अयोध्या. श्रीराम जन्म तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सोमवार को फिर प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जमीन अनुबंध विवाद पर अपनी बात स्पष्ट की है. उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र श्रीराम जन्म-भूमि मंदिर को वास्तु शास्त्र के अनुसार भव्य स्वरूप प्रदान कराने, शेष परिसर को सभी प्रकार से सुरक्षित और दर्शनार्थियों के लिए सुविधापूर्ण बनाने के लिए कार्य कर रहा है. इस निमित्त मंदिर के पूर्व और पश्चिम भाग में निर्माणाधीन परकोटा व रिटेनिंग वॉल की सीमा में आने वाले महत्वपूर्ण मंदिरों/स्थानों को परस्पर सहमति से क्रय किया जा रहा है.
तीर्थ क्षेत्र का निर्णय रहा है कि इस प्रक्रिया में विस्थापित होने वाले प्रत्येक संस्थान/व्यक्ति को पुनर्वासित किया जायेगा. पुनर्वास हेतु भूमि का चयन संबंधित संस्थानों/व्यक्तियों की सहमति से किया जा रहा है. बाग बिजेसी, अयोध्या स्थित 1.20 हेक्टेयर भूमि इसी प्रक्रिया के अंतर्गत महत्वपूर्ण मंदिरों जैसे कौशल्या सदन आदि की सहमति से पूर्ण पारदर्शिता के साथ क्रय की गयी है. ध्यान देने योग्य है कि उपर्युक्त वर्णित भूमि अयोध्या रेलवे स्टेशन के समीप मार्ग पर स्थित एक प्रमुख स्थान (प्राइम लोकेशन) है. इस भूमि के संबंध में वर्ष 2011 से वर्तमान विक्रेताओं के पक्ष में भिन्न-भिन्न समय (2011, 2017 और 2019 ) में अनुबंध संपादित हुआ.
खोजबीन करने पर यह भूखंड हमारे उपयोग के लिए अनुकूल पाये जाने पर संबंधित व्यक्तियों से संपर्क किया गया. भूमि का जो मूल्य मांगा गया, उसकी तुलना वर्तमान बाजार मूल्य से की गयी, अंतिम देय राशि लगभग 1,423/-रुपये प्रति वर्गफीट तय हुई जो पास के क्षेत्र के वर्तमान बाजार मूल्य से बहुत कम है. मूल्य पर सहमति बन जाने के बाद संबंधित व्यक्तियों को अपने पूर्व के अनुबंधों को पूर्ण करना आवश्यक था, तभी संबंधित भूमि तीर्थ क्षेत्र को प्राप्त हो सकती थी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-यूपी के इस गांव में अनोखी पहल, नव विवाहितों के लिए पौधारोपण हुआ अनिवार्य
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