कर्नाटक के कलबुर्गी में एक डॉक्टर ऐसे हैं, जिन्होंने मानव सेवा को लेकर अपनी जीवन समर्पित कर दिया है. डॉ. के मल्हार राव मल्ले इलाज के लिए अपनी कंसल्टेशन फीस के नाम पर मरीजों से सिर्फ 20 रुपए लेते हैं. वहीं जो लोग इलाज कराने की स्थिति में नहीं हैं, उनसे डॉक्टर ने 2012 तक एक भी पैसा नहीं लिया.
2012 में एक एक्ट पास होने के बाद प्राइवेट डॉक्टर्स को एक बोर्ड लगाना पड़ा, जिसके चलते डॉक्टर ने 10 रुपए फीस लेना शुरू किया. डॉक्टर ने बताया कि उनके पिता ने उनसे ये शपथ दिलाई थी कि वह लोगों से फीस नहीं लेंगे. डॉक्टर ने कहा, “यह मेरे पिता का सपना था कि मैं एक सोशल वर्कर के तौर पर काम करूं. वह चाहते थे कि मैं लोगों को मुफ्त में दवाएं दूं.”
इसलिए बने वो डॉक्टर
अपने बेटे को एक सोशल वर्कर के रूप में देखने के अपने पिता के सपने के बारे में बताते हुए डॉक्टर मल्ले ने कहा कि उनकी दादी की मृत्यु खराब स्वास्थ्य के चलते हुई थी, जबकि परिवार किसी डॉक्टर की सेवा नहीं ले सका. ANI से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उस समय हमें कोई डॉक्टर नहीं मिल सका. इसके चलते मेरे पिता ने मुझे मेडिकल साइंस की पढ़ाई कराई, साथ ही मुझे ज्यादा फीस न लेने का निर्देश दिया. डॉ. के मल्हार राव मल्ले ने 1975 से डॉक्टर के रूप में काम किया है. साल 1974 में उन्होंने अपना एमबीबीएस पूरा किया.
अब तक ले रहे थे 10 रुपए फीस
अब तक वो 10 रुपए फीस ले रहे थे, 77 साल के डॉक्टर ने 10 रुपए फीस बढ़ाने के बारे में बताया कि सालों से मेरे पास कभी भी अपनी जगह नहीं है. 1974 से मैं एक किराए के घर में रह रहा हूं. जो लोग मेरे लिए काम करते हैं, मुझे उन्हें वेतन देना पड़ता है. हाल ही में किराया बढ़ा है, इसलिए मुझे एक्ट्रा 10 रुपए फीस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा. एक मरीज भवानी सिंह जो डॉ. मल्ले से कंसल्ट कराने आए कहते हैं कि वो पिछले 30 से 35 सालों से उनसे कंसल्ट करते रहे हैं. केवल भगवान ही जानता है कि वो महज 20 रुपए में कैसे अपना जीवन यापन कर रहे हैं. मेरे पास उनकी तारीफ के लिए शब्द नहीं हैं.
रोजाना 100 मरीज आते हैं उनके पास
कोरोना के टाइम में भी मल्ले अपने मरीजों का इलाज कर रहे हैं. उनके बहुत से मरीज पास की झुग्गी-झोपड़ी के हैं. डॉक्टर मल्ले के पास हर रोज 75 से 100 मरीज आते हैं. डॉक्टर बताते हैं कि जब कम पैसे कमाने वाले लोग आते हैं और उन्हें बताते हैं कि उनकी दवाओं ने काम किया है तो उन्हें बहुत खुशी होती है. डॉक्टर मल्ले कहते हैं कि अपने पिता की बात मैं कभी नहीं भूलुंगा और जीवनभर ऐसे ही काम करूंगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-ब्राजील सरकार की महिलाओं से अपील- जब तक कोरोना तब तक ना करें गर्भधारण
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