लखनऊ. कोरोना महामारी के बाद अब देश में काली फफूंद यानी ब्लैक फंगस की बीमारी लोगों को डरा रही है. अब उत्तर प्रदेश ने भी इसे महामारी घोषित कर दिया है. इससे पहले राजस्थान, हरियाणा, तमिलनाडु, तेलंगाना, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और पंजाब इसे महामारी घोषित कर चुके हैं. वहीं दिल्ली और कर्नाटक में भी फंगस के केस सामने आए हैं. यहां की सरकारें भी इसे महामारी घोषित कर सकती है. बता दें, फंगस के मामले में केंद्र सरकार ने राज्यों से महामारी रोग अधिनियम, 1897 के तहत महामारी घोषित करने को कहा है.
महामारी घोषित करने का क्या मायने
केंद्र सरकार ने राज्यों से फंगस को महामारी घोषित करने के लिए कहा है, क्योंकि इसके इलाज की एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें कई विशेषज्ञ डाक्टरों को एक साथ काम करना होता है. इनमें आंख-कान-गला विशेषज्ञ, आंख के सर्जन, दांत व चेहरे के सर्जन के साथ सामान्य सर्जन शामिल होते हैं. इस संक्रमण के मामले भले ही कम आ रहे हों, लेकिन इससे मौत की आशंका बहुत बढ़ जाती है. महामारी घोषित होने से केंद्रीय स्तर पर इसका डाटा मौजूद रहेगा और इसके इलाज में लगने वाली जरूरी दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी.
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एक बार महामारी घोषित होने के बाद राज्य के भीतर सभी निजी और सरकारी अस्पतालों को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) की गाइडलाइंस के हिसाब से ब्लैक फंगस संक्रमण की जांच करनी होगी और इसकी जानकारी देनी होगी. इससे ब्लैक फंगस संक्रमण की जांच में एकरूपता आएगी और शुरू में ही इसका पता चलने के कारण पूरी तरह इलाज संभव हो सकेगा. उन्होंने कहा कि सभी राज्यों से ब्लैक फंगस संक्रमण की रिपोर्टें आ रही हैं और इससे एकजुट होकर निपटने की जरूरत है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-देश में ब्लैक फंगस से अब तक 5500 लोग हुये संक्रमित, महाराष्ट्र सबसे ज्यादा 90 लोगों की मौत
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