पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी के जबलपुर में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के मामले में पकड़े गए सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीतसिंह मोखा रिमांड पर लेकर की गई पूछताछ में पुलिस को गुमराह ही करता रहा. उसने कहा कि गुजरात पुलिस की कार्रवाई होते ही उसने इंजेक्शन नष्ट किए, दवाओं व इंजेक्शन की सारी डीलिंग देवेश चौरसिया ही करता रहा, अब एसआईटी द्वारा मोखा द्वारा दिए गए कथनों को क्रास चेक करने के लिए देवेश चौरसिया को एक दिन की रिमांड पर लेगी.
एसआईटी को पूछताछ में मोखा ने बताया कि उसे इंजेक्शन के नकली होने का उस वक्त पता चला है कि जब एक दो मरीजों को रिएक्शन होने लगा, लेकिन वह कुछ समझ नहीं पा रहा था, इसके बाद जब गुजरात पुलिस ने कार्रवाई की तो लगा कि कुछ गड़बड़ है, तभी इंजेक्शनों को नष्ट कराया, अब सवाल यह उठता है जब उसे ऐसा लगा कि इंजेक्शन नकली है तो पुलिस अधिकारियों को या फिर थाना को सूचना क्यों नहीं दी गई. वहीं मोखा का कहना है कि अस्पताल में दवाओं से लेकर इंजेक्शन की खरीददारी देवेश चौरसिया द्वारा ही की जाती रही, भगवती फार्मा के संचालक सपन जैन से ही देवेश ही बात करता रहा, देवेश ने इंदौर से इंजेक्शन मंगवाने के लिए आई मांगी थी तो बेटे हरकरण ने अपने दोस्त प्रखर से आईडी मांगी, जिसपर प्रखर ने अपने नौकर दिव्यांग की आईडी उपलब्ध करा दी, इसे लेकर जरुर प्रखर से बात हुई है.
लेकिन आशा नगर अधारताल निवासी सपन जैन ने जो बातें पुलिस को बताई है वे बिलकुल भिन्न है, जिससे एसआईटी भी हैरत में है. एसआईटी की एक टीम ने इंदौर में सपन जैन से पूछताछ की कर एक सीडी भी तैयार कराई है, वही देवेश से पूर्व में की गई पूछताछ में भी कई जानकारियां सामने आ चुकी है. मोखा ने कहा कि सारी डील सपन ने ही की थी, मोखा ने यह भी कहा कि एक नम्बर का बिल न देने पर इसका भुगतान भी नहीं किया है. जबकि सपन ने अपने पूर्व के बयान में कहा था कि रीवा के सुनील मिश्रा का नम्बर उसे देवेश व मोखा से मिला था, इसके बाद ही उसने बात की थी. यहां तक कि सपन ने यह भी कहा था कि मोखा ने दवाईयों के बिलों के भुगतान के बदले नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लाने के लिए कहा था, उसे तो गुजरात की फर्म की जानकारी ही नही थी. इस तरह से सरबजीतसिंह मोखा द्वारा पुलिस को गुमराह किया जा रहा है.
यहां पर यह भी कह रहा मोखा-
इधर पूछताछ में मोखा ने यह भी कहा कि जब रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर मारामारी मची रही, उस वक्त अस्पताल में 150 मरीज भरती रहे, और प्रशासनिक स्तर पर 30 से 50 इंजेक्शन ही मिल रहे थे, ऐसे में इंजेक्शन की व्यवस्था करने के लिए उस भारी दबाव रहा, अब सवाल यह उठता है कि क्या दबाव से बचने मोखा ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदे और लोगों के लिए मौत खरीद ली.
देवेश का मैसेज आते ही घबरा गया-
एक मई को मामले का पर्दाफाश होने के बाद देवेश को मैसेज कर इंजेक्शन के बारे में सपन से पूछताछ करने के लिए कहा, नकली इंजेक्शन का पता चलने के बाद घबरा गया, इसके बाद कुछ प्रशासनिक व स्वास्थ्य अधिकारियों से चर्चा की लेकिन कोई उचित मार्गदर्शन नहीं मिला, कुछ समझ न आने पर सबूत नष्ट करने के लिए इंजेक्शन घर में बुलाए और गर्म पानी में डालकर रैपर गलवाकर नौकरों से तुड़वाकर फिकवा दिए.
इसलिए अस्पताल के रिकार्ड में की गई हेरफेर-
पूछताछ में एसआईटी को मोखा ने बताया कि सरकारी रिकार्ड में कम इंजेक्शन ही मिल रहे थे, जबकि मरीजों को इसकी तुलना में ज्यादा इंजेक्शन लगे, कुछ की व्यवस्था परिजनों ने की तो कुछ मोखा ने उपलब्ध कराए, जिसमें नकली इंजेक्शन भी शामिल रहे. आडिट से बचने के लिए रिकार्ड को माडिफाई कराया, उसका कहना है कि अपना मोबाइल सिटी अस्पताल में ही स्विच ऑफ करके रखा है वह भी जब्त करा देगा, मोबाइल की जांच भी करा ली जाए.
दो घंटे तक तो रोता ही रहा मोखा-
रिमांड पर लिए जाने के बाद जब एसआईटी ने मोखा से पूछताछ करना शुरु किया तो वह दो घंटे तक तो रोता ही रहा, रोते हुए उसने यह भी कहा कि मेरे बुरे कर्म ही होगे जो मेरा बेटा हरकरण गलत संगत में पड़ गया, वह नशा भी करता है, उसे रोते हुए यह भी कहा कि इंजेक्शन के कार्टून बुलवाने में दोस्त की आईडी उपलब्ध कराने के अलावा उसके बेटे की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है. ,
सोनिया को गोद ली हुई बेटी बताया-
एसआईटी को पूछताछ में कहा कि सोनिया से संबंधों के बारे में कहा कि वह उसकी गोद ली गई बेटी है, उसकी आर्य समाज मंदिर में शादी कराई, जिसका कन्यादान भी लिया था, यही कारण है कि सोनिया खत्री पर सबसे ज्यादा भरोसा करता रहा.
किसी का एक रुपया कम नहीं किया, अब कह रहा है कि कई लोगों के बिल माफ किए-
एसआईटी के सामने मोखा ने कहा कि 15 लाख रुपए के लिए इतने बड़े अस्पताल की सांख को दांव पर नहीं लगाता, उसे सिर्फ रुपयों का लालच होता तो कलेक्टर के कहने पर रेडक्रास को 11 लाख रुपए दान नहीं देता, कई लोगों के बिलों को माफ किया है, जबकि हकीकत यह है कि सरबजीतसिह मोखा ने किसी भी व्यक्ति का एक रुप का बिल माफ नहीं किया, चाहे वह प्रशासनिक अधिकारी हो या माडिया कर्मी, अधिवक्ता या अन्य कोई. मरीज द्वारा रुपया न देने पर मरीजों को अस्पताल से बाहर तक निकलने नहीं दिया.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जबलपुर में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन का एक और सौदागर राकेश शर्मा गिरफ्तार
जबलपुर के सिटी अस्पताल में 18 हजार रुपए लेकर मरीज को लगाया जाता था नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन..!
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