मिथिलेश कुमार सिंह. कोरोना की दूसरी लहर ने भारत में खतरनाक स्तर पर तबाही मचा रखी है। ऐसी स्थिति में एक बेहद सकारात्मक खबर आई है जो आने वाले दिनों में हमें कहीं और भी बड़ी मुसीबत से बचा सकती है। चूंकि भारत भर में वैक्सीनेशन का काम जोरों से चल रहा है और विदेशों से भी तमाम मदद आ रही है। भारतीय प्रशासन भी गिरते-पड़ते मुसीबत से मुकाबला करने में लगा हुआ है लेकिन इसी बीच कोरोना वायरस की तीसरी लहर को लेकर बड़े स्तर पर चेतावनियाँ जारी की जाने लगी हैं।
न केवल भारत में बल्कि संपूर्ण विश्व में शायद ही ऐसा कोई मूर्ख व्यक्ति या दिशाहीन संस्थान होगा जो अभी भी यह मानने का भ्रम पाल रखा होगा जो यह मानने का जोखिम उठाएगा कि कोरोना वायरस का दौर खत्म हो गया है या फिर इतनी जल्दी खत्म हो जाएग और अगर कोरोना का कुचक्र समाप्त नहीं हुआ है तो आने वाले दिनों में यह निश्चित ही है कि बच्चे भी इसकी चपेट में आ जायेंगे चूंकि अभी बच्चे बाहर कम ही निकलते हैं, घर में बेहद सावधानी से रहते हैं और अगर घर में कोई कोरोना संक्रमित हो भी गया तो वह खुद को आइसोलेट कर लेता है ताकि बच्चे इसकी चपेट में ना आयें।
ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट तक ने बच्चों की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार से कड़े सवाल पूछे थे।
अब सकारात्मक खबर यह है कि भारत बायोटेक को वैक्सीन के फेज 2, फेज 3 के क्लीनिकल ट्रायल को बच्चों पर आजमाने की शुरुआत करने वाला है। इसमें बच्चों की उम्र 2 से 18 साल तक की होगी। यह क्लीनिकल ट्रायल तकरीबन 525 लोगों पर करने की बात कही जा रही है जो दिल्ली एम्स के साथ-साथ पटना एम्स, नागपुर के एमआईएमएस अस्पतालों में किया जाएगा हालांकि एसईसी, यानी सब्जेक्ट एक्सपोर्ट कमेटी ने बड़े साफ तौर पर कहा है कि ट्रायल का फेज 3 शुरू करने से पहले वैक्सीन ट्रायल के फेज टू के डाटा को क्लियर तौर पर बताना होगा। जाहिर तौर पर यह एक बेहद सकारात्मक कदम माना जा रहा है क्योंकि बच्चों के कोरोना संक्रमित होने के झटके को भारत झेल नहीं पाएगा। ऐसी स्थिति में पूर्व सावधानी ही सर्वोत्तम उपाय है!
अगर वैश्विक स्तर पर बात की जाए तो अमेरिका की फाइजर कंपनी अपने यहाँ 12 से 15 साल के बच्चों के टीकाकरण के मंजूरी के प्रोसेस में है, चूंकि वहां पहले ही बच्चों के ऊपर ट्रायल किया गया है। इसी के साथ इंग्लैंड में भी इसी महीने से ट्रायल शुरू होगा जिसमें 6 से 17 साल के बच्चे शामिल किए जाएंगे। अलग-अलग कंपनियों की बात की जाए तो फाइजर बायो एनटेक 12 से 15 साल के इस ग्रुप के लिए ट्रायल एनरोलमेंट कर रहा है। वहीं माडर्ना 12 से 18 साल की उम्र के लिए वालिंटियर्स का फार्म फिल करा रही है। सायनोवेक कंपनी भी 3 से 17 साल के बच्चों के एज ग्रुप पर ट्रायल कर रही है तो जॉनसन एंड जॉनसन 12 से 18 साल उम्र वाले बच्चों पर ट्रायल की योजना बना रही है। उसके बाद यह छोटे शिशुओं पर भी ट्रायल कर सकती है।
यह बीमारी जिस स्तर पर संक्रामक बनी है, उसने लोगों को खासी चिंता में डाल दिया है। हालांकि अभी ट्रायल का कुछ खास डाटा उपलब्ध नहीं हुआ है, किंतु उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द ही बच्चों के ऊपर वैक्सीन ट्रायल का डाटा सामने आ जाएगा और बच्चों के वैक्सीनेशन का प्रोसेस भी स्टार्ट हो जाएगा।
कई लोग कह सकते हैं कि जब वैक्सीन का पहले ही ट्रायल हो गया है, तो बच्चों पर अलग से ट्रायल करने की क्या जरूरत है किंतु ऐसे प्रश्नों का सार्थक उत्तर यही है कि बच्चों के इम्युनिटी सिस्टम में और बड़ों के इम्युनिटी सिस्टम में काफी फर्क होता है। बच्चों का इम्यूनिटी सिस्टम काफी मजबूत माना जाता है। ऐसी स्थिति में कहीं ऐसा न हो कि बच्चों को वैक्सीन की हेवी डोज दे दिया जाए और उसका नकारात्मक असर उनके शरीर पर पड़े।
इसी तरह अगर कहीं कम डोज दी जाती है तो वैक्सीन के अप्रभावी होने का खतरा भी है। ऐसी स्थिति में अलग-अलग एज ग्रुप के हिसाब से टेस्टिंग-ट्रायल बेहद जरूरी है।
बताते चलें कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर के कारण जिस तरह से बुरी स्थिति उत्पन्न हुई है, उसे लेकर उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस में बच्चों के प्रभावित होने को लेकर खासी चिंता जताई थी। जस्टिस चंद्रचूड़ द्वारा इस इस बात पर प्रश्न उठाया गया था कि जिस प्रकार दूसरी लहर में युवा प्रभावित हो रहे हैं तो कोरोना की तीसरी लहर में कहीं बच्चों पर ज्यादा प्रभाव तो नहीं पड़ सकता। वैसे दूसरी लहर ने 12 साल से कम उम्र के बच्चों को भी संक्रमित किया है। कई अस्पतालों में हर एज ग्रुप के कुछ मामले सामने आए हैं जिससे लोगों का चिंतित होना स्वाभाविक ही है।
बहरहाल राष्ट्रीय स्तर पर भी कोरोना संकट से निपटने के लिए कई प्रयास चल रहे हैं और इसमें यह मांग भी उठाई जा रही है कि न केवल दो कंपनियां सिरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया और भारत बायोटेक ही टीके का निर्माण करें बल्कि अन्य कंपनियों को भी इसका लाइसेंस देना चाहिए ताकि टीके का काम युद्ध स्तर पर शुरू हो और जारी रह सके जब तक वैक्सीनेशन का 100 प्रतिशत लक्ष्य पूरा न हो जाए!
हकीकत यही है कि अभी भारत में कई जगहों पर 18 साल से ऊपर के लोगों को वैक्सीनेशन की मंजूरी जरूर मिल चुकी है किंतु इसका प्रोसेस अभी शुरू भी नहीं हो पाया है। हालात को देखते हुए जिस प्रकार से पूरी अर्थव्यवस्था रुकी हुई है, कई राज्यों में लॉकडाउन है, अतः भारत सरकार को इसके बारे में तत्काल कदम उठाना चाहिए, ताकि टीके की उपलब्धता बढ़ सके।
वैश्विक स्तर पर भी अमेरिका जैसे कुछ देशों ने कोरोना वायरस के टीकों को पेटेंट मुक्त करने के भारतीय प्रस्ताव का समर्थन जरूर किया है किंतु ग्राउंड रियलिटी क्या है, इसे आने वाले दिनों में अवश्य ही हमें चेक करना होगा अन्यथा पूरी बीमारी बेहद संक्रामक होने वाली है। एक खबर के अनुसार विश्व भर में भारत में मिलने वाला खतरनाक कोरोना वेरिएंट 40 से अधिक देशों में मिला है जिसे बड़ी चिंता बताई जा रही है। जब तक पूरे विश्व में कोरोना वायरस के सम्पूर्ण उन्मूलन की समग्र नीति नहीं बनाई जाएगी, तब तक अलग-अलग देश, अलग-अलग समय पर प्रभावित होते ही रहेंगे और अंततः इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था और वैश्विक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता रहेगा।
कोरोना की दूसरी लहर में बुरी तरह फेल होने वाली भारत सरकार और तकरीबन हर जगह का स्थानीय प्रशासन, कोरोना की तीसरी लहर के लिए कितने बड़े स्तर पर तैयारियां करता है, यह जल्द ही सामने आ जाएगा हालांकि उनके सामने तैयारी करने के अलावा कोई विकल्प भी नहीं है क्योंकि कोरोना वायरस को हल्के में लेने का अंजाम समूचा भारत भुगत रहा है।
ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले दिनों में न केवल युवाओं के वैक्सीनेशन का कार्य युद्ध स्तर पर जारी रहेगा बल्कि बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल और उनकी वैक्सीनेशन के लिए भी ठोस रणनीति अमल में लाई जाएगी, जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट समेत हर मां-बाप चिंतित है।
बच्चों की एजुकेशन किस कदर डिस्टर्ब है, यह कौन नहीं जानता?
ऑनलाइन क्लासेज से एक तो कुछ फायदा हो नहीं रहा है। थोड़ा बहुत हो भी रहा है तो बच्चों का नुकसान कहीं ज्यादा हो रहा है। आखिर हर समय मोबाइल फोन बच्चों के लिए कितना खतरनाक है, यह तमाम रिसर्चों में स्पष्ट ढंग से देखा जा सकता है।
ऐसे में बच्चों के लिए स्कूल के द्वार भी खुलने चाहिए, ताकि उनका समग्र विकास हो सके मगर हाँ, उसके लिए पहले बच्चों की कोरोना महामारी से समुचित सुरक्षा कहीं ज्यादा आवश्यक है। ऐसे में इस ओर किये जा रहे दूरदर्शी प्रयासों की शुरुआती स्तर पर अवश्य ही सराहना की जानी चाहिए हालाँकि, इसकी समुचित निगरानी भी की जानी चाहिए ताकि बच्चों के समग्र टीकाकरण के लिए आने वाले दिनों में लापरवाही न हो।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली की होटलों में घूम-घूमकर फरारी काट रहा था हरकरण मोखा, तीन दिन की रिमांड मिली, अब होगी पूछताछ
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