कोरोना महामारी के बीच रेलवे का 13450 पदों को समाप्त करने के फरमान से WCREU-AIRF नाराज, जताया विरोध

कोरोना महामारी के बीच रेलवे का 13450 पदों को समाप्त करने के फरमान से WCREU-AIRF नाराज, जताया विरोध

प्रेषित समय :16:41:50 PM / Thu, May 27th, 2021

नई दिल्ली/जबलपुर. एक तरफ जब कोरोना महामारी से चारों ओर हाहाकार मचा है. रेलवे में 1 लाख से ज्यादा कर्मचारी संक्रमित हैं और 2 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की मौत हो चुकी है, इन सबके बीच रेलवे बोर्ड के उस फरमान से कर्मचारियों में जबर्दस्त आक्रोश और गुस्सा फैल गया है, जिसमें कार्य अध्ययन के नाम पर देश भर में 13450 पदों को सरेेंडर करने का निर्णय लेते हुए रेलवे बोर्ड ने सभी रेल जोनों को टारगेट दिया है. रेलवे बोर्ड के इस आदेश से वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन (डबलूसीआरईयू) और आल इंडिया रेलवेमेेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) नाराज हो गई है और उसने पदों को सरेंडर करने का विरोध करते हुए इस आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग की है.

बताया जाता है कि पोस्ट सरेंडरीकरण का मुद्दा एआईआरएफ की स्टेंडिंग कमेटी की बुधवार 26 मई को वीडियो कांफ्रेेंसिंग के माध्यम से आयोजित बैठक में जोर-शोर से उठा. एआईआरएफ के असिस्टेंट जनरल सैक्रेट्री व डबलूसीआरईयू के महामंत्री मुकेश गालव ने रेलवे बोर्ड के इस निर्णय पर घनघोर आपत्ति व्यक्त की और तत्काल ही इस मामले में सीआरबी के समक्ष आपत्ति व्यक्त करने की मांग की. जिसके बाद एआईआरएफ महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने चेयरमैन रेलवे बोर्ड को पत्र लिखा है, जिसमें कोरोना महामारी के इस आपाताकाल के समय पदों को सरेेंडर करने के आदेश को अनुचित बताते हुए इस निर्णय को तत्काल वापस लेने की मांग की है.

इस संबंध में डबलूसीआरईयू के महामंत्री मुकेश गालव का कहना है कि रेलवे बोर्ड ने पिछले दिनों देश भर में 13450 पदों को समाप्त करने का टारगेट सभी रेल जोनों को दिया है, जिसमें पश्चिम मध्य रेलवे में 300 पदों को समाप्त किया जाना है. यूनियन ने इस बात का जबर्दस्त विरोध जताया है. दुर्भाग्य की बात है कि जब कोरोना की महामारी के बीच रेल कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर देश की लाइफ लाइन रेलवे को चलायमान बनाये हुए हैं, ताकि देश में लोगों को रसद की आपूर्ति सुनिश्चित रहे, स्वास्थ्य ही प्राणवायु आक्सीजन भी मिलती रहे, इस महामारी में 2 हजार से ज्यादा रेल कर्मचारियों का दुखद निधन हुआ है, लेकिन रेलवे असंवेदशील रवैया अपनाते हुए पदों को सरेंडर करने का आदेश दिया है, इससे कर्मचारी हतोत्साहित हुए हैं, इसे यूनियन बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं करेगी. यूनियन ने अपना विरोध एआईआरएफ के माध्यम से रेलवे बोर्ड के समक्ष जता दिया है.

एआईआरएफ ने बोर्ड से जताई यह आपत्ति

श्री गालव ने बताया कि एआईआरएफ महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने पदों के संरेडर करने के खिलाफ चेयरमैन को पत्र लिखकर अपनी कड़ी आपत्ति जताई है. श्री मिश्रा ने पत्र में कहा है कि कोविड-19 महामारी ने चारों ओर जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है, किंतु इन सबके बीच रेलवे कर्मचारी लगातार अपनी ड्यूटी पूरी निष्ठा, ईमानदारी से करने में लगे हैं, कि सिस्टम पंगु न हो. यह एक सर्वविदित तथ्य है कि भारतीय रेलवे, जो खतरों का सामना करने के लिए चौबीसों घंटे नॉन-स्टॉप काम कर रहा है कर्मचारी जो अधिकतर समय अधिक काम करते रहे हैं और यहां तक कि सबसे कठोर लॉकडाउन अवधि के दौरान भी वर्ष 2020 या 2021, भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाये रखने में प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक रहा है.

रेलवे बोर्ड का यह निर्णय अकल्पनीय, दुखद

श्री मिश्रा ने अपने पत्र में कहा कि पदों के सरेेंडरीकरण का यह समय दुखद व अकल्पनीय है, क्योंकि कर्मचारी पहले से ही कम हैं, पुन: नियुक्त कर्मचारियों की सेवाएं पिछले वर्ष के दौरान ही समाप्त कर दी गई थी, अनुबंध के आधार पर लगे भूतपूर्व सैनिकों के संचालन, उनकी सेवाओं को भी विभिन्न में समाप्त कर दिया गया है. रेलवे बोर्ड को जोनल रेलवे ने इस संबंध में पहले ही इस संबंध में जानकारी बोर्ड को भेजी जा चुकी है. इस साल और अगले वर्ष बड़ी संख्या में कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं, इससे कर्मचारियों की संख्या और कम हो जायेगी, जिससे कार्यरत कर्मचारियों पर कार्य का बोझ बढ़ेगा.

इस वर्ष और अगले वर्ष के लिए बड़ी संख्या में सेवानिवृत्ति; इससे कर्मचारियों की ताकत और कम हो जाएगी.

श्री मिश्रा ने कहा कि वर्तमान हालातों में कोई भी ठेका श्रमिक, जिसे आउटसोर्स के साथ सौंपा गया था महामारी के दौरान, रेलवे का काम छोड़ दिया. रेलवे कर्मचारी ही हैं जो अपने सामान्य कर्तव्यों के अलावा इन कर्तव्यों का पालन करते रहे हैं. श्री मिश्रा ने कहा कि इस समय पदों के समर्पण पर विचार करना अमानवीय है और इससे लोगों में काफी नाराजगी है कर्मचारी.    महामारी और सेवानिवृत्ति के कगार पर कई कर्मचारी लाभों से वंचित हो गए हैं. कार्यरत कर्मचारी भी लंबे समय से पदोन्नति से वंचित हैं. एआईआरएफ की मांग ै कि किसी भी पद को सरेंडर नहीं किया जाना चाहिए.


नहीं तो गंभीर परिणाम होंगे

एआईआरएफ के असिस्टेंट जनरल सैक्रेट्री मुकेश गालव ने बताया कि फेडरेशन के महामंत्री श्री मिश्रा ने अपने पत्र में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को स्पष्ट कर दिया है कि 20 मई 2021 के सरेेंडरीकरण के लेटर को तत्काल वापस लें, अन्यथा इससे औद्योगिक अशांति की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. साथ ही फेडरेशन के साथ बैठक कर इस मामले का उचित निदान करें.
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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