नजरिया. किसी सरकार के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या होगी कि ऐसे संकट के समय जो जनहित के निर्णय सरकार को करने चाहिएं, उनकी जगह अदाालत को सरकार को ऐसा करने के लिए आदेश देने पड़ रहे हैं.
खबरें हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कोरोना महामारी की वजह से देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरों को ड्राई राशन मुहैया कराने का आदेश दिया है. यही नहीं, कोर्ट ने सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को उन जगहों पर कम्युनिटी किचन शुरू करने का भी आदेश दिया है जहां भी मजदूर फंसे पड़े हैं.
जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने अपने इस आदेश में कहा है कि- प्रवासी मजदूर, चाहे वे देश के किसी भी हिस्से में ही क्यों न फंसे हो, को आत्म निर्भर योजना या केंद्र व राज्यों की किसी अन्य योजना के तहत ड्राई राशन मुहैया कराया जाए. इसके लिए मजदूरों के लिए राशन कार्ड दिखाना अनिवार्य नहीं होना चाहिए.
कोर्ट का यह भी कहना है कि- फंसे पड़े मजदूरों व उनके परिवार वालों को दो वक्त का भोजन मुहैया कराना राज्य सरकार व केंद्र शासित प्रदेशों की जिम्मेदारी है. इसलिए, सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश भी दिया है कि वे उन स्थानों पर कम्युनिटी किचन की शुरुआत करें जहां मजदूर फंसे पड़े हैं. लॉकडाउन की वजह से उनका रोजगार छिन गया है.
कोर्ट ने यह भी कहा है कि कम्युनिटी किचन सहित अन्य योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार करें, ताकि लोग इन योजनाओं का लाभ ले सकें.
कितने आश्चर्य की बात है कि कोरोना संक्रमण की पहली लहर में प्रवासी मजदूरों की खराब हालत देखने के बावजूद सरकार ने इनके लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए, केवल कागजी ऐलान ही किए.
विश्वास किया जााना चाहिए कि अदालत के इस बेहतर आदेश के बाद मजदूरों को जरूरी राहत मिल पाएगी!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली से कार में छिपाकर गुजरात ले जा रहे थे साढ़े चार करोड़ रुपये, पुलिस से दबोचा
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