इस्लामाबााद. पाकिस्तान में एक हिंदू धर्मशाला को ढहाने के प्रशासन के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. कराची के प्रशासन ने हिंदू धर्मशाला को गिराने का आदेश दिया था, जिस पर शीर्ष अदालत ने रोक लगा दी है. कोर्ट ने 2014 में अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए 2014 में आए एक फैसले को लागू करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. पाकिस्तान के चीफ जस्टिस गुलजार अहमद समेत तीन जजों ने यह फैसला दिया है. पाकिस्तान में अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य रमेश कुमार ने अपनी याचिका में कहा कि यह धर्मशाला 716 स्क्वेयर यार्ड में फैली है और धर्मशाला थी.
रमेश कुमार ने अपने दावे के समर्थन में धर्मशाला के तौर पर उस प्रॉपर्टी की पुरानी तस्वीरें भी कोर्ट के सामने रखीं. रमेश कुमार ने कहा कि इस प्रॉपर्टी को अथॉरिटी की ओर से कुछ निजी लोगों को लीज दिया गया था, जो इसे गिराने लगे थे. इस फैसले के खिलाफ सिंध हाई कोर्ट में अपील की थी, जिसने अपने फैसले में इमारत को गिराने का आदेश देते हुए कहा था कि यहां अब नई बिल्डिंग बनाई जानी चाहिए. इस फैसले को ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. रमेश कुमार की ओर से अदालत में धर्मशाला की 1932 की तस्वीरें शेयर की गईं. इस तस्वीर में इमारत के बाहर की एक तस्वीर दिखती है, जिससे यह पता चलता है कि इसका निर्माण 1932 में हुआ था.
इस पर पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह काफी पुरानी इमारत है. इसलिए इसे हेरिटेज का दर्जा दिया जाना चाहिए. कोर्ट ने सिंध के हेरिटेज सेक्रेटरी को नोटिस जारी कर इस बिल्डिंग को लेकर रिपोर्ट तचलब की है. इसके अलावा इमारत को गिराने पर भी रोक लगा दी है. कोर्ट ने कराची के कमिश्नर को आदेश दिया है कि वे इस इमारत को नियंत्रण फिलहाल अपने हाथों में ले लें. बता दें कि हाल ही में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा राज्य में मौजूद बॉलीवुड सिलेब्रिटीज दिलीप कुमार राजकुमार के घरों को हेरिटेज इमारत घोषित किया गया है और इन्हें संग्रहालय में तब्दील किया जाएगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-फेल हो गई पाकिस्तान की मैंगो डिप्लोमेसी, कई देशों ने लौटाये तोहफे में भेजे गये आम
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