके बाद न उनके पास काम था और न ही कोई और विकल्प. ऐसा ही कुछ हाल ओडिशा के रहने वाले रंजन साहू का था जिन्होंने पिछले साल कोरोना महामारी के चलते अपनी नौकरी गंवा दी और फिर घर आ गए. हालांकि अब उन्होंने कपड़े बनाने का खुद का बिजनेस शुरू कर लिया है और अपने साथ-साथ बेरोजगार हुए और 70 लोगों को भी काम पर लगाया और कंपनी में नौकरी दी. दरअसल कोरोना महामारी के चलते पिछले साल मार्च में लॉकडाउन लगा और अप्रैल में कोलकाता में स्थिति जिस गारमेंट यूनिट में वह काम कर रहे थे, वो बंद हो गई जिसके बाद वह घर वापस आ गए. उन्होंने बताया , ”मेरे पास मेरी सेविंग थी जिससे मेरा गुजारा चल जाता. पर फिर मुझे अहसास हुआ कि मेरे आसपास कई ऐसे लोग है जो अपनी नौकरी गंवा चुके हैं और उनके पास उतनी सेविंग भी नहीं है जिनसे उनकी गुजारा हो. ऐसे में मैंने सोचा कि अब मैं खुद का बिजनेस शुरू करूंगा.”
साहू ने भुवनेश्वर से 110 किलोमीटर दूर अपने गांव में कपड़े बनाने की पहली यूनिट लगाई. ये यूनिट 3 हजार स्क्वायर फीट में फैली है जिसमें 45 कपड़े सिलने वाली मशीनें हैं. इस यूनिट में इसी साल जनवरी से काम शुरू हो गया है जिसमें शहर से अपने घर वापस आए 70 प्रवासियों को नौकरी दी गई.
इस साल भी कई शहरों में लॉकडाउन
इस वक्त देश कोरोना की दूसरी लेहर का सामना कर रहा है जिसके चलते इस साल भी कई राज्यों ने लॉकडाउन लगाया हुआ है. भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामले लगातार 3 लाख से ज्यादा आ रहे हैं. अब भी रिकॉर्ड मौतों की संख्या दर्ज हो रही हैं. इस बीच यूके के कैंब्रिज जज बिजनेस स्कूल और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इकनॉमिक एंड सोशल रिसर्च के रिसचर्स द्वारा तैयार एक नए ट्रैकर में बताया गया है कि भारत में कोरोना संक्रमण के नए मामलों का चरम (पीक) पहुंच चुका है. हालांकि रिसर्चस की मानें तो राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के बीच नए मामलों में काफी भिन्नता है. कुछ राज्यों में नए केस अब भी बढ़ रहे हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-गौशाला में खोला कोरोना सेंटर, मरीजों को दे रहे दूध और गोमूत्र से बनी दवाएं
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